Advertisement

नेपोलियन का जिक, फ्रांसीसी क्रांति का उदाहरण, आंबेडकर को कोट किया...संघ प्रमुख ने Gen Z प्रदर्शन पर क्या कहा?

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने विजय दशमी के अवसर पर होने वाले अपने सालाना उद्बोधन में देश को जेन-जी प्रदर्शनों से आगाह किया है. उन्होंने साफ-साफ कहा कि जो लोग हिंसा के माध्यम से सत्ता में बदलाव करना चाहते हैं वो जान लें कि इससे देश में बस उथल-पुथल संभव है, परिवर्तन नही. उन्होंने श्रीलंका-बांग्लादेश, नेपाल पर चिंता जताते हुए फ्रांस की क्रांति का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां क्रांति हुई राजा के खिलाफ, बदले में नेपोलियन बादशाह बन गया.

Image: Mohan Bhagwat / RSS / X

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को महाराष्ट्र के नागपुर में संगठन मुख्यालय में विजयादशमी के अवसर पर संबोधन दिया. उन्होंने देश और समाज के विकास के लिए नए आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण अपनाने का जिक्र किया. इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. 

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने पड़ोसी देशों में हालिया आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रजातांत्रिक मार्गों से ही परिवर्तन आता है. ऐसे हिंसक मार्गों से कभी बदलाव नहीं आता. उथल-पुथल जरूर हो जाती है लेकिन स्थिति नहीं बदलती. दुनिया का इतिहास देख लीजिए. किसी भी उथल-पुथल वाली क्रांति ने अपने उद्देश्य को प्राप्त नहीं किया. फ्रांस की क्रांति राजा के खिलाफ हुई लेकिन उसका परिणाम क्या हुआ, नेपोलियन बादशाह बन गया. पड़ोसी देशों में ऐसे हालात हमारे लिए चिंता का विषय हैं. क्रांतियां कब निरंकुशता में बदल जाती हैं पता नहीं चलता.

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में हुए हालिया प्रदर्शनों, सत्ता विरोधी आंदोलनों का जिक्र करते हुए चेतावनी दी कि लोकतांत्रिक मार्गों से ही समाज या देश में बदलाव संभव है, परिवर्तन आ सकते हैं. ऐसे हिंसक तरीके अपनाने से चीजें कभी बदल नहीं सकती हैं, बस उथल-पुथल आ जाएगी है. हां, स्थिति कभी नहीं बदल सकती हैं.  उन्होंने इसे उदाहरण से समझाते हुए कहा कि दुनिया का इतिहास देख लीजिए, किसी भी उथल-पुथल वाली क्रांति ने अपना मूल उद्देश्य प्राप्त नहीं किया है. उन्होंने आगे कहा कि फ्रांस में राजा के खिलाफ क्रांति हुई, उसका परिणाम क्या हुआ? नेपोलियन बादशाह बन गया. 

संघ प्रमुख ने पड़ोसी देशों की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि उनके हालात हमारे लिए चिंता का विषय हैं. उन्होंने भारत के लोगों को भी आगाह करते हुए कहा कि क्रांतियां कब निरंकुशता में बदल जाती हैं पता नहीं चलता, उल्टा हिंसक तरीकों से उद्देश्य की पूर्ति तो नहीं होती है उल्टा बाहरी ताकतों को खेल खेलने का मौका मिल जाता है.

पहलगाम ने बताया कौन अपना, कौन दुश्मन: मोहन भागवत

संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि धर्म पूछकर आतंकियों ने हिंदुओं की हत्या की. हमारी सरकार और सेना ने पूरी तैयारी के साथ उसका पुरजोर उत्तर दिया. उन्होंने कहा कि इस घटना से हमें दोस्त और दुश्मन का पता चला. हमारी सेना का शौर्य पूरी दुनिया ने देखा. यह घटना हमें सिखा गई कि भले ही हम सभी के प्रति मित्र भाव रखते हैं और रखेंगे, लेकिन अपनी सुरक्षा के प्रति और अधिक सजग रहना पड़ेगा. 

'टैरिफ का जिक्र, आत्मनिर्भरता पर जोर'

मोहन भागवत ने अमेरिका के टैरिफ का जिक्र कर कहा कि देश को स्वदेशी से मजबूत करना होगा. निर्भरता मजबूरी में नहीं बदलनी चाहिए. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमें अपने आर्थिक दर्शन पर आधारित एक नया और टिकाऊ आर्थिक मॉडल तैयार करना होगा. उन्होंने कहा, "दुनिया परस्पर निर्भरता पर चलती है, लेकिन इसके साथ-साथ हमें समझना होगा कि स्वदेशी और स्वावलंबन का कोई विकल्प नहीं है." इस बात की ओर उन्होंने इशारा किया कि हमें अपनी आर्थिक नीति में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देनी होगी.

तैयार करना होगा विकास का नया मॉडल: संघ प्रमुख

उन्होंने यह भी कहा कि विकास केवल आर्थिक प्रगति तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि हमें धर्म आधारित समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण पर आधारित एक नया विकास मॉडल तैयार करना होगा. यह मॉडल सभी धार्मिक उपासना पद्धतियों से ऊपर उठकर सभी को जोड़ने वाला होना चाहिए.

डॉ. भागवत ने बताया कि देश में खासकर नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना और अपनी संस्कृति के प्रति आस्था लगातार बढ़ रही है. संघ के स्वयंसेवकों के साथ-साथ समाज के विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संस्थान व व्यक्ति भी समाज के अभावग्रस्त वर्गों की निस्वार्थ सेवा में सक्रिय हो रहे हैं. इसका परिणाम यह हुआ है कि समाज स्वयं सक्षम हो रहा है और स्वयं की पहल से समस्याओं का समाधान निकाल रहा है.

देश में बढ़ रही संघ की प्रत्यक्ष भागीदारी: भागवत

देश में बढ़ रही संघ की स्वीकार्यता पर मोहन भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों का अनुभव है कि समाज में संघ और उसके कार्यों में प्रत्यक्ष भागीदारी की इच्छा दिन-ब-दिन बढ़ रही है. मोहन भागवत ने कहा, "हमें सक्रिय सामाजिक जागरूकता फैलानी होगी और जो लोग इस परिवर्तन के लिए काम करें, वे स्वयं उदाहरण बनें."

उन्होंने आगे कहा कि हमें अपनी समग्र और एकात्म दृष्टि के आधार पर विकास का रास्ता बनाकर विश्व के सामने एक सफल उदाहरण प्रस्तुत करना होगा. उन्होंने कहा, "अर्थ और काम के पीछे अंधाधुंध भाग रही दुनिया को पूजा, रीति-रिवाज और धार्मिक संस्कारों से ऊपर उठकर ऐसा मार्ग दिखाना होगा जो सभी को साथ लेकर चले और सबकी एक साथ उन्नति सुनिश्चित करे."

Advertisement

यह भी पढ़ें

Advertisement

LIVE
अधिक →