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धर्म की आड़ में अपराध पर निरंजनी अखाड़ा ने लिया सख़्त स्टैंड, आसाराम और राम रहीम को साधु-संत मानने से किया इनकार

देश में धर्म की आड़ में हो रहे अपराध पर निरंजनी अखाड़ा के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने सख़्त स्टैंड लिया है. उन्होंने आसाराम और राम रहीम को साधु-संत मानने से भी इनकार कर दिया है. उन्होंने इटावा कथावाचक कांड पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा है कि जबरन धर्म परिवर्तन अपराध है. इसके खिलाफ सरकारों को सख्त कदम उठाने चाहिए. रायपुर में मीडिया से बात करते हुए कैलाशानंद गिरी कहा कि छत्तीसगढ़ धार्मिक स्थान है. यहां मेरा आना-जाना लगा रहता है. मैं हमेशा यहां आना चाहता हूं ताकि सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार होता रहे.

इटावा कथावाचक कांड पर टिप्पणी

हाल में उत्तर प्रदेश में कथावाचक को उसकी जाति की वजह से अपमान झेलना पड़ा. इस पर कैलाशानंद गिरी ने कहा कि हमें जाति से ऊपर उठकर धर्म की बात करनी चाहिए. सभी चार वर्णों की उत्पत्ति भगवान विष्णु से ही हुई है. इसलिए हमें किसी से भी भेद नहीं करना चाहिए. मेरे लिए सिर्फ सनातन ही एकमात्र जाति है. सनातन की बात करने वाला मेरा है, जो सनातन की बात नहीं करता, वह मेरा नहीं है.

बलात्कार के मामलों पर प्रतिक्रिया

कोलकाता में हाल में हुए एक सामूहिक बलात्कार से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि जहां भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं. वहां की सरकार को इसके खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए. अपराधी चाहे किसी भी धर्म का हो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

धर्म की आड़ में अपराध

आसाराम, राम रहीम और इनके जैसे लोग धर्म की आड़ में गलत काम कर रहे हैं. डोंगरगढ़ में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक बाबा गलत काम कर रहा है. इस पर कैलासानंद गिरी ने कहा कि मैं बार-बार कहता हूं कि आसाराम, राम रहीम या ऐसे अन्य लोग किसी परंपरा से जुड़े नहीं हैं. ये सभी स्वतंत्र हैं. ये किसी अखाड़े से नहीं हैं. मेरा अखाड़ा भारत का सबसे बड़ा अखाड़ा है, जिसमें लाखों साधु हैं. किसी भी साधु से हुई छोटी गलती पर भी उसे निष्कासित कर दिया जाता है. इसलिए जो किसी परंपरा से जुड़े नहीं हैं, उसे साधु न कहा जाए.

धर्मांतरण पर कड़ा रुख

छत्तीसगढ़ में बढ़ रहे धर्मांतरण पर उन्होंने कहा कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है. विषम से विषम परिस्थिति में भी किसी को सनातन धर्म नहीं छोड़ना चाहिए. जबरन धर्म का परिवर्तन करवाना या फिर करना अधर्म है. सरकार को इस विषय पर कदम उठाना चाहिए. साधु-संत भी लगातार धर्मांतरण को रोकने के लिए लगातार प्रयास रहे हैं.

धर्म का संदेश पहुंचाने का उद्देश्य

कैलाशानंद गिरी ने कहा कि हमें परमात्मा ने धर्म का संदेश घर-घर पहुंचाने के लिए ही भेजा है. इस बार प्रयागराज में हुए महाकुंभ में लगभग 67 करोड़ लोग स्नान के लिए आए. उसमें सभी नहीं लेकिन अधिकतर हिंदु थे. सभी ने सनातन धर्म को समझने का प्रयास किया.

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