भीड़, आगजनी और डर… नेपाल में फंसी भारतीय महिला ने सुनाई दहशत की कहानी, कहा-किसी तरह बची जान
नेपाल में जारी उग्र प्रदर्शनों के दौरान कई भारतीय नागरिक फंस गए हैं. सोशल मीडिया पर उपासना गिल नामक महिला ने वीडियो जारी कर बताया कि प्रदर्शनकारी पर्यटकों पर भी हमला कर रहे हैं. उनका होटल जला दिया गया और वे जान बचाकर भागीं. आशंका है कि अकेले केरल से ही 40 से अधिक लोग नेपाल में फंसे हो सकते हैं.
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नेपाल इन दिनों भीषण राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है. पड़ोसी देश की सड़कों पर हजारों की संख्या में युवा प्रदर्शन कर रहे हैं. इस आंदोलन को 'Gen Z आंदोलन' नाम दिया गया है. आंदोलन इतना उग्र हो चुका है कि संसद से लेकर बड़ी-बड़ी सरकारी और निजी संस्थाओं पर हमला किया जा रहा है. कई शहरों में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. स्थिति इतनी भयावह है कि नेपाल में मौजूद विदेशी नागरिकों, खासतौर पर भारतीय पर्यटकों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है.
भारतीय महिला ने लगाई मदद की गुहार
इस बीच सोशल मीडिया पर एक महिला उपासना गिल का वीडियो वायरल हो गया है. उपासना गिल ने दावा किया है कि वे नेपाल के पोखरा में एक वॉलीबॉल लीग आयोजन के लिए गई थीं. लेकिन अचानक हालात बिगड़ गए और जिस होटल में वे ठहरी थीं, उसे भीड़ ने आग के हवाले कर दिया. उपासना ने बताया कि उनका सारा सामान होटल में ही जलकर खाक हो गया और उन्हें अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा. उनका कहना है कि प्रदर्शनकारी अब पर्यटकों को भी निशाना बना रहे हैं और किसी को बख्श नहीं रहे हैं. उन्होंने हाथ जोड़कर भारतीय दूतावास और भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है. उपासना का वीडियो देखकर साफ पता चलता है कि हालात कितने तनावपूर्ण हैं. बताया जा रहा है कि अकेले केरल से ही 40 से अधिक लोग नेपाल में फंसे हो सकते हैं.
नेपाल में क्यों भड़का आंदोलन?
नेपाल में हिंसा की वजह सोशल मीडिया पर लगाया गया बैन बताया जा रहा है. नेपाल सरकार ने हाल ही में फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम और यूट्यूब सहित 26 सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस फैसले के खिलाफ खासकर युवाओं, विशेषकर जेन-जी वर्ग में आक्रोश भड़क उठा. देखते ही देखते विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए और कई जगहों पर आगजनी तथा तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं. इस हिंसा में कई लोगों की मौत की भी खबर है. सोशल मीडिया प्रतिबंध के अलावा नेपाल में बेरोजगारी की समस्या भी युवाओं के गुस्से की बड़ी वजह बन गई है. नौकरी और रोजगार की कमी से परेशान युवा लंबे समय से सरकार से नाराज हैं. सोशल मीडिया बैन ने इस नाराजगी को और हवा दी, जिसके चलते प्रदर्शन उग्र हो गए.
भारत की कड़ी एडवाइजरी
नेपाल में बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नेपाल में मौजूद भारतीय नागरिक सतर्क रहें, सड़कों पर निकलने से बचें और वहीं ठहरें जहां वे इस समय मौजूद हैं. मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि जब तक हालात शांत नहीं हो जाते, तब तक किसी भी भारतीय को नेपाल की यात्रा करने से बचना चाहिए. बयान में कहा गया है कि 'काठमांडू और अन्य प्रमुख शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है. भारतीय नागरिक नेपाली अधिकारियों और काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास की सुरक्षा सलाह का पालन करें.'
नेपाल की अर्थव्यवस्था पर असर
नेपाल की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का अहम योगदान है. हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक यहां आते हैं, जिनमें सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की होती है. पर्यटन से जुड़े होटल, ट्रैवल कंपनियां और स्थानीय व्यवसाय नेपाल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं. लेकिन मौजूदा हालात में पर्यटक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और यह नेपाल के पर्यटन क्षेत्र के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. ऐसे में भारत और नेपाल के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक रिश्ते रहे हैं. लाखों नेपाली नागरिक भारत में काम करते हैं और भारत से बड़ी संख्या में पर्यटक नेपाल जाते हैं. लेकिन मौजूदा हिंसा और अस्थिरता से दोनों देशों के बीच आवाजाही और कारोबार पर भी असर पड़ सकता है.
बताते चलें कि नेपाल में जारी यह आंदोलन सिर्फ राजनीतिक संकट नहीं है, बल्कि यह देश की युवा पीढ़ी की बेचैनी का प्रतीक भी है. यदि जल्द ही सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच समाधान नहीं निकला तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं. भारत के लिए सबसे अहम चुनौती अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और नेपाल के साथ रिश्तों को संतुलित बनाए रखना है.
फिलहाल, भारतीय नागरिकों को यही सलाह दी जा रही है कि वे नेपाल यात्रा से बचें और जो लोग वहां फंसे हैं, वे दूतावास के संपर्क में बने रहें. नेपाल के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह जल्द से जल्द हालात सामान्य करे और दुनिया को यह भरोसा दिलाए कि वह एक सुरक्षित पर्यटन स्थल है.
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