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भारत पीछे हटने को तैयार नहीं है... US-India ट्रेड डील पर अमेरिकी वित्त मंत्री का बड़ा बयान, कहा- वो अड़े हुए हैं, झुकेंगे नहीं

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार जारी वार्ता के बीच अमेरिकी वित्त मंत्री ने माना है कि ट्रेड डील पर भारत के स्टैंड के कारण वो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रहे हैं. उन्होंने इशारों ही इशारों में साफ कर दिया कि मौजूदा हालात को देखकर लग रहा है कि भारत झुकेगा नहीं.

Image: Scott Bessent And Donald Trump

वैश्विक मामले हों, घरेलू मामलात हों, व्यापार के मुद्दे हों या फिर विदेश नीति निर्धारित करने हों…भारत ने ना ही कभी किसी देश के हस्तक्षेप को सवीकारा है और ना ही कभी करेगा. शायद इसी कारण डोनाल्ड ट्रंप भारत से चिढ़े हुए हैं और अपनी खुन्नस निकाल रहे हैं. उनके भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ और पाकिस्तान को भाव देना हो - ये बताता है कि वो भारत को झुकाने के लिए किसी हद तक जा सकते हैं, लेकिन उनकी कोशिशें सफल नहीं हो रही हैं और ये अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट के बयान से साफ झलक रहा है.

'भारत झुकेगा नहीं'

स्कॉट बेसेंट ने एक तरह से मान लिया है कि भारत ट्रेड डील, वो भी अमेरिकी दादागिरी के तहत बनाई गई और भारत के लिए अहितकारी, कभी स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने एक तरह से कह दिया है कि भारत व्यापार वार्ता में झुकेगा नहीं. बेसेंट ने साफ-साफ मान लिया है कि उसका रुख थोड़ा सख्त है.

उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार को लेकर चल रही बातचीत में भारत थोड़ा सख्त रुख अपना रहा है. यह बात बेसेंट ने मंगलवार को फॉक्स बिजनेस चैनल पर एक सवाल के जवाब में कही. उनसे पूछा गया था कि क्या सभी टैरिफ (आयात-निर्यात शुल्क) और व्यापार समझौते अक्टूबर तक पूरे हो जाएंगे. उन्होंने जवाब दिया, "हम ऐसा ही चाहते हैं."

'ट्रेड डील पर भारत अपना रहा सख्त रुख'

उन्होंने आगे कहा, "मुझे लगता है कि हम एक अच्छी स्थिति में हैं. कई बड़े व्यापारिक समझौते अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं या उन पर अभी सहमति नहीं बनी है. स्विट्ज़रलैंड के साथ बातचीत चल रही है, लेकिन भारत थोड़ा सख्त रुख दिखा रहा है.’

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता लगातार जारी है. दोनों देशों ने मिलकर इस बात का लक्ष्य रखा है कि अक्टूबर-नवंबर तक व्यापार समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप दिया जाए. हालांकि इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाए जाने की घोषणा ने इन बातचीतों की दिशा को कुछ हद तक प्रभावित किया है. यह टैरिफ विशेष रूप से रूस से तेल की खरीद पर केंद्रित है, जिसमें 25 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा और यह 27 अगस्त से लागू होगा.

भारत का अमेरिकी टैरिफ पर जवाब

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत को इस तरह निशाना बनाना "अन्यायपूर्ण और अनुचित" है. मंत्रालय ने दो टूक कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए निर्णय लेता है और किसी भी प्रकार के बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा. भारत का यह रुख अमेरिका के साथ बातचीत में उसके सख्त लेकिन संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है.

इस बीच अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को लेकर स्थिति स्पष्ट की है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि अमेरिका के भारत और पाकिस्तान—दोनों के साथ मजबूत और सहयोगात्मक रिश्ते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के साथ अमेरिका का काम करना न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी लाभदायक साबित होगा. उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि राष्ट्रपति ट्रंप दोनों देशों के नेताओं को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं और खुले संवाद में विश्वास रखते हैं.

यह बयान उस समय आया जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर की ट्रंप से मुलाकात के बाद यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि अमेरिका पाकिस्तान को हथियारों की बिक्री में बढ़ोतरी कर सकता है. साथ ही यह सवाल भी उठे कि क्या यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ट्रंप के संबंधों को प्रभावित करेगा.

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और कूटनीतिक संबंधों में उतार-चढ़ाव देखे जा रहे हैं. व्यक्तिगत और पर्सनल लेवल पर आने वाले थॉट्स के आधार पर फैसले ले रहे ट्रंप ने दशकों की मजबूत साझेदारी को जमीन पर ला दिया है और जो विश्वास पैदा होने शुरू हुए थे वो फिर से शून्य पर पहुंच गए हैं. आने वाले महीनों में होने वाली वार्ताएं यह तय करेंगी कि यह साझेदारी किस दिशा में आगे बढ़ेगी-सहयोग की ओर या प्रतिस्पर्धा की ओर. फिलहाल, भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने हितों से कोई समझौता नहीं करेगा.

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