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‘हर मुद्दे को शांति के चश्में से नहीं…’ पाकिस्तान की हिमायत कर रहे फारूक अब्दुल्ला को शशि थरूर ने दिया जवाब

फारूक अब्दुल्ला ने ऑपरेशन सिंदूर को बेअसर बताते हुए कहा था, इसका कोई परिणाम नहीं निकला. उन्होंने पाकिस्तान के संदर्भ में कहा था, पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था दोस्त बदल सकते हैं पड़ोसी नहीं.

दिल्ली ब्लास्ट के बाद देश की सुरक्षा पर फिर सवाल खड़े हो गए हैं और आतंकवाद पर बहस फिर छिड़ गई है. इसी बीच कश्मीरियों पर सवाल उठाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कड़ा ऐतराज जताया है. जिसमें अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर की भी एंट्री हो गई है. 

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, 'आतंकवाद 1989-90 में कश्मीर से शुरू हुआ और धीरे-धीरे मुंबई, पुणे, दिल्ली तक फैल गया है. भारत पिछले 30 साल से आतंकवाद से चुनौती झेल रहा है. अब इस पर सख्त और असरदार एक्शन की जरूरत है. दरअसल, फारूक अब्दुल्ला ने ऑपरेशन सिंदूर को बेअसर बताते हुए कहा था, इसका कोई परिणाम नहीं निकला. उन्होंने पाकिस्तान के संदर्भ में कहा था, पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था दोस्त बदल सकते हैं पड़ोसी नहीं. इस पर भी शशि थरूर ने जवाब दिया है. 

‘हर मुद्दे तो शांति के चश्मे से नहीं देख सकते’

शशि थरूर मे कहा, हर आतंकी घटना में दो चीजें बेहद अहम होती हैं.  पहला यह पता लगाना कि वारदात किसने और क्यों की? दूसरा, ऐसे हमलों को दोबारा होने से रोकने के उपाय. हर मुद्दे को युद्ध और शांति के चश्मे से नहीं परखा जा सकता. आतंकवाद पर सख्ती जरूरी है, लेकिन देश के विकास के बड़े लक्ष्य को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. 
फारूक अब्दुल्ला ने क्या कहा था? 

शशि थरूर का ये बयान फारूक अब्दुल्ला की उस बात का जवाब माना जा रहा है. जिसमें उन्होंने कहा था कि, हर कश्मीरी पर उंगली उठाई जा रही है. वो दिन कब आएगा जब वे मानेंगे कि हम हिंदुस्तानी हैं. हम इसके जिम्मेदार नहीं. जो जिम्मेदार हैं, उनसे पूछिए कि इन डॉक्टरों को ये रास्ता क्यों अपनाना पड़ा? क्या वजह थी? इसकी गहन जांच और अध्ययन की जरूरत है. 

फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर को आतंक का अड्डा मानने वालों पर करारा प्रहार किया, लेकिन शशि थरूर ने तो कश्मीर को ही आतंक का उद्गम स्थान बता दिया. 

ऑपरेशन सिंदूर औैर पाकिस्तान पर क्या बोले फारूक अब्दुल्ला?

फारूक अब्दुल्ला ने ऑपरेशन सिंदूर पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ऑपरेशन सिंदूर से कुछ नहीं निकला. उम्मीद है कि अब यह नहीं होगा. इसमें हमारे 18 लोग मारे गए. हमारी सीमाओं से समझौता किया गया. मुझे उम्मीद है कि भारत और पाकिस्तान अपने ताल्लुक ठीक कर सकें. यही एक रास्ता है. उन्होंने पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेयी की बात को दोहराते हुए कहा, वो कहते थे कि दोस्त बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं. पड़ोसी से दोस्ती में रहेंगे तो दोनों तरक्की करेंगे. दुश्मनी करेंगे तो तरक्की रुक जाएगी. 
 
फारूक अब्दुल्ला उस देश के साथ रिश्ते पटरी पर लाने की हिमायत कर रहे हैं जो आतंक का परोकार है, पालनहार है. आतंक परस्त पाक सरकार की नीतियों ने न केवल पड़ोसी देशों के लिए खतरा पैदा किया है बल्कि खुद पाकिस्तान की जनता भी दहशतगर्दी से घिरी हुई है. फारूक अब्दुल्ला की बात के उलट शशि थरूर ने पाकिस्तान पर सख्त रुख अपनाने पर जोर दिया है. 

कश्मीर के नौगाम में धमाके के बाद गर्माया माहौल 

दरअसल, दिल्ली ब्लास्ट के 4 दिन बाद कश्मीर के नौगाम थाने में हुआ. इसमें 9 लोगों की मौत हो गई जबकि 32 लोग घायल हो गए. इनमें 27 पुलिसकर्मी हैं. धमाका विस्फोटकों सैंपल टेस्टिंग के कारण हुआ, ये कोई आतंकी हमला नहीं था. यह विस्फोटक फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर आतंकी डॉ. मुजम्मिल से जब्त किया गया था. शुरुआत में इसे आतंकी हमला माना जा रहा था. 

इसके बाद फारूक अब्दुल्ला ने सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था, यह हमारी गलती है, जो लोग इस विस्फोटक को बेहतर समझते हैं, उन्हें हैंडल करना जानते हैं, हमें पहले उनसे बात करनी चाहिए थी. बजाय इसके कि खुद उन चीजों में दखल करें, जिसके बारे में पता नहीं है. आपने नतीजा देखा, 9 लोगों की जान चली गई। वहां घरों को कितना नुकसान हुआ. 

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