आपको बता दें कि जून में एससीओ की क़िंगदाओ बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ संदेश दिया था कि भारत आतंकवाद पर किसी भी तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं है. साझा बयान में आतंकवाद का मुद्दा न शामिल होने पर भारत ने दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. यह कदम पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष चोट और चीन के लिए भी एक बड़ी नसीहत मानी गई. और आज यही SCO समिट है जिसमें आतंकवाद के खिलाफ साझी लड़ाई पर आम सहमति बन गई है और भारत के स्टैंड का समर्थन किया गया है. न सिर्फ इसमें पहलगाम हमले का जिक्र है बल्कि इसकी निंदा भी की गई है.
चीन में भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, आतंकवाद के मुद्दे पर आम सहमति बनाने में कामयाब हुए PM मोदी, SCO के घोषणापत्र में पहलगाम हमले की निंदा
भारत ने चीन के तियानजिन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में बड़ी कूटनीतिक सफलता दर्ज की. पीएम मोदी की पहल पर सदस्य देशों ने आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई और दोहरे मापदंडों को नकारने पर सहमति जताई. इस संबंध में घोषणापत्र जारी कर दिया गया है.
Image: MEA / X
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चीन के तियानजिन में संपन्न शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों ने एक स्वर में आतंकवाद की निंदा की और साफ कहा कि आतंकवाद से निपटने में किसी भी तरह के दोहरे मापदंड स्वीकार्य नहीं होंगे. इस दौरान विशेष रूप से 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया गया, जिसमें कई निर्दोषों की जान गई थी. ये भारत की एक तरह कूटनीतिक जीत है. इससे पहले इसी तरह के मंत्री स्तर की SCO समिट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दस्तावेज पर साइन करने से इनकार कर दिया था क्योंकि इसमें पहलगाम हमले का जिक्र नहीं था.
जून में SCO समिट में राजनाथ सिंह ने दस्तावेज पर साइन करने से कर दिया था इनकार
आतंकवाद के खिलाफ आम सहमति बनाने में कामयाब रहे PM मोदी
सदस्य देशों ने इस हमले की कड़े शब्दों में भर्त्सना की और मृतकों व घायलों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की. उन्होंने जोर दिया कि ऐसे हमलों के दोषियों, आयोजकों और प्रायोजकों को हर हाल में न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए. घोषणापत्र में स्पष्ट किया गया कि आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का किसी भी निजी या स्वार्थपूर्ण उद्देश्य के लिए इस्तेमाल पूरी तरह अस्वीकार्य है. एससीओ ने दोहराया कि इन खतरों से निपटने में संप्रभु राष्ट्रों और उनकी सक्षम संस्थाओं की अग्रणी भूमिका को मान्यता दी जानी चाहिए.
सदस्य देशों ने सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़े, जिसमें सीमा पार आतंकवाद और आतंकियों की आवाजाही पर रोक भी शामिल हो. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई न केवल सुरक्षा का सवाल है बल्कि यह वैश्विक मानवता और न्याय का भी मुद्दा है.
पीएम मोदी की पहल को मिला व्यापक समर्थन
बैठक में भारत की पहल को भी व्यापक समर्थन मिला. घोषणापत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बताई थीम “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” का उल्लेख किया गया. साथ ही सदस्य देशों ने 3 से 5 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में आयोजित 5वें एससीओ स्टार्टअप फोरम और 21–22 मई 2025 को आयोजित 20वें एससीओ थिंक टैंक फोरम का स्वागत किया. इन आयोजनों को विज्ञान, तकनीक, नवाचार और सांस्कृतिक-मानवीय आदान-प्रदान के क्षेत्र में सहयोग को गहरा करने के लिहाज से अहम बताया गया.
भारत के कार्य की हुई सब ओर सराहना
भारतीय विश्व मामलों की परिषद (आईसीडब्ल्यूए) में स्थापित एससीओ अध्ययन केंद्र की भूमिका को भी सराहा गया, जिसने क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने और सांस्कृतिक संवाद को बढ़ाने में योगदान दिया है.
आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई का लिया गया संकल्प
घोषणापत्र में यह भी संकल्प लिया गया कि सदस्य देश आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के अलावा ड्रग्स व हथियारों की तस्करी और संगठित अपराध के अन्य रूपों से भी मिलकर लड़ेंगे. एससीओ देशों ने वैश्विक स्तर पर एक व्यापक आतंकवाद-रोधी कन्वेंशन को आम सहमति से अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
तियानजिन समिट ने यह स्पष्ट कर दिया कि एससीओ देशों के लिए आतंकवाद सबसे बड़ी साझा चुनौती है और इससे निपटने के लिए एकजुटता और बिना किसी दोहरे मापदंड के ठोस कदम उठाना ही एकमात्र विकल्प है.
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