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मोहन यादव ने जिसे बुलडोजर से मिट्टी में मिला दिया, कैसे बना वो करोड़ो का मालिक

मध्यप्रदेश के छतरपुर में जिस भीड़ ने थाने पर हमला किया था, उस भीड़ का सरगना था शहजाद अली, इस शहजाद अली की कुंडली अब पुलिस खंगाल रही है, पुलिस पता लगा रही है कि ठेल पर कपड़ा बेचना वाला इंसान आखिर कैसे करोड़ो का मालिक बन गया।

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में एक ऐसी घटना घटी जिसकी कल्पना भारत में की जा सकती है। क्योंकि धर्मनिरपेक्षता की चाशनी में ये देश इस कदर लिपटा है कि कट्टरपंथि थाने पर हमला बोल देते है। थाने को घेरकर पुलिस वालों से साथ बर्बरता करने की कोशिश करते है, वैसे जब एक मकान में बंद करके पुलिस वालों को जिंदा जलाने की कोशिश की जा सकती है तो थाने को घेरना कौन सी बड़ी बात है।ये बात इन कट्टरपंथियों के दिमाग में इन्हें के रहनुमा नेताओं के डाली है लेकिन यूपी में योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड में धामी, असम मे हिमंता और मध्यप्रदेश में मोहन यादव ने ये फितूर दिमाग से निकाल दिया है।तो आज बात करते है कैसे पैगम्बर मौहम्मद के अपमान को जरिया बनाकर पुलिस थाने पर तांड़व करवाने वाला शहजाद अली कौन है।जिसके करोड़ों के आलीशन घर को मोहन यादव ने एक भूत बंगला बना दिया है।

कौन है शहजाद अली ?

कुछ साल पहले तक शहजाद अली ठेले पर कपड़े बेचने का काम करता था, लेकिन कुछ ही सालों में वो अरबों का मालिक बन गया। 10 करोड़ का मकान और ना जाने कितनी अकूत संपत्ति गरीबों से इसने हथियाई है।शहजाद अपने तीन भाइयों के साथ मिलकर एक पूरा नेक्सस चलाता है, हत्या, मारपीट, जमीनों पर अवैध कब्जा, वसूली इसका धंधा है।इसी धंधे से इसने अपना पूरा साम्राज्य बनाया था, जिसे मोहन यादव ने ध्वस्त कर दिया।शहजाद के जिस घर को जमीदौज किया गया है वो भी किसी गरीब से जमीन हथिया कर बनाया था।जिसकी जांच अब प्रशासन कर रहा है।इतना ही नहीं अब शहजाद की और उसके भाइयों की पूरी कुंड़ली भी खंगाली जा रही है, इन लोगों पर रासुका लगाकर जिला बदर करने की तैयारी की जा रही है।शहजाद अली के बारे में एक और बात निकल कर सामने आई है, जो इसने खुद बताई है।इसका कहना है कि ये एक खानका चलाया करता था, जहां ये सामाजिक काम करता था।

दरअसल ये जो खानखा चलाता था उसमें समाज से जूडे मामलों का निपटारा नहीं करता था, बल्कि उसकी आड़ में लाखों करोड़ों का लेनदेन करता था, मोटी मोटी डील करता था।यहीं पर चर्चा होती थी कि कब कैसे किसकी जमीन पर कब्जा करना है, कैसे वसूली करनी है,लेकिन अब जो कार्यवाई हुई है उसके बाद सबसे बड़ा सबक भीड़ को मिला है, कि भीड़ इकट्ठा करके कुछ भी नहीं किया जा सकता जैसे हल्द्वानी के अब्दुल ने पुलिस को दौड़ाया था। फिर पुलिस ने उसका ऐसा इलाज किया कि दोबारा वहां भीड़ इकट्टठा नहीं हुई।यही मध्यप्रदेश में हुआ है सजा के साथ सबक मिलना जरुरी है, तभी इन कट्टरपंथियों को रोका जा सकता है

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