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हैदराबाद: भेड़ घोटाले को लेकर ईडी की बड़ी कार्रवाई, 8 ठिकानों पर की छापे मारे

तेलंगाना सरकार ने वर्ष 2017 में 'भेड़ वितरण एवं विकास योजना' (एसआरडीएस) की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत चरवाहा परिवारों को 75 प्रतिशत सब्सिडी पर 20 मादा और एक नर भेड़ देने का लक्ष्य रखा गया था. पहले चरण में 1.28 करोड़ से अधिक भेड़ वितरित की गई थीं. हालांकि, बाद की जांच में सामने आया कि योजना में बड़ी हेराफेरी हुई. नकली बिल, फर्जी परिवहन दस्तावेज और बेनामी खातों के जरिए सरकारी धन की बड़ी मात्रा में बंदरबांट की गई.

30 Jul, 2025
( Updated: 30 Jul, 2025
09:58 PM )
हैदराबाद: भेड़ घोटाले को लेकर ईडी की बड़ी कार्रवाई, 8  ठिकानों पर की छापे मारे

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को भेड़ वितरण घोटाले के सिलसिले में हैदराबाद के 8 ठिकानों पर छापेमारी की. यह कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की गई. ईडी ने यह जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की है.

छापेमारी उन लोगों के ठिकानों पर की गई है जो योजना के लाभार्थी या बिचौलियों के तौर पर पहचाने गए हैं. जिन लोगों पर कार्रवाई की गई उनमें जी. कल्याण भी शामिल हैं, जो पूर्व बीआरएस मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) रह चुके हैं. उन्हें एसीबी की एक एफआईआर में नामजद किया गया है.

क्या है भेड़ वितरण घोटाला?

तेलंगाना सरकार ने वर्ष 2017 में 'भेड़ वितरण एवं विकास योजना' (एसआरडीएस) की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत चरवाहा परिवारों को 75 प्रतिशत सब्सिडी पर 20 मादा और एक नर भेड़ देने का लक्ष्य रखा गया था. पहले चरण में 1.28 करोड़ से अधिक भेड़ वितरित की गई थीं. हालांकि, बाद की जांच में सामने आया कि योजना में बड़ी हेराफेरी हुई. नकली बिल, फर्जी परिवहन दस्तावेज और बेनामी खातों के जरिए सरकारी धन की बड़ी मात्रा में बंदरबांट की गई.

करीब 700 करोड़ रुपए का है घोटाला

एसीबी के मुताबिक, इस घोटाले की अनुमानित राशि करीब 700 करोड़ रुपए है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की मार्च 2021 तक की ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि योजना में कई गंभीर अनियमितताएं हुईं. इनमें लाभार्थियों का रिकॉर्ड नहीं होना, फर्जी रसीदें, मृत या गैर-मौजूद लोगों को भेड़ बांटना और एक ही टैग का कई बार इस्तेमाल जैसी बातें शामिल हैं.

कैग की रिपोर्ट सिर्फ 7 जिलों पर आधारित है और इसमें ही 253.93 करोड़ रुपए के नुकसान की बात कही गई है. अगर इसे पूरे राज्य के 33 जिलों पर अनुपातिक रूप से देखा जाए तो अनुमान है कि कुल नुकसान 1000 करोड़ से अधिक हो सकता है.

धोखाधड़ी मामले को लेकर जांच में जुटी ईडी

ईडी को जांच के दौरान कुछ अहम जानकारियां मिली हैं जो इस योजना में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की ओर इशारा करती हैं. ईडी ने पशुपालन विभाग और भेड़ बकरी विकास निगम से सभी जरूरी दस्तावेज जुटाए हैं और अब वित्तीय लेन-देन की गहराई से जांच की जा रही है.

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