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'उसे अर्थशास्त्र का क, ख, ग भी नहीं पता', भारत से पंगा लेकर घिरे ट्रंप, US से लेकर ब्रिटेन तक के एक्सपर्ट्स ने ध्वस्त की टैरिफ की पूरी थ्योरी

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कदम भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को कमजोर कर रहे हैं. US से लेकर ब्रिटेन तक, MP, Ex NSA, प्रोफेसर्स और दिग्गजों ने चेतावनी दी है कि ट्रंप के ‘अहंकार’ को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ बने दशकों पुराने रिश्ते को नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. यहीं नहीं ट्रंप के अर्थशास्त्र के ज्ञान पर सवाल उठाते हुए विश्लेषकों ने उनकी टैरिफ की पूरी थ्योरी ध्वस्त कर दी है.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कदम भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को कमजोर कर रहे हैं. US से लेकर ब्रिटेन तक, MP, Ex NSA, प्रोफेसर्स और दिग्गजों ने चेतावनी दी है कि ट्रंप के ‘अहंकार’ को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ बने दशकों पुराने रिश्ते को नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. यहीं नहीं ट्रंप के अर्थशास्त्र के ज्ञान पर सवाल उठाते हुए विश्लेषकों ने उनकी टैरिफ की पूरी थ्योरी ध्वस्त कर दी है.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कदम भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को कमजोर कर रहे हैं. अमेरिकी सांसद और दो पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि ट्रंप के ‘अहंकार’ को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ बने दशकों पुराने रिश्ते को नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

यूएस-इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष रो खन्ना ने ट्रंप को चेतावनी दी

भारतीय मूल के प्रभावशाली सांसद और यूएस-इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष रो खन्ना ने कहा कि वह ट्रंप के रवैये से “हक्के-बक्के” हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति भारत पर टैरिफ लगाकर दोनों देशों के बीच बने विश्वास को तोड़ रहे हैं. खन्ना ने कहा कि भारत से चमड़ा और कपड़ा जैसे सामानों पर 50% शुल्क लगाने से न सिर्फ भारतीय निर्यातकों को बल्कि अमेरिकी कंपनियों को भी नुकसान हो रहा है.

'ट्रंप के अहंकार को इजाजत नहीं दे सकते'

उन्होंने ट्रंप पर व्यक्तिगत आरोप लगाते हुए कहा कि राष्ट्रपति की नाराज़गी की वजह यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित नहीं किया, जबकि पाकिस्तान ने किया था. खन्ना के मुताबिक, यही कारण है कि ट्रंप लगातार भारत को निशाना बना रहे हैं और कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश करके भारत को उकसाते हैं.

'व्यक्तिगत हित के लिए ट्रंप ने भारत के साथ रिश्तों की बलि चढ़ा दी', जैक सुलिवन

ट्रंप की नीतियों की आलोचना सिर्फ सांसदों तक सीमित नहीं रही. पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने कहा कि ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक हित साधने के लिए भारत के साथ रिश्तों की “बलि” चढ़ा दी. उनके अनुसार, यह अमेरिका के लिए “बड़ा रणनीतिक नुकसान” है. 

बोल्टन ने भी ट्रंप को तगड़ा लपेटा

ट्रंप के पहले कार्यकाल में एनएसए रहे जॉन बोल्टन ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने दशकों तक भारत को रूस से दूर रखने और चीन के खतरे के प्रति आगाह करने की कोशिश की थी, लेकिन ट्रंप ने अपनी विनाशकारी टैरिफ नीति से इन प्रयासों को “ध्वस्त” कर दिया है. बोल्टन ने कहा कि भारत जिन मुद्दों पर सख्त रुख अपनाता है, ट्रंप उन्हें अमेरिका के लिए “उपलब्धि” बताकर पेश करते हैं, जबकि यह वास्तव में “तबाही” है.

अर्थशास्त्रियों ने भी ट्रंप की हेकड़ी निकाली

'ट्रंप को अर्थव्यवस्था का क, ख, ग, घ भी नहीं पता'

अर्थशास्त्रियों ने भी ट्रंप की समझ पर सवाल उठाए हैं. न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ग्लोबल अफेयर्स से जुड़े एडवर्ड प्राइस ने कहा, “मैं पहले सोचता था कि ट्रंप को अर्थशास्त्र की थोड़ी-बहुत समझ है, लेकिन अब साफ है कि उन्हें इसकी बिल्कुल समझ नहीं है. मौजूदा समय में भारत से टकराव की कोई जरूरत नहीं थी. यह पूरी तरह अमेरिका की अपनी करतूत है.”

'ट्रंप ने भारत के साथ संबंधों के जहरीला बना दिया'

उधर, अंतरराष्ट्रीय राजनीति के दिग्गज और शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन मियर्सहाइमर ने ट्रंप की भारत नीति को “भयंकर भूल” बताया. उन्होंने कहा कि रूस से तेल खरीदने पर भारत पर सेकेंडरी टैरिफ लगाने की कोशिश बेकार है. “भारत ने साफ कर दिया है कि वे रूस से तेल आयात बंद नहीं करेंगे. भारतीय झुकने वाले नहीं हैं."

