'अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं...', असम में फिर गरज रहा हिमंत सरकार का बुलडोजर, 580 घर होंगे जमींदोज
असम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार अतिक्रमण और घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है. गोलपाड़ा जिले में वन विभाग की 1140 बीघा जमीन से 580 परिवारों को हटाने का अभियान जारी है. डीसी प्रदीप तिमुंग के अनुसार, कार्रवाई दो दिन तक चलेगी. यह जमीन दहिकाता रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में आती है. सीएम सरमा ने हाल ही में फेसबुक लाइव में स्पष्ट किया था कि बेदखली अभियान पूरे राज्य में व्यापक स्तर पर जारी रहेगा.
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असम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार अतिक्रमण और घुसपैठियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है. प्रदेश में लगातार बुलडोजर कार्रवाई जारी है. ताजा मामला गोलपाड़ा जिले से सामने आया है, जहां स्थानीय प्रशासन और वन विभाग की संयुक्त टीम ने बड़ी कार्रवाई शुरू की है.
जानकारी के अनुसार, वन विभाग की करीब 1140 बीघा जमीन पर अतिक्रमण कर रह रहे 580 परिवारों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. प्रशासन ने मौके पर सुरक्षा बलों की तैनाती की है और अतिक्रमित इलाकों में बुलडोजर की गर्जना शुरू हो चुकी है. अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक पूरी जमीन को खाली नहीं करा लिया जाता. सरकार का दावा है कि यह कार्रवाई प्रदेश में अवैध कब्जों को हटाने और वन भूमि को बचाने के उद्देश्य से की जा रही है. वहीं, प्रभावित लोगों का कहना है कि उन्हें विस्थापन के बाद पुनर्वास की कोई ठोस व्यवस्था नहीं दी गई है. प्रशासन ने इस पर जवाब देते हुए कहा है कि नियमों के तहत जो भी पात्र होंगे, उन्हें राहत दी जाएगी.
प्रशासन ने दी कार्रवाई की जानकारी
गोलपाड़ा के जिलाधिकारी प्रदीप तिमुंग ने बताया कि इस इलाके को पूरी तरह खाली करवाने की कार्रवाई में लगभग दो दिन का समय लग सकता है. उन्होंने कहा कि जिन परिवारों के ठिकानों पर आज कार्रवाई की जा रही है, उन्हें बेदखली का नोटिस पहले ही जारी किया जा चुका था. डीसी तिमुंग के अनुसार, यह पूरा इलाका दहिकाता रिजर्व फॉरेस्ट के अंतर्गत आता है, जहां वर्षों से कुछ परिवारों ने अवैध कब्जा कर अपने ठिकाने बना लिए थे. प्रशासन ने साफ किया है कि अतिक्रमण हटाने की यह कार्रवाई नियमानुसार और चरणबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी.
असम में युद्ध स्तर पर जारी बेदखली अभियान
असम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के निर्देश पर इस वर्ष पूरे राज्य में बेदखली अभियान बड़े पैमाने पर चलाया जा रहा है. कई जिलों में प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीमों ने अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई की है. सरकार का कहना है कि यह कदम राज्य में तेजी से बदलते जनसांख्यिकीय संतुलन को नियंत्रित करने और अवैध कब्जों को हटाने के उद्देश्य से उठाया गया है. इस कार्रवाई से बंगाली मूल के मुसलमानों पर सबसे अधिक असर पड़ा है. बीते जुलाई और अगस्त में यह अभियान सबसे तेज गति से चला था, लेकिन 19 सितंबर को असमिया गायक ज़ुबिन गर्ग की मौत के बाद कुछ समय के लिए अभियान की रफ्तार धीमी पड़ गई थी. अब एक बार फिर रविवार से यह बेदखली अभियान तेजी पकड़ चुका है, और प्रशासन का कहना है कि इसे अब लगातार जारी रखा जाएगा.
CM सरमा ने किया था अभियान का ऐलान
दरअसल, करीब दो दिन पहले मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने फेसबुक लाइव के दौरान प्रदेश में चल रहे बेदखली अभियान को लेकर बड़ा ऐलान किया था. इस दौरान उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को यह लग सकता है कि प्रदेश में बेदखली की कार्रवाई अब बंद हो गई है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. मुख्यमंत्री सरमा ने स्पष्ट किया कि यह अभियान पूरे राज्य में व्यापक स्तर पर जारी रहेगा, और सरकार किसी भी कीमत पर अवैध कब्जों को बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि प्रशासन को निर्देश दे दिए गए हैं कि जहां भी अतिक्रमण की शिकायत मिले, वहां कड़ी कार्रवाई की जाए.
बताते चलें कि असम सरकार का यह बेदखली अभियान अब राज्य की सबसे बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई बनता जा रहा है. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के निर्देश पर चल रही यह मुहिम फिलहाल रुकने के संकेत नहीं दे रही है. प्रशासन का कहना है कि अवैध कब्जों से राज्य की भूमि को मुक्त कराना सरकार की प्राथमिकता है, वहीं प्रभावित परिवारों का दर्द और पुनर्वास की मांग इस मुद्दे को और संवेदनशील बना रही है. आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि सरकार विकास और मानवीय संतुलन के बीच किस तरह का रास्ता तय करती है.
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