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विदेशी कंपनियों से कांग्रेस को हमदर्दी, अडानी से फायदा लेने में भी पीछे नहीं

कांग्रेसी का काला ‘राज खुला, Modi को तबाह करने के लिए ‘गंदा रास्ता’ अपनाया!

Congress चुनाव से पहले हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट ने भारतीय मार्केट में तहलका मचा दिया था, विदेशी ताक़तों को लगा कि मोदी को तीसरी बार इसी के सहारे हटा देंगे, लेकिन ऐसे साजिशकार्ताओं की नहीं चल पाई और देश में लगातार तीसरी बार मोदी सरकार आ गई, अब जब हैट्रिक लगी तो Congress  के साथ-साथ विदेशी ताक़तों की भी हालत ख़राब हो गई, क्योंकि उनके सपने पूरे नहीं हो पाए, ऐसे में 10 अगस्त की सुबह एक बार फिर से भारत की मार्केट को बर्बाद करने के लिए हिंडनबर्ग चेतावनी देता है, जिसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर हो जाती है ।

बड़े शातिराना अंदाज में कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोलकर हिंडनबर्ग पर पहले की तरह ही आंख बंद करके विश्वास तो किया, लेकिन अडानी के शेयरों को इस बार गिराना आसान नहीं था, जिसके बाद कांग्रेस की पोल पट्टी खोल दी गई, दरअसल कांग्रेस का कहना है कि, अडानी और SEBI पर आरोप है तो भाजपा क्यों बोल रही है? जिसके बाद बीजेपी सासंद सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला और कहा कि सवाल सिर्फ़ अडानी या SEBI का नहीं है, सवाल भारत के अर्थतंत्र में अव्यवस्था अस्थिरता औक अराजकता पैदा करना है, इसके साथ ही सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस को लेकर ऐसा खुलासा किया है, जिसे सुनकर शायद अडानी की विरोध में खड़ी पूरी कांग्रेस तुरंत एक्शन में आ जाएगी और हर एक कॉन्ट्रैक्ट रद्द करके अडानी को करारा जवाब देगी ।

‘अडानी से लाभ ले रही विपक्षी राज्य सरकारें’

तेलंगाना सरकार ने हाल ही में हज़ारो करोड़ रुपये का MOU अडानी से किया है  ।अडानी से पॉवर का सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट राजस्थान में हुआ, जब कांग्रेस की गहलोत सरकार थी। अडानी से हज़ारों करोड़ रुपया का कॉन्ट्रैक्ट छतीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार में हुआ, ये माइंस का कॉन्ट्रैक्ट था । केरला वायनाड में राहुल गांधी सांसद रहे, उन्होंने पोर्ट्स का कॉन्ट्रैक्ट दिया, महाराष्ट्र में महाविकास अघाडी सरकार ने पोर्ट का कॉन्ट्रैक्ट दिया । ममता बनर्जी अडानी को कॉन्ट्रैक्ट पर कॉन्ट्रैक्ट दिए जा रही है।

मतलब जहां भी कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक की सरकार है, वहां भर-भर के अडानी को कांट्रेक्ट दिए गए और पूंजी निवेश लिया गया, लेकिन जहां बीजेपी की बात आती है तो विपक्ष के पेट में दर्द शुरु हो जाता है, खैर बात यहीं ख़त्म नहीं हो जाती, आगे जो दावा बीजेपी की तरफ़ से किया गया वो कांग्रेस की पोल-पट्टी खोलकर रख दी है, दरअसल हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर उछलने वाली कांग्रेस हमेशा से विदेशी कंपनियों और उनके भ्रष्ट्रचारी एजेंटों के साथ खड़ी रही 

 ‘विदेशी कंपनियों से कांग्रेस का पुराना रिश्ता’

हिंडनबर्ग से कांग्रेस को हमदर्दी, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद करनी है  । 1984 में यूनियन कार्बाइड के साथ खड़ी रही कांग्रेस, वारेन एंडरसन को भगाया । बोफ़ोर्स होबिटजर के साथ कांग्रेस खड़ी रही । अगस्ता वेस्टलैंड के साथ कांग्रेस की हमदर्दी  । BBC से कांग्रेस वालों को सहानभूति है । विदेशी भ्रष्ट्राचारी और कांग्रेस का गठजोड़ क्यों ? वारेन एंडरसन, अटोबियो कॉटोजी, गाइडों हेसकी, किस्ट्रिन मिचेल जैसे विदेशी  भ्रष्ट्राचारी एजेंट कांग्रेस के साथी क्यों ?

ये सब दावे बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी की तरफ़ से किए गए, जिसके बाद सवाल उठता है कि, अगर अडानी से इतनी ही दिक़्क़त है तो विपक्ष की राज्य सरकारें कॉंट्रेक्ट केंसल क्यों नहीं करती, ये रिश्तेदारी क्यों निभाई जा रही है? मतलब साफ़ है कि, भारत की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए और विदेशी संस्थानों का हौसला बढ़ाने में कांग्रेस बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है

ऐसे में कांग्रेस इन आरोपों से कबतक मुंह फेरेगी ये वो वही जाने लेकिन जनता जवाब मांगती है कि, विदेशी एजेंटों से इतनी हमदर्दी कांग्रेस को क्यों ?

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