'भारत आर्थिक महाशक्ति, दूसरे से तुलना ठीक नहीं...', फिनलैंड के राष्ट्रपति की ट्रंप को दो टूक, यूरोप को भी चेताया, VIDEO
डोनाल्ड ट्रंप के एक करीबी दोस्त और यूरोप के अहम देश, फिनलैंड के राष्ट्रपति ने भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की चीन-रूस की तरह की दोस्ती से तुलना ठीक नहीं. भारत के पास हर चीज है. वो आर्थिक महाशक्ति है, उसके पास डेमोग्राफी है. अगर पश्चिमी देश उसके साथ सम्मानजनक और सहयोगात्मक रवैया नहीं अपनाते हैं तो वो लोग रेस में काफी पीछे रह जाएंगे और चीन उस गैप को भर देगा.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से भारत को लेकर गलतबयानी, अपमानजनक रवैया अपनाया और टैरिफ लगाया है, दुनियाभर में न्यू वर्ल्ड ऑर्डर को लेकर बहस शुरू हो गई है. अब इस संबंध में फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब ने बड़ा बयान दिया है. जो बात अमेरिकी प्रोफेसर, डिप्लोमेट और दिग्गज कह रहे हैं वही कुछ बात फीनिश राष्ट्रपति ने कही है. उन्होंने साफ कर दिया है कि आप कतई भारत को रूस और चीन के साथ एक ही श्रेणी (बास्केट) में नहीं रख सकते. इतना ही नहीं उन्होंने पश्चिनी देशों, यूरोप और अमेरिका से अपील की है कि वो हिंदुस्तान के साथ संबंधओं को और मजबूती प्रदान करे.
'भारत जिसके पाले में, उसी की तूती'
ये कोई पहला मौका नहीं है जब स्टब ने इस तरह की बात की है. इससे पहले आपको याद होगा कि अमेरिका के न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर एडवर्ड प्राइस ने भी कहा था कि 'मैं भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी को 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी मानता हूं. यह साझेदारी तय करेगी कि चीन और रूस के बीच क्या होता है. 21वीं सदी में भारत के पास निर्णायक वोट है. वह इस सदी का एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है. भारत आगे और भी शक्तिशाली बनने की ओर अग्रसर है.'
प्रोफेसर एडवर्ड प्राइस की इसी बात को स्टब ने आगे बढ़ाया है. फिनलैंड के राष्ट्रपति ने कहा कि अगर रूस और चीन के बीच में संबंध गहरे हैं या वो मजबूत हो रहे हैं तो उसकी अपनी वजहें हैं. उन्होंने. दोनो के बीत की गहरी दोस्ती के बारे में कहा कि "1990 के दशक की शुरुआत में रूस और चीन की अर्थव्यवस्थाएं लगभग एक समान थीं, लेकिन अब चीन की अर्थव्यवस्था रूस से दस गुना बड़ी है. रूस द्वारा तेल और गैस की खरीद, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के जरिए चीन रूस को युद्ध जारी रखने की संभावना प्रदान करता है. इस तरह दोनों देशों के बीच बहुत गहरा संबंध है." उन्होंने इस उदाहरण के साथ ये बताने की कोशिश की कि रूस-चीन दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है. मॉस्को और बीजिंग एक-दूसरे के पूरक हैं.
'भारत आर्थिक महाशक्ति है'
हालांकि पत्रकार ने यही सवाल भारत के हवाले से पूछा कि नई दिल्ली, रूस और चीन के बीच उभर रहे नेक्सस और गठबंधन के बारे में क्या सोचते हैं तो उन्होंने हिंदुस्तान को इस समीकरण से अलग रखा. उन्होंने कहा कि "भारत को मैं रूस और चीन के साथ एक ही टोकरी (श्रेणी) में नहीं रखूंगा. भारत यूरोपीय संघ और अमेरिका का एक करीबी सहयोगी है. यह एक उभरती हुई महाशक्ति है, जिसके पास जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) और आर्थिक ताकत है. मैं हमेशा यह तर्क देता हूं कि पश्चिमी देशों के लिए भारत के साथ जुड़ाव और सहयोग बहुत जरूरी है."
भारत के साथ सहयोग और सम्मान जरूरी, नहीं तो तबाही: स्टब
आपको बताएं कि ये कोई पहला मौका नहीं है जब स्टब ने इस तरह का बयान दिया है. उनकी नीति इस मामले में समान रही है. उन्होंने इससे पहले कहा था कि भारत जैसे देशों के साथ अधिक सम्मानजनक विदेश नीति अपनाने की जरूरत है. अगर ऐसा नहीं होता है तो आने वाले दिनों में यूरोप पीछे रह जाएगा. उन्होंने कहा था कि ग्लोबल वेस्ट का भविष्य भारत और ग्लोबल साउथ (भारत) के साथ सहयोग पर निर्भर करता है. भारत के बिना पश्चिम हार जाएगा. बीते दिनों संपन्न हुए चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से सामने आई तस्वीरों पर उन्होंने चिंता जताई थी और यूरोप-अमेरिका को सलाह दी थी.
SCO की बैठक को लेकर हुए सवाल पर स्टब ने कहा था कि एससीओ शिखर सम्मेलन में जो कुछ हुआ और दिखा वह लंबे समय से पर्दे के पीछे चल रहा था. इतना ही नहीं उन्होंने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी कि उनकी एकता को कमजोर करने की कोशिश हो रही है. इसलिए उन्हें संभलने की जरूरत है. इसके लिए उन्होंने ग्लोबल साउथ के अगुआ भारत और अन्य देशों के साथ सहयोगात्मक और सम्मानजन तरीके से पेश आने और नीति बनाने की अपील की थी. उन्होंने आगे कहा था कि एससीओ शिखर सम्मेलन ने पश्चिम को यह याद दिलाया कि दांव पर क्या है. हम पुरानी व्यवस्था के अवशेषों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं."
भारत के साथ मजबूत संबंध पश्चिम की जरूरत
राष्ट्रपति स्टब ने अपने कई बयानों में भारत को लेकर सकारात्मक बयान दिया. उन्होंने हिदुस्तान को एक महाशक्ति बताते हुए उसे वेस्ट के एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने ये भी कहा कि भारत न केवल एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति है, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका भी बढ़ती जा रही है. उन्होंने सलाह दी कि पश्चिमी देशों को भारत के साथ अपने संबंधों को और गहरा करना चाहिए ताकि वैश्विक भू-राजनीति में संतुलन बनाया जा सके.
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