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वो डर, जिसकी वजह से कुशवाहा ने बेटे को बनाया मंत्री; खुद बताई वजह, RJD ने NDA पर लगाया वंशवाद का आरोप

बिहार में नई सरकार उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाए जाने से राजनीतिक विवाद तेज हो गया है. विधायक न होने के बावजूद उनकी नियुक्ति पर विपक्ष ने परिवारवाद के आरोप लगाए हैं.

Bihar Government New Cabinet: बिहार में गुरुवार को नई सरकार का गठन हो चुका है और नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. नई कैबिनेट में कई नए चेहरों की एंट्री ने राजनीतिक हलचल और तेज कर दी है. इनमें सबसे ज्यादा चर्चा जिस नाम की हो रही है, वह है उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश. शपथ ग्रहण समारोह में उनकी मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों को हैरान किया है, क्योंकि वे विधायक नहीं हैं, फिर भी उन्हें मंत्री बनाया गया है. इसी वजह से विपक्ष ने तुरंत आरोपों की झड़ी लगा दी है और परिवारवाद को लेकर सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है.

पापा बताएंगे मंत्री क्यों बनाया गया: दीपक प्रकाश

नीतीश कुमार (Nitish Kuma) के साथ 26 मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली. लेकिन जैसे ही दीपक प्रकाश (Deepak Prakash)  का नाम सामने आया, पूरी नजरें उन पर टिक गईं. बिहार के राजनीतिक जानकार बताते हैं कि किसी सदन के सदस्य न होते हुए भी मंत्री बनाए जाना अपने आप में बड़ा फैसला होता है. अब नियमों के अनुसार दीपक को छह महीने के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना ही होगा, वरना उन्हें पद छोड़ना पड़ेगा. इस फैसले पर सवाल तब और तेज हो गए जब खुद दीपक से पूछा गया कि उन्हें मंत्री क्यों बनाया गया है. उनका जवाब था, 'पापा बताएंगे कि मुझे मंत्री क्यों बनाया गया है.' यह बयान तुरंत वायरल हो गया और विपक्ष ने इसे परिवारवाद का ताजा उदाहरण बताते हुए हमला शुरू कर दिया.

आरजेडी ने जारी की वंशवाद की लिस्ट 

दीपक की एंट्री के बाद आरजेडी (RJD) ने वंशवाद का मुद्दा हवा दी है. पार्टी ने उन मंत्रियों की एक लिस्ट भी जारी की जिन्हें वह परिवारवाद से जुड़ा मानती है. इस लिस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, शकुनी चौधरी, दिग्विजय सिंह और कैप्टन जय नारायण निषाद समेत दस नाम शामिल हैं. आरजेडी का दावा है कि नीतीश सरकार में परिवार आधारित राजनीति को बढ़ावा दिया जा रहा है. हालांकि एनडीए के नेताओं ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उनका कहना है कि गठबंधन में हर दल को उसके योगदान और परिस्थितियों के अनुसार प्रतिनिधित्व दिया गया है. 

कुशवाहा के बेटे को क्यों बनाया गया मंत्री? 

बिहार चुनाव से पहले एनडीए में सीट बंटवारे पर काफी खींचतान देखने को मिली थी. उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी उस समय खुलकर सामने आई थी और उन्होंने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट कर अपनी असंतुष्टि जताई थी. माना जा रहा है कि चुनाव में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कुशवाहा को साधने के लिए उनके बेटे को कैबिनेट में शामिल किया गया है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह फैसला रणनीतिक भी है और मजबूरी भी. रणनीति इसलिए क्योंकि कुशवाहा समुदाय बिहार में एक बड़ा और प्रभावी वोट बैंक माना जाता है. वहीं मजबूरी इसलिए क्योंकि अगर कुशवाहा असंतुष्ट होते तो गठबंधन में टूट की स्थिति बन सकती थी. अब यह भी लगभग तय माना जा रहा है कि दीपक प्रकाश को जल्द ही एमएलसी बनाकर इस पद को स्थिर किया जाएगा. दिलचस्प बात यह है कि उनकी मां स्नेहलता कुशवाहा विधानसभा चुनाव में सासाराम से विधायक चुनी गई थीं और राजनीतिक हलकों में उम्मीद थी कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा. लेकिन उन्हें छोड़कर सीधे बेटे को कैबिनेट में शामिल कर लिया गया.

कौन हैं दीपक प्रकाश?

दीपक का राजनीतिक सफर भले ही अभी शुरू हुआ हो, लेकिन उनकी पृष्ठभूमि काफी मजबूत मानी जाती है. उनका जन्म 1989 में हुआ और उन्होंने 2011 में सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वे विदेश गए और हाल ही में बिहार लौटे. साल 2019–2020 से उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और पिता उपेंद्र कुशवाहा तथा मां स्नेहलता के साथ पार्टी गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू किया. जो लोग उन्हें करीब से जानते हैं, उनका कहना है कि दीपक गंभीर और शांत स्वभाव के हैं और संगठनात्मक काम में भी रुचि रखते हैं. हालांकि मंत्री के रूप में उनकी क्षमता का असली परीक्षण अब शुरू होगा.

उपेंद्र कुशवाहा ने दी पहली प्रतिक्रिया 

बेटे को मंत्री बनाए जाने के सवाल पर उपेंद्र कुशवाहा का जवाब दिलचस्प रहा. उन्होंने कहा कि पार्टी में जिस दिन लोग सांसद या विधायक बनते हैं, उसी दिन से उनके दूसरी जगह जाने का खतरा शुरू हो जाता है. इसलिए पार्टी को मजबूत रखने के लिए यह फैसला जरूरी था. उनका कहना था कि उन्होंने बड़ी मेहनत से अपना संगठन खड़ा किया है और अगर कोई नेता इधर-उधर चला गया तो पार्टी फिर से कमजोर हो जाएगी. ऐसी स्थिति से बचने के लिए ही उन्होंने बेटे को मंत्री बनाने का समर्थन किया. 

बताते चलें कि बिहार की राजनीति में नया समीकरण तैयार होता दिख रहा है. इस फैसले ने जहां नीतीश सरकार पर परिवारवाद के आरोप लगा दिए हैं, वहीं यह स्पष्ट भी कर दिया है कि एनडीए में हर सहयोगी दल का महत्व इस समय पहले से कहीं अधिक है. 

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