कश्मीर में इतिहास रच गया दीपोत्सव, लाल चौक पर जले 20 हजार दीये, बॉर्डर पर जवानों ने मनाई दिवाली
श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक पर इस बार दिवाली का जश्न एकता, आस्था और शौर्य का प्रतीक बन गया. भगवान राम के स्वागत में 20 हजार दीये जलाए गए, आरती की धुनों से घाटी गूंज उठी. वहीं, बॉर्डर पर सेना के जवानों ने भी दीप जलाकर देशवासियों को सुरक्षित दिवाली का संदेश दिया.
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जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक पर दिवाली का जश्न इस बार अनोखा और भावुक रहा. 20 हजार से अधिक दीयों की रोशनी से जगमगाते चौक पर 'ऑपरेशन सिंदूर' के वीरों को श्रद्धांजलि दी गई, जबकि भगवान राम की आरती गूंजी और सांस्कृतिक एकता का संदेश फैला. पाकिस्तान से सटे सभी बॉर्डर पर भी सेना के जवानों ने दिवाली मनाई, इस दौरान जवानों ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर दीये भी जलाए. कुछ जवान मोमबत्ती से माहौल को रोशन करते हुए दिखाई दिए.
यह आयोजन न केवल दीपोत्सव का प्रतीक बना, बल्कि कश्मीर घाटी में शांति और सद्भाव की नई तस्वीर पेश की. स्थानीय लोगों, पर्यटकों और सुरक्षा बलों ने मिलकर इस ऐतिहासिक क्षण को कैद किया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
20 हजार दीयों से बनी 'ऑपरेशन सिंदूर' की आकृति
दिवाली की शाम को श्रीनगर के लाल चौक पर सैकड़ों स्वयंसेवकों ने 20,000 मिट्टी के दीये जलाए, जिन्हें विशेष रूप से 'ऑपरेशन सिंदूर' शब्दों की आकृति में सजाया गया. यह ऑपरेशन, जो मई 2025 में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना की सफल कार्रवाई थी, के शहीदों और वीरों को समर्पित था. घंटाघर को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया, जबकि दीयों की चमक ने पूरे चौक को सुनहरी आभा प्रदान की. स्थानीय आयोजकों के अनुसार, यह प्रयास सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का था. पर्यटक और निवासी तस्वीरें खींचने उमड़ पड़े, और 'जय भारत' के नारे गूंजे.
भगवान राम की आरती
आयोजन के मुख्य आकर्षण में लाल चौक पर भगवान राम की भव्य आरती शामिल रही, जो 1990 के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर हुई. कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों ने पारंपरिक वेशभूषा में भाग लिया, जबकि स्थानीय मुस्लिम भाइयों ने भी उत्साह से सहयोग किया. 'जय सियाराम' और 'भारत माता की जय' के जयकारों के बीच आरती की धुनें गूंजीं, जो घाटी में धार्मिक सद्भाव की मिसाल बनीं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में दशहरा पर इसी तरह के आयोजन में 'ऑपरेशन सिंदूर' को आतंक के रावण पर विजय बताया था, जो इस कार्यक्रम को और प्रासंगिक बनाता है. तस्वीरों में आरती के दौरान शंखनाद और दीपमालाओं का दृश्य मनमोहक रहा.
बॉर्डर पर सेना के जवानों ने भी जलाए दीये
पाकिस्तान से सटे सभी बॉर्डर पर भी सेना के जवानों ने दिवाली मनाई, इस दौरान जवानों ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर दीये भी जलाए. कुछ जवान मोमबत्ती से माहौल को रोशन करते हुए दिखाई दिए. जवानों ने मोमबत्तियों और दीयों से रेत के टीलों को रोशन करते हुए देश के लोगों को यह भरोसा दिया कि जब तक हम सरहद पर हैं, आपकी दिवाली सुरक्षित है. राजस्थान, पंजाब, गुजरात, जम्मू-कश्मीर समेत अन्य सीमाओं पर सेना के जवानों ने धूमधाम से दिवाली मनाई.
शहादत की याद में दीपोत्सव'
ऑपरेशन सिंदूर', पहलगाम नरसंहार के जवाब में 6-7 मई 2025 को भारतीय सेना और बीएसएफ द्वारा पाकिस्तानी ठिकानों पर की गई सटीक कार्रवाई, इस दीपोत्सव का केंद्र बिंदु बनी. दीयों से बनी इस आकृति के माध्यम से शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई, जबकि सशस्त्र बलों के जवान भी मौजूद रहे. आयोजकों ने इसे 'शांति और साझा खुशी का संदेश' बताया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में कहा था कि इस ऑपरेशन ने दुश्मन को इतिहास और भूगोल बदलने की चेतावनी दी. स्वतंत्रता दिवस पर भी इसकी झलक लाल किले पर दिखी, जहां अग्निवीरों ने राष्ट्रगान बजाया.
कश्मीर में दिखी भाईचारे की मिसाल
स्थानीय कश्मीरी पंडित ने कहा, दीवाली एक ऐसा त्योहार है जो हमें याद दिलाता है कि प्रकाश हमेशा अंधकार पर विजय प्राप्त करता है. हम न केवल अपने परिवारों के लिए, बल्कि पूरे कश्मीर में शांति और सद्भाव के लिए प्रार्थना करते हैं. हमारे मुस्लिम पड़ोसी भी हमें बधाई देने, मिठाइयां बांटने और उत्सव में शामिल होने आए. सज्जाद नामक एक स्थानीय युवक ने कहा, दीवाली और ईद जैसे त्योहार ऐसे अवसर होते हैं जहां धर्म से परे दिल मिलते हैं. आज हम अपने हिंदू दोस्तों से मिलने गए और एक-दूसरे के लिए प्रार्थना की. डल झील, राजबाग और शहर के बाहरी इलाके आतिशबाजी से जगमगा उठे.
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