Extreme Poverty Free kerala: देश का पहला राज्य जहां एक भी गरीब नहीं, केरल ने कैसे रचा कीर्तिमान, जानें
केरल में अब केवल अमीर, मिडिल क्लास और लोवर मिडिल क्लास परिवार हैं. साक्षरता दर के बाद केरल ने अपने नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज कर लिया है. अत्यंत गरीबी खत्म करने वाला केरल देश का पहला राज्य बन गया है. ये कैसे संभव हुआ जानिए.
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भारत की आर्थिक तरक्की का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश का एक राज्य गरीबी से मुक्त हो चुका है. जी हां केरल देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां एक भी बेहद गरीब परिवार नहीं है. केरल सरकार के मुताबिक अब राज्य में एक भी बेहद गरीब परिवार नहीं हैं. इसका मतलब केरल में केवल अमीर, मिडिल क्लास और लोवर मिडिल क्लास परिवार हैं.
साक्षरता दर के बाद केरल ने अपने नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज कर लिया है. केरल ने अत्यंत गरीबी खत्म कर दी है. एक नवंबर को सरकार इसकी आधिकारिक घोषणा करेगी. इसी के साथ केरल देश और दक्षिण एशिया का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा. जहां कोई गरीब नहीं रहता है. ये कीर्तिमान केरल सरकार और सामाजिक भागीदारी से ही संभव हो सका.
केरल कैसे बना पहला गरीबी मुक्त राज्य?
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जिनकी इनकम 158.10 रुपए प्रतिदिन से कम है, वो अत्यंत गरीब की कैटेगरी में आते हैं. केरल ने इस मानक से आगे भोजन, आय, स्वास्थ्य और आवास को आधार बनाया और इसे ‘मानवीय गरिमा’ नाम दिया. CM पिनराई विजयन के मुताबिक, इसमें सामाजिक संगठनों की मदद सराहनीय रही. असल में केरल को अत्यंत गरीबी से बाहर निकालने की शुरुआत 2021 में ही हो गई थी. राज्य से गरीबी को जड़ से उखाड़ने का टारगेट लेते हुए सरकार 4 साल से इस मिशन को पूरा करने में जुटी हुई है. इसके लिए 1300 सर्वेयरों की टीम तैनात की और 73 हजार माइक्रो प्लान बनाए.
सरकारी टीम 14 जिलों में घर-घर गईं. इन टीमों ने मोबाइल एप की मदद से वार्ड स्तर पर नामांकन, उप-समितियों की शॉर्ट लिस्टिंग और ग्राम सभाओं में सत्यापन की बहुस्तरीय प्रक्रिया पूरी की. इस दौरान बेहद गरीब लोगों की मदद की उनकी जरूरत के हिसाब से मदद की गई. हर मदद और पैसे का हिसाब बारीकी से मॉनिटर किया गया. इस दौरान टीम ने मानवीय पहलू को आधार बनाया. टीम को जिनके पास भोजन, स्वास्थ्य, आय और आवास नहीं थे, उन्हें चुनने का टास्क दिया गया.
हर परिवार के लिए बनाया गया अलग-अलग प्लान
सर्वे टीम ने गांव-गांव सभा और समूहों के साथ बातचीत में ऐसे 1,03,099 लोगों को ढूंढा. जो बेहद गरीब हैं, इनमें से 81% लोग ग्रामीण इलाकों में रहते थे. 68% अकेले जी रहे थे, 24% को स्वास्थ्य समस्याएं, 21% को भोजन और 15% के पास घर नहीं था. इसी डेटा के आधार पर सरकार ने माइक्रो प्लान तैयार किए. जिसमें हर परिवार के लिए उसके हिसाब से अलग-अलग रणनीति बनाई गई थी. पहला प्लान केरल के कोट्टायम जिले में लागू किया गया. इसके बाद एक-एक कर पूरे प्लान को पूरे केरल में अपनाया गया.
कैसे पहुंचाई गई गरीब परिवारों तक मदद?
प्लानिंग के बाद परिवारों को उनकी जरूरत के हिसाब से मदद दी गई. इसमें 4,394 परिवारों को आय का साधन, 29,427 को दवाएं, 4,829 को मेडिकल हेल्प, 424 को हेल्थकेयर सुविधा, 5,354 के घर ठीक करवाए, 3,913 को घर दिए और 1338 को जमीन दी गई. जबकि 743 परिवारों को किराए के घरों में शिफ्ट किया गया. यानी आसरा दिया गया.
सरकार के साथ सामाजिक संस्थाओं की साझेदारी ने की मदद
पहली बार देश के किसी राज्य ने गरीबी मुक्त होने की ओर कदम बढ़ाए. पिनराई विजयन सरकार का ये सपना पूरा नहीं होता अगर सामाजिक संगठनों का साथ न मिला होता. इस मिशन की बड़ी खासियत ही ये थी कि, इसमें सरकारी योजनाओं और सामाजिक संगठनों की संयुक्त भागीदारी रही. इसमें पंचायत लेवल से लेकर जिला प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाएं शामिल थीं. सभी एक साथ गरीब परिवारों तक पहुंचे. साथ-साथ मिलकर इस मिशन की पारदर्शिता भी सुनिश्चित की और इस तरह देश का पहला ऐसा राज्य बन गया. जो गरीबी से जीत गया.
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