देशभर में जल्द SIR शुरू कर सकता है चुनाव आयोग! वकील अश्विनी उपाध्याय की PIL पर SC में बड़ी डेवलपमेंट, आयोग ने स्पष्ट की अपनी स्थिति
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मतदाता सूची संशोधन का अधिकार सिर्फ उसी के पास है और अदालत तय अंतराल पर SIR कराने का आदेश नहीं दे सकती. हालांकि आयोग ने साफ किया कि 1 जनवरी 2026 की पात्रता तिथि मानकर विशेष गहन संशोधन पहले ही तय कर लिया गया है.
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सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय की पूरे देश में SIR की समयसीमा को लेकर बड़ी डेवलपमेंट हुई है. आयोग ने कोर्ट को कहा कि उसे नियमित अंतराल पर SIR कराने को लेकर बाध्य नहीं किया जा सकता, लेकिन 1 जनवरी 2026 को पात्रता तिथि मानकर विशेष गहन संशोधन पहले ही तय कर लिया गया है. सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को तैयारी की गतिविधियां शुरू करने के निर्देश दे दिए गए हैं. 10 सितंबर को दिल्ली में सीईओ सम्मेलन हुआ, जिसमें पूरी तैयारी की समीक्षा की गई.
दिग्गज वकील अश्विनी उपाध्याय की एक जनहित याचिका के जवाब में दायर हलफनामा में चुनाव आयोग ने कोर्ट को कहा कि उसे किसी भी तय समय पर विशेष गहन संशोधन (SIR) कराने का आदेश अदालत नहीं दे सकती. आयोग ने आगे कहा कि संविधान और कानून के मुताबिक मतदाता सूची बनाना और उसे संशोधित करना केवल उसी का अधिकार है. शुक्रवार को दाखिल हलफनामे में आयोग ने साफ कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के तहत मतदाता सूची तैयार करने और उसमें संशोधन करने का अधिकार सिर्फ चुनाव आयोग को ही है.
आपको बता दें कि वकील उपाध्याय ने मांग अपनी याचिका में मांग की थी कि देशभर में विशेष संशोधन नियमित अंतराल पर हों, ताकि गैरकानूनी विदेशी घुसपैठिए चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित न कर सकें. उसी के जवाब में आयोग ने स्पष्ट कर दिया कि कोई उसे SIR की समयसीमा का आदेश नहीं दे सकता लेकिन एक डेवलपमेंट ये हुई कि ओयोग ने SIR की तारीख को लेकर अपना जवाब दे दिया.
वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी याचिका
आपको बता दें कि SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने पहले से ही दायर एक याचिका में एक और एप्लिकेशन डाली और मांग की थी कि जिन 5 राज्यों में अगले साल चुनाव होने हैं वहां अनिवार्य रूप से SIR के आदेश दिए जाएं. जिन 5 स्टेट्स में अप्रैल 2026 में चुनाव होने हैं, वे हैं, तमिलनाडु, असम, पुडुचेरी, केरल और बंगाल. इनमें 6 महीने में मतदान होंगे इसलिए तत्काल SIR के आदेश दिए जाएं ताकि फ्री एंड फेयर इलेक्शन सुनिश्चित हो सके. उन्होंने आगे ये भी कहा कि असम जैसे राज्यों में लोग फर्जी डॉक्यूमेंट और आधार बनवा रहे हैं. निष्पक्ष मतदान तभी संभव है जब बाकायदा एक-एक लोगों का जमीन पर जाकर जांच हो.
आधार पर भी साफ हुई स्थिति
8 सितंबर को न्यायमूर्ति सूर्या कांत की पीठ ने आदेश दिया था कि आधार कार्ड को मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए 12वें वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए. आयोग इस पर आरक्षण जता रहा था, लेकिन अदालत ने कहा कि भले ही आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है यह पहचान और निवास का वैध साक्ष्य है.
कैसे डॉक्यूमेंट्स बनाते हैं घुसपैठिए?
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वकील अश्विनी उपाध्याय ने भारत में अवैध रूप से घुसे घुसपैठियों द्वारा बनाए जा रहे दस्तावेजों के नेक्सस के बारे में भी बड़ा खुलासा किया. उन्होंने कहा कि पहले ये लोग पहले तो पार्षद और प्रधान से लिखवाकर आधार कार्ड बनवा लेते हैं. फिर इसी UID के जरिए पैसे देकर राशन कार्ड बनवा लेते हैं. फिर इनके पास दो दस्तावेज हो जाते हैं, जिसके आधार पर बर्थ सर्टिफिकेट भी हासिल कर लेते हैं. इसके बाद पैसे देकर ड्राइविंग लाइसेंस भी हासिल कर लेते हैं. अब बारी आती है वोटर ID की, जब इनके पास 4 डॉक्यूमेंट हो जाता है तो वो भी हासिल कर ही लेते हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए पूरे देश में SIR की जरूरत है और आधार पर भी स्पष्टीकरण हो ही जाएगी.
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