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न्यूज़ीलैंड-एपीईडीए टीम ने किया ‘मधुमक्खीवाला’ स्टार्ट-अप का निरीक्षण, यूपी के शहद को मिलेगी वैश्विक पहचान

‘मधुमक्खीवाला’ के संस्थापक निमित सिंह ने बाराबंकी जिले के राजौली से निकलकर मधुमक्खी पालन को एक स्थायी आजीविका के साथ सामुदायिक विकास का माध्यम बना दिया है.

07 Dec, 2025
( Updated: 07 Dec, 2025
12:15 PM )
न्यूज़ीलैंड-एपीईडीए टीम ने किया ‘मधुमक्खीवाला’ स्टार्ट-अप का निरीक्षण, यूपी के शहद को मिलेगी वैश्विक पहचान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विज़न के अनुरूप उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास में युवा उद्यमियों और स्वरोज़गार को जिस तरह बढ़ावा दिया जा रहा है, उसकी बानगी बाराबंकी जिले के निमित सिंह द्वारा संचालित ‘मधुमक्खीवाला’ स्टार्ट-अप के रूप में देखने को मिलती है. इसी क्रम में न्यूज़ीलैंड की प्राइमरी इंडस्ट्रीज़ मिनिस्ट्री के प्रतिनिधि ईशन जयवर्धने तथा एपीईडीए के रीजनल हेड संदीप साहा ने बाराबंकी जिले में संचालित ‘मधुमक्खीवाला’ स्टार्ट-अप फार्म का दौरा किया. प्रतिनिधि दल ने मधुमक्खी पालन की पद्धति और शहद उत्पादन की तकनीक की सराहना करते हुए उत्पाद की ग्लोबल ब्रांडिंग और बिक्री में सहयोग का आश्वासन दिया.

न्यूज़ीलैंड व एपीईडीए टीम ने किया निरीक्षण

न्यूज़ीलैंड की प्राइमरी इंडस्ट्री मिनिस्ट्री और कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के प्रतिनिधि दल ने फार्म का गहन निरीक्षण किया और वहां अपनाई जा रही आधुनिक पद्धतियों-जैसे बिना गर्मी, बिना मिलावट तथा बिना रसायनों के प्राकृतिक शहद उत्पादन-की खुलकर सराहना की. जयवर्धने ने कहा कि यह फार्म न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक विकास का जीवंत उदाहरण भी है. दल ने सरसों, मल्टीफ्लोरा, यूकेलिप्टस, अजवाइन, नीम और जामुन जैसे विविध प्राकृतिक स्रोतों से तैयार उच्च गुणवत्ता वाले शहद को न्यूजीलैंड के जीआई टैग प्राप्त मनुका हनी की तरह वैश्विक स्तर पर ब्रांड बनाने का आश्वासन दिया.

इस अवसर पर यूपी उद्यान विभाग के उप निदेशक सहित अन्य संबंधित अधिकारी भी उपस्थित रहे. उन्होंने ‘मधुमक्खीवाला’ से जुड़े सामुदायिक शहद उत्पादकों एवं जिले के अन्य बी-कीपर्स को भी उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने और निर्यात संभावनाओं के विस्तार संबंधी सुझाव दिए.

गांव से वैश्विक पहचान तक का सफर

‘मधुमक्खीवाला’ के संस्थापक निमित सिंह ने बाराबंकी जिले के राजौली से निकलकर मधुमक्खी पालन को एक स्थायी आजीविका के साथ सामुदायिक विकास का माध्यम बना दिया है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में स्टार्ट-अप की शुरुआत की थी. वर्ष 2017 से उत्तर प्रदेश में बने सकारात्मक स्टार्ट-अप माहौल तथा प्रदेश सरकार की सीएम स्वरोज़गार योजना, सीएम युवा उद्यमी योजना, उद्यान विभाग और पीएमईएमई योजना से मिले सहयोग ने उनके उत्पाद को वैश्विक पहचान दिलाई है.

भारत-न्यूज़ीलैंड का सहयोग की दिशा में अहम कदम

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उन्होंने बताया कि इससे पहले उनके प्रयासों को राजभवन में गवर्नर अवॉर्ड तथा प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उल्लेख के माध्यम से सम्मान मिल चुका है. उन्होंने कहा कि एपीईडीए और प्रस्तावित भारत-न्यूज़ीलैंड एफटीए के तहत निरीक्षण के लिए उनकी फर्म का चयन प्रदेश में शहद और अन्य स्थानीय उत्पादों की वैश्विक ब्रांडिंग व बिक्री को नई दिशा देगा. यह निरीक्षण कार्यक्रम भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच कृषि एवं शहद उत्पादन में सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.

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