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ट्रंप हों या पुतिन, आखिर दो 'सुपर पावर' के लिए PM मोदी क्यों हैं इतने जरूरी?

रूस हो या अमेरिका, दोनों देशों को भारत की जरूरत क्यों है? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को क्यों चाहिए पीएम मोदी का साथ, जानिए इस खबर में

Donald Trump/PM Modi/Vladimir Putin

रूस हो या अमेरिका, दोनों महाशक्तियां दशकों से भारत के अहम रणनीतिक साझेदार रही हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आज पीएम मोदी दोनों सुपरपावर के लिए इतने अहम क्यों हो गए हैं? खासकर तब, जब अमेरिका के साथ टैरिफ वॉर और बदलते वैश्विक हालात इस रिश्ते को नई दिशा दे रहे हैं. पीएम मोदी के 75वें जन्मदिन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें 'मित्र नरेंद्र' कहकर शुभकामनाएं दीं, जबकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उनके वैश्विक योगदान की सराहना की.

ट्रंप ने पीएम मोदी को कहा ‘मित्र नरेंद्र’ 

भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद रिश्तों में आई खटास को कम करने की कोशिश करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं. सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने पीएम को ‘मित्र नरेंद्र’ कहकर संबोधित किया और लिखा ‘अभी-अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शानदार बातचीत हुई. मैंने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं. वह बेहतरीन काम कर रहे हैं.’ ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने में मोदी के समर्थन के लिए भी उनका धन्यवाद किया.

पुतिन ने PM मोदी के योगदान को सराहा

राष्ट्रपति ट्रंप के रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने के दावों के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी पीएम मोदी को जन्मदिन की बधाई दी. पुतिन ने अपने संदेश में द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने में मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों की सराहना की. उन्होंने लिखा कि ‘आपने अपने नेतृत्व से न केवल देशवासियों का सम्मान जीता है बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत की भूमिका को मजबूत किया है.’ पुतिन ने सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों की तारीफ की.

भारत को तेल से हथियार तक बेच रहा रूस

रूस से तेल आयात के कारण अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है. बावजूद इसके, भारत-रूस संबंध दशकों से भरोसेमंद रहे हैं. रक्षा सौदों से लेकर ऊर्जा आपूर्ति तक रूस भारत का अहम साझेदार है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार 2019-23 के बीच भारत के 36% हथियार रूस से आए. भारत अपनी जरूरत का करीब 88% तेल आयात करता है और 2024-25 में 35% तेल रूस से खरीदा. यूक्रेन युद्ध के बाद रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है.

भारत अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है 

भारत आज अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. वित्त वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 131.84 अरब डॉलर रहा. भारत न सिर्फ उच्च तकनीक वाले हथियार अमेरिका से खरीदता है, बल्कि हर साल औसतन 41 अरब डॉलर का व्यापार भी करता है. अगस्त 2025 में वस्तुओं और सेवाओं का कुल निर्यात 69.16 अरब डॉलर और आयात 79.04 अरब डॉलर दर्ज किया गया. चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-अगस्त 2025) में आयात में पेट्रोलियम उत्पाद (13.26 अरब डॉलर), इलेक्ट्रॉनिक सामान (9.73 अरब डॉलर), रसायन (2.49 अरब डॉलर), कोयला-कोक (2 अरब डॉलर), वनस्पति तेल (2 अरब डॉलर) और उर्वरक (1.65 अरब डॉलर) शीर्ष पर रहे.

भारत के साथ संतुलन बनाना दोनों देशों के लिए जरूरी

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत कभी किसी एक सैन्य या राजनीतिक गुट का हिस्सा नहीं रहा. भारत ने हमेशा स्वतंत्र और निष्पक्ष रुख अपनाया है. यही वजह है कि अमेरिका और रूस दोनों ही भारत के साथ संतुलन बनाए रखना चाहते हैं. मौजूदा वैश्विक हालात में भारत के लिए जहां अमेरिका और रूस अहम हैं, वहीं इन दोनों महाशक्तियों के लिए भी भारत के बिना आगे बढ़ना आसान नहीं. चीन दोनों के लिए अब भी सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है.

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