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दिल्ली धमाके पर पूर्व प्रिंसिपल नजरुल इस्लाम ने की आपत्तिजनक टिप्पणी, CM हिमंत की पुलिस ने सिखा दिया सबक

दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच असम पुलिस ने सोशल मीडिया पर ब्लास्ट को लेकर विवादित टिप्पणी करने वाले सेवानिवृत्त प्रिंसिपल नजरुल इस्लाम बरभुइयां को हिरासत में लिया है. उन्होंने पोस्ट पर लिखा था, 'चुनाव नजदीक आ रहे हैं.' पुलिस जांच कर रही है कि यह टिप्पणी राजनीतिक मकसद से की गई थी या नहीं.

Himanta Biswa Sarma (File Photo)

देश की राजधानी दिल्ली सोमवार की शाम एक जोरदार धमाके से दहल उठी. लाल किले के पास कार में हुए विस्फोट की गूंज पूरे देश में सुनाई दी. इस घटना में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं. धमाके के बाद दिल्ली समेत देशभर में सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं. शुरुआती जांच में पता चला है कि यह विस्फोट किसी योजनाबद्ध साजिश का हिस्सा हो सकता है.

इसी बीच इस मामले से जुड़ा एक और बड़ा अपडेट सामने आया है. असम पुलिस ने सोशल मीडिया पर दिल्ली ब्लास्ट को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट करने वाले व्यक्ति को हिरासत में लिया है. यह व्यक्ति कोई आम नागरिक नहीं, बल्कि एक सरकारी स्कूल का रिटायर प्रिंसिपल है. आरोपी का नाम नजरुल इस्लाम बरभुइयां बताया जा रहा है, जो कछार जिले के दुर्गापुर इलाके के रहने वाले हैं.

सोशल मीडिया पर की थी विवादित टिप्पणी

पुलिस के अनुसार नजरुल इस्लाम बरभुइयां ने धमाके से जुड़ी एक पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा था कि 'चुनाव नजदीक आ रहे हैं.' यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और लोगों ने इसे घटना का राजनीतिकरण करने की कोशिश बताया. इसके बाद कछार पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मंगलवार दोपहर आरोपी हिरासत में लिया है. एसएसपी पार्थ प्रोतिम दास ने जानकारी दी कि नजरुल इस्लाम को पहले सिलचर सदर पुलिस स्टेशन और फिर एसएसपी कार्यालय लाया गया, जहां उनसे कई घंटे तक पूछताछ की गई. पुलिस यह जांच कर रही है कि बरभुइयां की यह टिप्पणी किस उद्देश्य से की गई थी. क्या यह किसी राजनीतिक मकसद से प्रेरित थी या केवल व्यक्तिगत राय के तौर पर लिखी गई थी.

पुलिस ने साझा की जानकारी 

एसएसपी दास ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं को राजनीतिक रंग देने का प्रयास हैं, जो जनता में भ्रम फैलाने या गलत संदेश देने का कारण बन सकती हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली विस्फोट की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने इस टिप्पणी को गंभीरता से लिया है. उनका कहना था,'नजरुल इस्लाम बरभुइयां को इसलिए बुलाया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी पोस्ट का उद्देश्य क्या था और उसका संभावित असर समाज पर कितना हो सकता है.' असम पुलिस ने स्पष्ट किया है कि दिल्ली ब्लास्ट से जुड़ी सभी ऑनलाइन गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखी जा रही है. अधिकारी लगातार फेसबुक, एक्स (ट्विटर) और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर नजर बनाए हुए हैं ताकि गलत जानकारी, अफवाहें या भड़काऊ बयान फैलाने वालों को चिन्हित किया जा सके. पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे असत्यापित खबरें या राजनीति से प्रेरित सामग्री साझा करने से बचें, क्योंकि इससे न केवल जांच में बाधा आती है, बल्कि जनता में भ्रम और डर भी फैल सकता है.

असम सरकार ने किया कड़ा रुख 

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस घटना और सोशल मीडिया पर आई प्रतिक्रियाओं की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग ऐसे गंभीर मौके पर ‘खुशी वाले इमोजी’ पोस्ट करते दिखे या जश्न मनाने जैसी टिप्पणियां कर रहे थे, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. मुख्यमंत्री ने साफ कहा, 'जो लोग आतंकवादी घटनाओं का मज़ाक बना रहे हैं या उनसे सहानुभूति जता रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.'

बताते चलें कि लाल किले के पास हुआ यह धमाका केवल दिल्ली ही नहीं, पूरे देश के लिए चेतावनी की घंटी साबित हुआ है. जब एक तरफ जांच एजेंसियां हमले की साजिश को सुलझाने में जुटी हैं, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहें स्थिति को और जटिल बना सकती हैं. ऐसे में जरूरी है कि जनता सतर्क रहे, अफवाहों पर विश्वास न करे और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों को राजनीतिक चश्मे से देखने से बचे. यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि डिजिटल युग में जिम्मेदारी उतनी ही बड़ी है जितनी आजादी. शब्द अब केवल बयान नहीं, राष्ट्र की संवेदनशीलता से भी जुड़े हैं.

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