ISRO-NASA का NISAR सैटेलाइट लॉन्च, 12 दिनों में पूरी धरती को करेगा स्कैन, प्राकृतिक आपदा का पहले से मिलेगा अलर्ट
ISRO का GSLV आज शाम 5:40 बजे NASA-ISRO का मिलकर बनाया गया Synthetic Aperture Radar सैटेलाइट, सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में भेजेगा. इस मिशन की प्लानिंग अमेरिका और भारत की स्पेस एजेंसियों ने करीब 10 साल पहले साथ मिलकर की थी.
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NISAR यानी नासा इसरो सिंथेटिक अर्पाचर रडार को बुधवार 30 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च कर दिया गया है. नासा और इसरो का यह साझा मिशन कई मायनों में महत्वपूर्ण है. जब ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज जैसे विषय दुनिया के लिए चुनौती बने हुए हैं, ऐसे में निसार कई तरह की जानकारियां मुहैया कराएगा. निसार हर 12 दिन में पूरी धरती को मापेगा और डाटा वैज्ञानिकों को भेजेगा.
NISAR मिशन क्या है?
NISAR दरअसल NASA और ISRO का एक मिलाजुला मिशन है, जिसकी लागत करीब 1.5 अरब डॉलर है. ये सैटेलाइट धरती की सतह पर होने वाले बदलावों पर नजर रखेगा — जैसे भूकंप आना, ग्लेशियर्स का पिघलना, जलवायु परिवर्तन (climate change) का असर और कार्बन का अवशोषण (carbon absorption). इसका मकसद सिर्फ साइंटिफिक रिसर्च को बेहतर बनाना ही नहीं, बल्कि ज़िंदगियाँ बचाने में भी मदद करना है.
इस सैटेलाइट को अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित Caltech, Pasadena और भारत के बेंगलुरु में मिलकर बनाया गया है. यह मिशन भारत-अमेरिका के लोकतांत्रिक सहयोग का प्रतीक है और तकनीकी नेतृत्व की दिशा में एक बड़ा कदम है.
क्या काम करेगा NISAR?
NISAR भूकंप की निगरानी, हिमनदों और झीलों के फटने की चेतावनी, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का विश्लेषण, कार्बन अवशोषण की प्रक्रिया को समझेगा. यह मिशन वैज्ञानिकों को पृथ्वी की सतह पर हो रहे परिवर्तनों को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगा साथ ही समय रहते आपदाओं की चेतावनी देकर जान बचाने में सहयोग करेगा.
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