'गंगाजल इन पापियों को?', निशिकांत दुबे बोले- अब बांग्लादेश का भी पानी बंद करने का समय आ गया है
गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे ने अपने X हैंडल पर एक पोस्ट किया कि ‘बांग्लादेशी भी बड़ा छटपट कर रहा है, उसको भी गंगा नदी का पानी बंद करने का समय आ गया है, पानी पीकर जीएगा हमसे,गायेगा पाकिस्तान से.’ अब ऐसे में सवाल उठने लगे है कि क्या अब बांग्लादेश से भी पानी छीन लिया जाएगा?
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तो क्या अब पाकिस्तान के बाद बांग्लादेश को सबक सिखाने की तैयारी है? पाकिस्तान की तरह ही बांग्लादेश भी हो जाएगा बूंद-बूंद पानी का मोहताज! ये सवाल इसलिए क्योंकि बीजेपी के फायरब्रांड नेता और गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने एक ऐसी मांग कर दी है, जिसे सुन बांग्लादेश के होश उड़ जाएँगे. दरअसल निशिकांत दुबे ने अपने X हैंडल पर एक पोस्ट किया कि "बांग्लादेशी भी बड़ा छटपट कर रहा है, उसको भी गंगा नदी का पानी बंद करने का समय आ गया है, पानी पीकर जीएगा हमसे, गायेगा पाकिस्तान से.''
इसके बाद उन्होंने एक और पोस्ट किया जिसमें उन्होंने एक अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा ‘गंगाजल इन पापियों को?’ इस रिपोर्ट के मुताबिक़ ‘बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नज़रुल ने कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के एक कार्यकर्ता इज़हार से मुलाकात की. यह मुलाकात पहलगाम हमले के बाद हुई. इससे भारत के खिलाफ़ चरमपंथ के लिए ढाका शासन के संभावित समर्थन के बारे में चिंताएँ पैदा होती हैं. इज़हार का बांग्लादेश से आतंकी हमलों की साजिश रचने का इतिहास रहा है. उसके हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम से भी संबंध हैं.’ अब इस पोस्ट से कोहराम मचा हुआ है. सवाल उठने लगे है कि क्या बांग्लादेश को मिलने वाला गंगा का पानी रोक दिया जाएगा? क्या सिंधु जल संधि की तरह ही गंगा जल बंटवारा संधि पर रोक लग जाएगी?
क्या है गंगा जल बंटवारा संधि?
भारत और बांग्लादेश के बीच 1996 में गंगा जल बंटवारा संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे, इसके तहत गंगा नदी के जल का बंटवारा करना था. यह संधि 1975 में फरक्का बैराज के निर्माण के बाद शुरू हुए विवाद को सुलझाने के लिए थी, इसके ज़रिए कोलकाता बंदरगाह के लिए पानी का प्रवाह बनाए रखना था. ये संधि 30 साल के लिए थी और 2026 में समाप्त भी हो जाएगी, जिसे आपसी सहमति से नवीनीकृत किया जा सकता है. फरक्का बैराज भारत में गंगा नदी पर बना है और पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश की सीमा से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित है.
कलकत्ता बंदरगाह में जलस्तर जहाजों के परिवहन लायक बनाए रखने के लिए 1975 में फरक्का बैराज का निर्माण किया गया. इसके जरिए गंगा नदी के पानी को हुगली नदी की ओर मोड़ा गया है. गंगा जल बंटवारा संधि में पानी की उपलब्धता के अनुसार भारत और बांग्लादेश के बीच जल का बंटवारा तय किया गया था। यदि पानी की उपलब्धता 70,000 क्यूसेक से कम है, तो दोनों देशों को 50-50 प्रतिशत पानी मिलेगा. यदि पानी की उपलब्धता 70,000 से 75,000 क्यूसेक के बीच है, तो बांग्लादेश को 35,000 क्यूसेक और भारत को शेष पानी मिलेगा.
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