दिल्ली के मुस्तफा कमाल अतातुर्क मार्ग का नाम बदलकर 'ब्रह्मोस' रखा जाए, CTI ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन बृजेश गोयल ने प्रधानमंत्री आवास के पास मुस्तफा कमाल अतातुर्क मार्ग का नाम बदलने की मांग की है. उन्होंने कहा कि अतातुर्क तुर्किए के संस्थापक, जननायक और प्रथम राष्ट्रपति थे. इसलिए साइनबोर्ड का कोई औचित्य नहीं बनता है.
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चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन बृजेश गोयल की ओर से सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी के नाम एक पत्र लिखा गया है. पत्र में CTI की ओर से मांग की गई है कि प्रधानमंत्री आवास के पास मुस्तफा कमाल अतातुर्क मार्ग का नाम बदला जाए.
‘साइनबोर्ड का कोई औचित्य नहीं’
समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए बृजेश गोयल ने कहा, ‘प्रधानमंत्री आवास के पास मुस्तफा कमाल अतातुर्क नाम की एक सड़क है. कमाल अतातुर्क तुर्किए के संस्थापक और प्रथम राष्ट्रपति थे. उनके नाम का साइनबोर्ड हमारे देश की सड़क के लिए पिछले 30 वर्षों से लगा हुआ है. प्रधानमंत्री आवास के पास से बड़ी संख्या में लोग आते-जाते हैं, ऐसी जगह पर इस तरह के साइनबोर्ड का कोई औचित्य नहीं बनता है.’
गोयल ने जोर देते हुए कहा कि हालिया भारत-पाक संघर्ष में तुर्किए ने आतंकवादी देश पाकिस्तान को अपना खुलकर समर्थन दिया. ऐसे में हमें लगता है कि इस बोर्ड को यहां से हटा देना चाहिए. उन्होंने मांग की कि लुटियंस जोन में तुर्किए के राष्ट्रपति के नाम से सड़क नहीं होनी चाहिए. गोयल ने आगे कहा, ‘सीटीआई ने इस संदर्भ में पीएम मोदी को पत्र लिखा है. हमने मांग रखी है कि इस सड़क का नाम बदलकर ब्रह्मोस मार्ग कर दिया जाए. क्योंकि ब्रह्मोस हमारी सैन्य शक्ति का परिचायक है.’
NDMC के चेयरमैन से भी मुलाकात की मांग
गोयल ने यह भी बताया कि यह क्षेत्र NDMC के तहत आता है इसलिए इस संदर्भ में NDMC के चेयरमैन से भी मुलाकात का समय मांगा गया है. इसके अलावा, CTI महासचिव विष्णु भार्गव और गुरमीत अरोड़ा ने कहा कि पाकिस्तान के साथ -साथ तुर्किए भी हमारा दुश्मन है और तुर्किए सरकार को भी एक स्पष्ट संदेश जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश की राजधानी की प्राइम लोकेशन पर तुर्किए के संस्थापक के नाम से साइन बोर्ड का होना स्वीकार्य नहीं है.
दरअसल बीते दिनों भारत-पाक संघर्ष के दौरान भारत की कठोर सैन्य कार्रवाई में ब्रह्मोस की भूमिका अहम रही थी. पाकिस्तान में ब्रह्मोस मिसाइलों सटीक निशाना साध कर आतंकियों को करारा जवाब दिया था. ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर दुनिया भर में चर्चा हो रही है.
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