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नेपाल-श्रीलंका नहीं है भारत, किसने किया, सब पता है, चुन-चुनकर होगा हिसाब, लद्दाख हिंसा पर LG की सख्त चेतावनी

लेह-लद्दाख में विभिन्न मांगों को लेकर हुआ प्रदर्शन हिंसक हो गया. यहां निशाना बनाकर हिंसा हुई, चुन-चुन कर दफ्तरों को आग के हवाले कर दिया गया. कहा जा रहा है कि श्रीलंका, बांग्लादेश का हवाला देकर लोगों को भड़काया गया. LG कविंद्र गुप्ता ने चेतावनी दी है कि भारत को नेपाल और श्रीलंका समझने की भूल मत करना. हर विदेशी एंगल, फंडिग और साजिश की जांच हो रही है. किसी को नहीं छोड़ेंगे, सबका हिसाब होगा. नेपाली भी रडार पर हैं.

LG Ravindra Gupta Warns Conspirator of Ladakh Violence

लद्दाख में छठवीं अनुसूची और राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर एक्टिविसट सोनम वांगचुक द्वारा शुरू किया गया अनशन हिंसक हो गया. प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने बीजेपी ऑफिस और लेह के मुख्य कार्यकारी पार्षद कार्यालय पर हमला कर दिया और उसमें आग वगा दी. इस प्रदर्शन को किसने हवा दी? किसने युवाओं को हिंसा पर उकसाया और किसके कहने पर आगजनी और तोड़फोड़ हुई? उपद्रव की एक-एक परत खुलकर सामने आन लगी है.

वांगचुक का धरना और बाद में हुई हिंसा को लेकर जांच एजेंसियां एक्टिव हो गई हैं. जांच हर एंगल से हो रही है. साजिश, नेपाल एंगल, जेन जी सहित हर उस चीज को खंगाला जाएगा जो इसमे संलिप्त थे. चाहे जमीन पर हो या सोशल, हर उस चीज की जांच होगी कि जिसने इसे भड़काने का काम किया. सरकार इसे बड़ी साजिश मान रही है. इस संबंध में लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) कविंद्र गुप्ता ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि लद्दाख को जलाने का प्लान था. सुरक्षाबलों के साथ हाईलेवल मीटिंग के बाद LG ने कहा कि इस पूरे उकसावे और घटना को अंजाम देने में कई राजनीतिक दल शामिल थे. और तो और इस ह‍िंसा में 7 नेपाली भी जख्‍मी भी हुए हैं.

लद्दाख हिंसा का नेपाल कनेक्शन, एजेंसियों के होश उड़े!

सरकार और एजेंसियां ये पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि लेह-लद्दाख जैसे शांत इलाके में उपद्रव हुआ तो हुआ कैसे? इस बात की भी तलाश हो रही है कि इतनी भीड़ एक साथ अचानक कहां से आ गई? कैसे सिर्फ कुछ खास लोगों को टार्गेट किया गया और चुन-चुन कर दफ्तरों को आग के हवाले कर दिया गया.

सुरक्षा सूत्रों के अनुसार लेह ह‍िंसा में ‘नेपाल कनेक्‍शन’ भी है. कहा जा रहा है कि नेपाली नागर‍िकों और नाबाल‍िगों को बुलाया गया और उन्‍हें उपद्रव करने के ल‍िए भड़काया गया. जानकारी के मुताबिक 20 से ज्‍यादा नेपाली नागर‍िक पुलि‍स की रडार पर हैं. 

'किसी को नहीं छोड़ेंगे'

लेह-लद्दाख के उपराज्यपाल गुप्ता ने इस संबंध में बड़ा खुलासा किया कि प्रशासन के पास पूरी जानकारी है कि कौन विदेश जा रहा है और फंडिंग कहां से हो रही है. उन्होंने चेतावनी दी कि GEN-Z, बांग्लादेश और श्रीलंका का हवाला देकर लोगों को भड़काने वालों को किसी हाल में छोड़ा नहीं जाएगा. LG के मुताबिक हिंसा के बाद कई लोग लेह से भाग चुके हैं और अब पूरे मामले की जांच तेज़ी से आगे बढ़ रही है. साजिशकर्ताओं का हिसाब जरूर होगा और दोषियों को कड़ी सज़ा दी जाएगी.

वहीं पुलिस सूत्रों ने बताया कि हिंसा को भड़काने की साजिश पहले से रची गई थी. अब तक 50 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें कई नाबालिग भी शामिल हैं. गिरफ्तार किए गए लोगों में कुछ नेपाली नागरिक भी हैं, जिनकी भूमिका पर भी संदेह जताया जा रहा है और उनकी गहन जांच की जा रही है.

सरकार ने लद्दाख हिंसा पर क्या कहा?

सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार, वांगचुक ने 10 सितंबर 2025 से अनशन शुरू किया था. सरकार का कहना है कि लद्दाख की मांगों को लेकर केंद्र सरकार लगातार एपेक्स बॉडी लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ संवाद में रही है. इसके लिए हाई-पावर्ड कमेटी (एचपीसी) और सब-कमेटी के ज़रिए औपचारिक बातचीत और कई अनौपचारिक बैठकें हो चुकी हैं.

सरकार ने बताया कि इस संवाद प्रक्रिया के तहत अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए आरक्षण 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 84 प्रतिशत करना, स्थानीय परिषदों में महिलाओं को 1/3 आरक्षण देना और भोटी और पुर्गी भाषाओं को राजकीय भाषा का दर्जा देने जैसी बातें सामने आई. इसके साथ ही 1,800 पदों पर भर्ती प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.
सरकार ने कहा कि ये सभी कदम लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उठाए गए हैं.

मोदी सरकार की शांति की पहल को कौन कर रहा डिरेल?

सरकारी बयान में कहा गया है कि कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित व्यक्ति एचपीसी के अंतर्गत हुई प्रगति से संतुष्ट नहीं हैं और वे इस प्रक्रिया को विफल करने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, एचपीसी की अगली बैठक 6 अक्टूबर को तय की गई है, जबकि 25 और 26 सितंबर को भी नेताओं से मुलाकात की योजना बनाई गई है.

क्या नेपाल के जेन जी आंदोलन की तरह चलाया गया पायलट प्रोजेक्ट?

सरकार का आरोप है कि सोनम वांगचुक ने अपने अनशन के दौरान 'अरब स्प्रिंग' और 'नेपाल की जेनजी' जैसे उदाहरण देकर लोगों को भड़काया. 24 सितंबर को सुबह 11:30 बजे, अनशन स्थल से भीड़ निकलकर एक राजनीतिक दल के कार्यालय और सरकारी दफ्तर पर टूट पड़ी. कार्यालयों में आग लगाई, पुलिस वाहनों को जलाया गया और 30 से ज्यादा पुलिस एवं सीआरपीएफ कर्मी घायल हुए. पुलिस को आत्मरक्षा में फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें कुछ जानमाल की हानि भी हुई है. हालात को शाम 4 बजे तक नियंत्रण में ले लिया गया.

सरकार ने कहा कि जब यह हिंसक घटनाएं हो रही थीं, उसी दौरान सोनम वांगचुक ने चुपचाप अनशन तोड़ दिया और एम्बुलेंस से अपने गांव रवाना हो गए, लेकिन उन्होंने हालात को शांत करने की कोई गंभीर कोशिश नहीं की.

वहीं LG कविंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि कुछ समूह निहित स्वार्थों के लिए क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “इस हिंसा के पीछे जो लोग हैं, उनकी पहचान की जाएगी और उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा. इस तरह की हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. मैं लद्दाख के लोगों, खासकर युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं.”

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