Advertisement

खाकी हुई दागदार…रेप का केस दर्ज करने के लिए ली रिश्वत, रंगे हाथ धरा गया SHO

मिर्जापुर में एंटी करप्शन टीम ने इंस्पेक्टर को 30 हजार की घूस लेते रंगे हाथ पकड़ा। टीम जब खींचकर ले जाने लगी तो इंस्पेक्टर गिड़गिड़ाने लगा। धक्का देकर जबरन गाड़ी में बैठाया, तो बोला- मैं नहीं जाऊंगा, पैसे वापस कर दूंगा। टीम ने इंस्पेक्टर के खिलाफ FIR दर्ज कराई है

कानून के रक्षक जब भक्षक बन जाए तो क्या हो, न्याय के प्रहरी ही अगर नोच खाने के लिए बैठ जाएं तो क्या हो। दरअसल उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर का एक वीडियो इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, वीडियो मिर्जापुर थाने के भीतर का है, कुछ लोग एक वर्दीधारी SHO को जबरदस्ती एक गाड़ी में बिठा रहे हैं और SHO गिड़गिड़ा रहा है, लेकिन वो लोग मान ही नहीं रहे हैं, ये लोग जबरन SHO को गाड़ी में बिठा ही लेते हैं। अब मामला उत्तरप्रदेश का है जहां के मुख्यमंत्री ना तो अपराध को बर्दाश्त करते हैं और ना ही अपराधी को, लेकिन यहां तो थाने के भीतर से भी SHO को घसीट कर लेकर जाया जा रहा है। लेकिन क्यों, क्योंकि शुरू में जो सवाल मैंने पूछा था कि कानून का रक्षक ही जब भक्षक बन जाए तो क्या है, यही हुआ है मिर्जापुर में। 

दरअसल जो लोग SHO को घसीटकर ले जा रहे हैं, ये एंटी करप्शन की टीम है और इन्होंने SHO साहब को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा है। पकड़े जाने के बाद गिड़गिड़ाते हुए कह रहा है कि मैं पैसे वापस कर दूंगा, लेकिन जब ये इंसान एक रेप पीड़िता से तीस हजार रुपए ले सकता है तो सवाल ये भी उठता है कि ना जाने अपनी रिश्वतखोरी के चलते ये कितने लोगों को इंसाफ तो दिलवा ही चुका होगा। इस SHO ने एक रेप पीड़िता से शिकायत दर्ज करने के नाम पर तीस हजार रुपए लिए हैं, शायद यही कारण है कि जिन लोगों को आम इंसान की सुरक्षा के लिए बिठाया गया है, असल में उन्हें सबसे बड़े दुश्मन वही लोग तो हैं। वो तो भला हो उस पीड़िता का कि जब इंस्पेक्टर ने पैसे मांगे तो उसने एंटी करप्शन विभाग से मदद मांगी, इसके बाद SHO को पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया, और पीड़िता ने जैसे ही पैसे दिए, इंसपेक्टर को धर लिया गया।

हालांकि मांगे तो पचास हजार थे, लेकिन बात तीस हजार में तय हुई थी और ये बीस हजार कम करने के लिए भी परिवार को SHO के सामने गुहार लगानी पड़ी। परिवार ने एसपी के लेकर थाने तक गुहार लगाई थी, तब जाकर केस दर्ज करने की हामी भरी गई, लेकिन एवज में पचास हजार भी मांगे गए। एंटी करप्शन टीम के प्रभारी विनय सिंह ने बताया कि मुकदमा लिखने के एवज में थाना प्रभारी शिव शंकर सिंह पीड़ित से पैसा मांग रहा था, टीम ने उसे पकड़कर जेल भेजा है। हालांकि ये कोई पहला मामला नहीं है जब मिर्जापुर से ऐसा मामला सामने आया हो, इससे पहले भी दो मामले सामने आ चुके हैं, इससे पहले भी एक दारोगा शकील अहमद को रिश्वत लेते पकड़ा गया था।

तो यहां सवाल ये भी उठता है कि रेप जैसे गंभीर अपराध में भी अगर पुलिस को शिकायत दर्ज करने के लिए पैसे चाहिए तो कैसे कोई प्रशासन पर यकीन कर सकता है। सवाल ये भी है कि रिश्वत के नाम पर कब तक मजलूमों को नोचा जाता रहेगा। कहीं तो इस भ्रष्टाचार का अंत करना होगा। यहां सवाल ये भी है कि क्या सूबे के मुख्यमंत्री ऐसे थानेदारों पर लगाम लगाने के लिए कोई ऐसा कदम उठाएंगे जो नजीर बन जाए।

Advertisement

यह भी पढ़ें

Advertisement

LIVE
अधिक →