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‘बाबरी मस्जिद की नींव रखूँगा...', TMC विधायक ने दिया विवादित बयान, हाईवे पर कब्जे की दे डाली चेतावनी

अयोध्या में राम मंदिर के ध्वजा स्थापना के बाद, टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद’ जैसी मस्जिद की नींव रखने की घोषणा की और चेतावनी दी कि रोकने पर एनएच-34 मुस्लिमों के नियंत्रण में होगा.

Mamata Banerjee/ Humanyu Kabir (File Photo)

अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर भव्य मंदिर का बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन कुछ कट्टरपंथी अब भी बाबरी मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में राम मंदिर में भव्य धर्म ध्वजा की स्थापना की गई, जिसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की पार्टी टीएमसी (TMC) के विधायक का विवादित बयान सामने आया है. पार्टी के विधायक हुमायूं कबीर ने मंगलवार को विवाद बढ़ाते हुए घोषणा की कि वह 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद जिले में ‘बाबरी मस्जिद’ जैसी एक मस्जिद की नींव रखेंगे. इतना ही नहीं, उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इस कार्यक्रम को रोकने की कोशिश की गई, तो उस दिन नेशनल हाईवे-34 पर 'मुस्लिमों का नियंत्रण' होगा.

दरअसल, बेलडांगा से टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर (Humayun Kabir) पिछले काफी समय से पार्टी लाइन से अलग तेवर दिखा रहे हैं. हाल ही में उन्होंने एक नए संगठन के गठन की इच्छा भी सार्वजनिक की थी. मंगलवार को मीडिया से बातचीत में कबीर ने मुर्शिदाबाद जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि अधिकारी 'आरएसएस एजेंट' की तरह काम कर रहे हैं. उन्होंने प्रशासन को चेताते हुए कहा कि उनके कार्यक्रम में बाधा डालना आग से खेलने जैसा होगा और इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं.

अगले साल होने हैं विधानसभा चुनाव 

राज्य में अगले वर्ष की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं, और इसी पृष्ठभूमि में टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने अपने बयानों से सियासी तापमान बढ़ा दिया है. कबीर ने कहा कि उन्होंने एक साल पहले ही बेलडांगा में ‘बाबरी मस्जिद’ जैसी संरचना की नींव रखने की घोषणा कर दी थी, फिर अब विरोध क्यों किया जा रहा है? उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन बीजेपी के इशारे पर कार्रवाई कर रहा है. कबीर ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उन्हें यह कार्यक्रम करने से रोका गया, तो 'एनएच-34 मुस्लिम समुदाय के नियंत्रण में होगा.' इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकार और प्रशासन पर 'आरएसएस के प्रभाव में काम करने' का आरोप लगाया. कबीर का कहना है कि वह किसी भी तरह की अशांति नहीं चाहते, लेकिन यदि शांतिपूर्ण कार्यक्रम में बाधा डाली गई, तो वे जवाब देने के लिए तैयार हैं.

TMC ने बयान से बनाई दूरी

कबीर के बयान के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि महीनों से खुलकर विरोध करने के बावजूद टीएमसी ने उनके खिलाफ अब तक कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठाया, खासकर तब जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी फिलहाल मुर्शिदाबाद में मौजूद हैं. पार्टी ने आधिकारिक रूप से कबीर के विवादित बयान से दूरी बना ली है. उधर, राज्य के मंत्री और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के बंगाल अध्यक्ष सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने कहा कि राज्य में खतरनाक स्थिति पैदा करने के लिए एक नया भावनात्मक माहौल तैयार किया जा रहा है, जो बंगाल की शांति के लिए चिंता का विषय है. टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने हुमायूं कबीर के असर और राजनीतिक वजन को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता ममता बनर्जी पर भरोसा करती है और किसी के बयान से कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्होंने स्पष्ट किया कि कबीर की बातों का कोई महत्व नहीं है. पार्टी की ओर से भी लगातार यही रुख अपनाया गया है कि कबीर अपने निजी स्तर पर गतिविधियां चला रहे हैं. पार्टी के मुख्य सचेतक निर्मल घोष पहले ही कह चुके हैं कि टीएमसी का कबीर से कोई संपर्क नहीं है और उनके कदमों का संगठन से कोई संबंध नहीं है.

BJP ने TMC पर साधा निशाना

राज्य में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने हुमायूं कबीर के विवादित बयान को लेकर तृणमूल कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य का कहना है कि टीएमसी चुपचाप माहौल को बिगड़ने दे रही है और ऐसे बयान जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने तथा समाज को बांटने के उद्देश्य से दिए जा रहे हैं. वहीं, माकपा ने भी इस घटना को तृणमूल की विचारधारा की अस्थिरता का एक और प्रमाण बताया है. माकपा नेता सैकत गिरि ने तंज कसते हुए कहा कि एक समय TMC में रहे और बाद में भाजपा में शामिल हुए नेताओं से लेकर, भाजपा छोड़कर TMC में आए नेताओं तक सबकी बयानबाज़ी बताती है कि दोनों दलों की राजनीति अवसरवाद से भरी है. उन्होंने कहा कि एक नेता हिंदुओं को एकजुट होने और गीता पाठ का आह्वान करते हैं, जबकि दूसरा नेता प्रशासन को RSS का एजेंट बताते हुए मुसलमानों से टीएमसी का झंडा लेकर लामबंद होने की बात करता है.

बताते चलें कि यह पूरा विवाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में बढ़ती बयानबाज़ी और ध्रुवीकरण की ओर इशारा करता है. एक तरफ नेता चुनावी माहौल में अपनी-अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ ऐसे विवादित बयान सामाजिक तनाव को और गहरा कर रहे हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन और राजनीतिक दल इस माहौल को शांत रखने के लिए क्या कदम उठाते हैं.

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