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उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड अब हो जाएगा बीते दिनों की बात, विधानसभा में धामी सरकार ने पेश किया अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025

उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार को अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025 पारित कर दिया गया. इस विधेयक के लागू होने के साथ ही उत्तराखंड में मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता नियम समाप्त हो जाएंगे. साथ ही सभी मदरसों को मान्यता लेनी अनिवार्य होगी. यानी विधेयक के लागू होते ही मदरसा बोर्ड बीते दिनों की बात हो जाएगी.

21 Aug, 2025
( Updated: 21 Aug, 2025
07:01 PM )
उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड अब हो जाएगा बीते दिनों की बात, विधानसभा में धामी सरकार ने पेश किया अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025

उत्तराखंड सरकार की तरफ से विधेयक को पारित करा कर धामी सरकार ने सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को भी बड़ी सौगात दी है. विधेयक के तहत उत्तराखंड में मुस्लिम समुदाय के साथ ही अन्य अल्पसंख्यक समुदायों सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के शैक्षणिक संस्थानों को भी अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा प्राप्त हो सकेगा. अब तक अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों का दर्जा केवल मुस्लिम समुदाय को ही दिया जाता था.

सीएम धामी ने ट्वीट कर शिक्षा विधेयक- 2025 की दी जानकारी 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में एक पोस्ट में कहा कि बुधवार को विधानसभा में उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक- 2025 पारित कर दिया गया. अब तक अल्पसंख्यक संस्थानों की मान्यता केवल मुस्लिम समुदाय तक सीमित थी. सीएम धामी ने आगे कहा- मदरसा शिक्षा व्यवस्था में वर्षों से केंद्रीय छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितताएं, मध्यान्ह भोजन में गड़बड़ियां और प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी जैसी गंभीर समस्याएं भी सामने आ रही थीं.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस विधेयक के लागू होने के साथ ही मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2016 और गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता नियम 2019 एक जुलाई 2026 से समाप्त हो जाएंगे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अब सभी अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षणिक संस्थानों को पारदर्शी मान्यता लेनी होगी. इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता सुदृढ़ होगी विद्यार्थियों के हितों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी.

यह विधेयक राज्य में शिक्षा को देगी नई दिशा 

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके साथ ही सरकार को अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों के संचालन की प्रभावी निगरानी एवं आवश्यक निर्देश जारी करने का अधिकार प्राप्त होगा. निश्चित तौर पर यह विधेयक शिक्षा को नई दिशा देने के साथ ही राज्य में शैक्षिक उत्कृष्टता और सामाजिक सदभाव को मजबूत करेगा.

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बता दें कि इस विधेयक में एक ऐसे प्राधिकरण के गठन का प्रावधान है, जिससे सभी अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता लेना अनिवार्य होगा. यानी अब सूबे में सभी मदरसों को भी सरकार से मान्यता लेनी होगी. यह प्राधिकरण इन संस्थानों में शैक्षिक उत्कृष्टता को सुविधाजनक बनाने एवं उसे बढ़ावा देने का कार्य करेगा ताकि अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और उनका शैक्षणिक विकास हो सके. प्राधिकरण सुनिश्चित करेगा कि इन संस्थानों में उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड की ओर से निर्धारित मानकों के अनुसार शिक्षा दी जाए. विद्यार्थियों का मूल्यांकन निष्पक्ष और पारदर्शी हो.

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