भारत और चीन की बढ़ती नजदीकियां... पांच साल बाद फिर शुरू हुई सीधी उड़ान, अमेरिका को मिर्ची लगना तय
भारत और चीन के बीच पांच साल बाद सीधी हवाई सेवा फिर से शुरू हो गई है. रविवार रात इंडिगो की कोलकाता-ग्वांगझू उड़ान रवाना हुई. कोविड और सीमा विवाद के कारण 2020 से यह सेवा बंद थी. अब यह उड़ान रोजाना चलेगी. चीन के डिप्टी कॉन्सल जनरल ने इसे पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात का सकारात्मक नतीजा बताया और द्विपक्षीय संबंधों में नए दौर की शुरुआत करार दिया.
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भारत और चीन के बीच बीते कई वर्षों से जारी तनावपूर्ण रिश्ते अब लगातार सुधरते हुए दिखाई दे रहे है. इसी का नतीजा है कि पांच साल बाद दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवा फिर से बहाल हो गई है. रविवार की रात 10 बजे इंडिगो एयरलाइंस की कोलकाता-ग्वांगझू नॉन-स्टॉप उड़ान चीन के लिए रवाना हुई. हवाई सेवा के बहाली को लेकर अधिकारियों ने बताया कि 2020 के बाद यह पहली उड़ान है जो भारत के किसी शहर से चीन के लिए शुरू हुई है. कोविड-19 वैश्विक महामारी और सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के बीच यह हवाई संपर्क लंबे समय से ठप था. इस हवाई सेवा की शुरुआत से अमेरिका की चिंता बढ़ना भी तय माना जा रहा है.
नई मित्रता की हुई शुरुआत
इंडिगो एयरलाइंस के प्रवक्ता ने बताया कि यह उड़ान अब प्रतिदिन संचालित की जाएगी. उड़ान रवाना होने से पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (एनएससीबीआई) पर एक संक्षिप्त समारोह आयोजित किया गया. इस अवसर पर एक चीनी यात्री ने दीप प्रज्वलित किया, जो नई मित्रता और सहयोग का प्रतीक माना जा रहा है. समारोह में एनएससीबीआई हवाई अड्डा निदेशक डॉ. पी. आर. बौरिया, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) तथा इंडिगो एयरलाइंस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. समारोह की हल्की उत्साहपूर्ण माहौल में दोनों देशों के संबंधों में सकारात्मक बदलाव का संदेश दिया गया.
PM मोदी और जिनपिंग की मुलाकात का पहला नतीजा
चीन के डिप्टी कॉन्सल जनरल किन योंग ने इस अवसर पर कहा, 'आज भारत और चीन के लिए बहुत अहम दिन है. पांच सालों के निलंबन के बाद यह द्विपक्षीय संबंधों में बड़ा सुधार है. हम लंबे समय से इसकी उम्मीद कर रहे थे और यह हमारे रिश्तों के लिए काफी अहम है.' उन्होंने कहा कि इस उड़ान के बहाल होने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हालिया मुलाकात का पहला ठोस परिणाम है. विशेष रूप से उन्होंने बताया कि चीनी पक्ष के लिए भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध बेहद महत्वपूर्ण हैं और बीते सालों में नेताओं द्वारा दिखाए गए आम सहमति के बाद अब यह उड़ान दो नेताओं के बीच समझौते का पहला संकेत है.
अमेरिका को लगेगी मिर्ची
जानकारों का मानना है कि यह कदम अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव और टैरिफ दबाव के बीच दोनों एशियाई देशों के रिश्तों में सामान्यीकरण का संकेत है. गलवान घाटी में 2020 में हुई झड़प के बाद भारत-चीन संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे. लेकिन अगस्त में शी जिनपिंग से प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात के बाद यह पहल संभव हो पाई है. विश्लेषक यह भी मानते है कि ये उड़ान एक सामान्य सेवा नहीं बल्कि अमेरिका को तनाव देने वाला कदम है. क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर अतिरिक्त टैरिफ का भार दिए जाने के बाद दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हुए. इसके बाद चीन में हुई SCO की बैठक में पीएम मोदी ने शिरकत की इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन से उनकी मुलाकात की तस्वीरों ने अमेरिका को परेशान किया. इसके चलते अमेरिका के ही व्यापारिक जानकारों ने ट्रम्प की आलोचना करते हुए कई बार कहा कि वो अपनी टैरिफ नीति के चलते भारत को खो रहे हैं. वहीं भारत और चीन की बढ़ती नज़दीकी अमेरिका का नुकसन करेगी. जो अब आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है.
बताते चलें कि कोलकाता-ग्वांगझू उड़ान न केवल व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देगी बल्कि दोनों देशों के बीच विश्वास और कूटनीतिक सहयोग को भी मजबूत करेगी. पांच साल बाद बहाल हुई यह सीधी उड़ान दोनों देशों के पुराने घाव भरने और संबंधों में नई गति लाने का प्रतीक मानी जा रही है.
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