उन्होंने आगाह किया कि ट्रंप ने भारत-अमेरिका संबंधों को जहरीला बना दिया है. “जब ट्रंप जनवरी में व्हाइट हाउस लौटे, तब रिश्ते बेहतरीन थे. लेकिन अब इन सेकेंडरी टैरिफ और दबाव की राजनीति ने भारत को और रूस-चीन के करीब धकेल दिया है,” उन्होंने कहा. 

ट्रंप का कदम रणनीतिक रूप से आत्मघाती: फरीद जकारिया

वहीं अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ और जाने-माने पत्रकार फरीद जकारिया  भी ने डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले को “रणनीतिक रूप से आत्मघाती कदम” बताया था. उन्होंने कहा कि ट्रंप की ये नीति न केवल पिछले ढाई दशक में बने भारत-अमेरिका रिश्तों को कमजोर करेगी, बल्कि एशिया में चीन और रूस के प्रभाव को भी बढ़ाएगी. भारत ने भी इस कदम पर कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए साफ कहा था कि यह “असंतुलित, अनुचित और मित्र देशों के साथ भेदभावपूर्ण” है.

फरीद जकारिया ने भारत के साथ संबंधों को लेकर कहा ये इतना आसान नहीं है. यह पश्चिम के उपनिवेश और प्रभुत्व में रहा, और दो शताब्दियों तक ब्रिटेन ने इस पर शासन किया. उन्होंने नई दिल्ली के मॉस्को की तरफ झुकाव की वजह बताते हुए कहा कि भारत की आज़ादी के बाद, सोवियत संघ ने इसका खुलकर समर्थन किया, जबकि अमेरिका ने उसके विरोधी पड़ोसी पाकिस्तान को धन और हथियार दिए. एक विशाल, विविध और अव्यवस्थित लोकतंत्र होने के नाते, भारत के हमेशा से ही कुछ घरेलू हित रहे हैं जिन्हें उसके नेता नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते.

फरीद ने ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने अमेरिकी राजनयिकों की दशकों की कड़ी मेहनत पर पानी फेर दिया है. ट्रंप ने भारत को अमेरिकी टैरिफ लिस्ट की सबसे ऊंची श्रेणी में रखा, जो अब सीरिया और म्यांमार की तरह 50 प्रतिशत हो गई है, जबकि पाकिस्तान (जो अब चीन का करीबी सहयोगी है) के लिए 19 प्रतिशत का शुल्क तय किया है और वहाँ तेल की खोज के लिए संयुक्त, शायद निरर्थक, प्रयासों की घोषणा की है.

भारत जैसे दोस्त से रिश्ते मत बिगाड़िए: निक्की हेली

UN में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने टैरिफ पर ट्रंप क दोहरी नीति या यूं कहें कि दोगलेपन की पोल खोलते हुए पूछा कि एक जैसे मुद्दे और परिस्थिति में चीन और भारत के साथ दो तरह के व्यवहार क्यों? उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था, “भारत को रूस से तेल नहीं खरीदना चाहिए, लेकिन चीन जो हमारा दुश्मन है और रूस व ईरान का सबसे बड़ा तेल खरीदार भी, उसे 90 दिन की टैरिफ छूट मिल गई. चीन को छूट मत दीजिए और भारत जैसे मजबूत सहयोगी से रिश्ते मत बिगाड़िए.”

हेली ने ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर भारी टैरिफ (शुल्क) लगाने की धमकी पर चेताते हुए कहा था कि इस कदम से भारत-अमेरिका के रिश्तों में खटास आ सकती है, जो इस समय बेहद महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. वो यहीं नहीं रूकीं, अपनी ही सरकार और राष्ट्रपति को आगाह करते हुए कहा कि वे चीन जैसे दुश्मन देश को छूट ना दें और भारत जैसे सहयोगी से रिश्ते ना बिगाड़ें. निक्की हेली ने ट्रंप प्रशासन पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया था.

'अमेरिका पर भरोसा ना करे भारत...', 

यहीं नहीं अमेरिकी अर्थशास्त्री जैफरी सैक्स ने मौजूदा टैरिफ विवाद पर चेतावनी देते हुए कहा था कि अमेरिका पर भरोसा करना भारत के लिए एक भ्रम है. प्रोफेसर ने अमेरिका और ट्रंप के बयानों और नीतियों यानी कि कथनी और करनी में विरोधाभास पर भी खुलकर बात की थी. जब उनसे सवाल किया गया कि एक तरफ़ ट्रंप पुतिन के साथ मेलजोल की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर वो भारत को रूस से तेल और रक्षा उपकरण खरीदने के लिए आंख दिखाते हैं-धमकाते हैं, तो इस पर प्रोफेसर ने कहा था कि ट्रंप के लिए भारत के व्यापारिक या भू-राजनीतिक हित कोई प्राथमिकता नहीं हैं.

वहीं बीते दिन ब्रिटेन के पूर्व मिनिस्टर विलियम हेग ने ट्रंप की नीतियों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि दुनिया का हर विदेश मंत्री जानता है कि भारत जैसे गौरवशाली, संस्कृति और प्राचीन सभ्यता वाले अडिग और राष्ट्रवादी देश के साथ रिश्तों को बेहद सावधानी से संभालना पड़ता है, मोदी राज में तो खास तौर पर ध्यान देने की जरूरत है.

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