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'राहुल गांधी BJP में शामिल हो जाएं...', कंगना रनौत ने कांग्रेस नेता को दी नसीहत, पुतिन दौरे को लेकर शुरू हुआ सियासी बवाल

रूसी राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे से पहले लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने विपक्ष को विदेशी प्रतिनिधिमंडल से मिलने से रोकने का आरोप लगाया. बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने इसे राजनीति करार देते हुए राहुल गांधी की देशभक्ति पर सवाल उठाए, जबकि बृज लाल ने कहा कि पुतिन का दौरा प्रोटोकॉल के अनुसार हो रहा है.

Rahul Gandhi/ kanagana Ranaut (File Photo)

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने विपक्ष के नेताओं से विदेशी प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात न कराने का दावा कर एक राजनीतिक बहस छेड़ी है. हालांकि, बीजेपी (BJP) के सांसदों ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के दावे को सिर्फ राजनीति करार दिया. बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने कांग्रेस नेता की देशभक्ति पर भी सवाल खड़े किए।  

कंगना रनौत ने क्या कहा?

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर बीजेपी सांसद कंगना रनौत (kangana Ranaut) ने कहा, 'अगर राहुल गांधी खुद की तुलना अटल बिहारी वाजपेयी से कर रहे हैं, तो मेरी उन्हें यही सलाह है कि उन्हें बीजेपी में शामिल हो जाना चाहिए, तभी वह उनके जैसे बन सकते हैं.' कंगना रनौत ने आगे प्रश्नचिन्ह खड़े करते हुए कहा, 'देश के प्रति उनकी (राहुल गांधी) भावना पर सवालिया निशान है. भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय साजिशें हो रही हैं, चाहे वह देश में दंगे कराना हो या 'टुकड़े' करने की साजिशें, यह सवाल खड़े करती हैं.' विपक्ष के नेताओं को विदेशी प्रतिनिधिमंडल से न मिलने देने पर भाजपा सांसद ने कहा, "सरकार के कुछ अपने फैसले होते हैं.'

हर समय राजनीति करते हैं राहुल गांधी: BJP सांसद 

वहीं, भाजपा सांसद बृज लाल ने कहा कि सरकार सब कुछ प्रोटोकॉल के हिसाब से करती है. उसी प्रोटोकॉल के तहत रूसी राष्ट्रपति पुतिन भारत आ रहे हैं. इसलिए काम प्रोटोकॉल के हिसाब से ही होगा. राहुल गांधी इसमें सिर्फ राजनीति कर रहे हैं. वहीं सांसद भीम सिंह ने भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि किसी दृष्टांत के साथ राहुल गांधी बोलते तो बातों को गंभीरता से लिया जाता. पिछले समय में कोई ऐसा दृष्टांत नहीं है. विदेश से आने वाले लीडर्स का अपना एक शेड्यूल होता है. उसके अनुसार प्रोटोकॉल का पालन होता है. भीम सिंह ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी सिर्फ हंगामा करते हैं. उन्हें जहां बोलना चाहिए, वह वहां नहीं बोलते.

बहरहाल, इस विवाद के बाद साफ हो गया है कि पुतिन के दौरे को लेकर लोकसभा में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच इस बहस ने आगामी दौर की राजनीतिक रणनीतियों पर भी ध्यान खींचा है. प्रोटोकॉल और देशहित के नाम पर उठ रहे सवाल अब चर्चा का प्रमुख विषय बन चुके हैं.

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