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‘फैमिली बिजनेस बनी पॉलिटिक्स’ परिवारवाद पर थरूर का प्रहार, ‘नेहरू-गांधी’ के जिक्र पर भड़की कांग्रेस

परिवारवाद की राजनीति पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर के बयान को राहुल गांधी पर अप्रत्यक्ष हमला माना जा रहा है. उन्होंने कहा, भारत में राजनीति कुछ परिवारों का जन्मसिद्ध अधिकार बन गई है. शशि थरूर की टिप्पणी ने एक तरफ कांग्रेस में असंतोष को जाहिर किया तो दूसरी ओर BJP को बड़ा मौका दे दिया.

परिवारवाद भारतीय राजनीति की जड़ों में जमा हुआ है. उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक देश के हर कोने में परिवारवाद का बोलबाला है. ऐसा भी नहीं है कि परिवारवाद केवल एक पार्टी तक सीमित है अमूमन हर पार्टी के नेता अपने वारिस राजनीति में सेट कर रहे हैं. इससे न कांग्रेस अछूती है और न ही भारतीय जनता पार्टी. अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इसी वंशवादी राजनीति की कड़ी आलोचना की है. 

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक इंटरनेशनल प्रकाशन प्रोजेक्ट सिंडिकेट में राजनीति पर एक लेख लिखा. जिसमें उन्होंने राजनीति में परिवारवाद पर बड़ा हमला बोला. उन्होंने कहा, भारत में राजनीति फैमिली बिजनेस बन गई है. जब तक राजनीति परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रहेगी, तब तक लोकतांत्रिक सरकार का असली मतलब पूरा नहीं हो सकेगा.

परिवारवाद पर हमला, नेहरू-गांधी परिवार का जिक्र 

शशि थरूर के इस लेख का शीर्षक 'Indian Politics Are a Family Business' है. शशि थरूर ने अपने लेख में नेहरू-गांधी परिवार को भारत का सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार बताया. उन्होंने लिखा कि इस परिवार की विरासत आजादी के आंदोलन से जुड़ी है, लेकिन इसी कारण लोगों में यह सोच भी बढ़ी है कि राजनीति कुछ परिवारों का जन्मसिद्ध अधिकार है. 

थरूर ने लिखा, जब राजनीतिक सत्ता काबिलियत, समर्पण या जमीनी जुड़ाव के बजाय खानदान से तय होती है, तो प्रशासन की गुणवत्ता खराब होती है. कम टैलेंट पूल से लोगों को चुनना कभी भी फायदेमंद नहीं होता, लेकिन यह तब और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है जब उम्मीदवारों की मुख्य क्वालिफिकेशन उनका उपनाम हो. असल में, राजनीतिक घरानों के सदस्य आम लोगों की चुनौतियों से दूर रहते हैं, वे अक्सर अपने वोटर्स की जरूरतों का असरदार तरीके से जवाब देने में खास तौर पर नाकाम रहते हैं. फिर भी, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि खराब प्रदर्शन के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा. गांधी परिवार के साथ-साथ उन्होंने देश के कई राजनीतिक परिवारों का उदाहरण दिया. थरूर ने लिखा, जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों ने भी पीढ़ियों तक सत्ता संभाली है. इसके अलावा उन्होंने ओडिशा में नवीन पटनायक, महाराष्ट्र में उद्धव और आदित्य ठाकरे, उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव, बिहार में रामविलास और चिराग पासवान, पंजाब में प्रकाश सिंह और सुखबीर बादल, तेलंगाना में केसीआर के बेटे और बेटी के बीच उत्तराधिकार की लड़ाई के साथ ही तमिलनाडु में करुणानिधि और उनके बेटे एमके स्टालिन के परिवार को भी परिवारवाद की पौध करार दी.

शशि थरूर ने राजनीति में वंशवाद को केवल भारत की समस्या नहीं माना. उन्होंने कहा, कि परिवारवाद केवल भारत तक सीमित नहीं है. थरूर ने पाकिस्तान की भुट्टो और शरीफ सरकार का उदाहरण दिया. बांग्लादेश के शेख और जिया परिवार जबकि श्रीलंका में राजपक्षे और बंदरानायके परिवार को वंशवादी राजनीति का उदाहरण माना. 

क्या गांधी परिवार को निशाने पर ले रहे हैं थरूर? 

परिवार पर प्रहार और गांधी परिवार का जिक्र, क्या शशि थरूर कांग्रेस पर सीधा अटैक कर रहे हैं? क्या उनके निशाने पर राहुल गांधी हैं? शशि थरूर ने परिवारवाद पर अपने लेख में गांधी परिवार का उदाहरण दिया. हालांकि उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार को आंदोलन से जुड़ा बताया लेकिन साथ ही परिवारवाद की राजनीति को लोकतंत्र के लिए गलत भी माना. शशि थरूर के इस लेख ने BJP को कांग्रेस पर हमलावर होने का मौका दे दिया. क्योंकि PM मोदी से लेकर BJP के बाकी नेता गांधी परिवार पर परिवारवाद का आरोप लगाते रहेे हैं. 

BJP आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कहा, शशि थरूर की यह टिप्पणी कांग्रेस के भविष्य को लेकर उनकी 'निराशा' दिखाती है. वहीं, BJP प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने थरूर के लेख को 'बेहद सूझबूझ भरा' माना. उन्होंने कहा- थरूर ने सही लिखा है कि गांधी परिवार ने भारतीय राजनीति को पारिवारिक व्यवसाय बना दिया है. थरूर अब खतरों के खिलाड़ी बन गए हैं, जिन्होंने अपने ही दल के नेपो किड राहुल गांधी पर सीधा हमला किया है. 

केंद्रीय मंत्री ने थरूर के लेख पर क्या कहा? 

BJP ने शशि थरूर के परिवारवाद पर लेख को ‘असंतोष का संकेत’ बताया. केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा, थरूर का लेख उनके अनुभवों पर आधारित सच है. इससे कांग्रेस, सपा, RJD जैसी पार्टियों को झटका लगेगा. जिनकी राजनीति सिर्फ परिवार तक सीमित है. 

कांग्रेस ने क्या जवाब दिया? 

थरूर के लेख पर कांग्रेस का रिएक्शन भी सामने आया. पार्टी नेताओं ने परिवारवाद को महज राजनीति तक ही सीमित नहीं माना. उनका कहना है कि परिवारवाद अकेले राजनीति मे नहीं है. कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा डॉक्टर, व्यापारी और एक्टर भी अपने परिवार की राह पर चलते हैं. उन्होंने कहा, असली समस्या यह है कि मौके कुछ परिवारों तक सीमित रह जाते हैं, जिससे बाकी लोगों के लिए आगे बढ़ने के मौके कम हो जाते हैं.

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी भी उदित राज की बात से सहमत दिखे. उन्होंने कहा, परिवारवाद सिर्फ राजनीति में नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में देखने को मिलता है. लोकतंत्र में फैसला जनता करती है. किसी को सिर्फ इसलिए चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि उसके पिता सांसद थे. 

थरूर के लेख पर भड़के कांग्रेस सांसद

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने शशि थरूर के गांधी परिवार पर टिप्पणी को निराधार बताया. उन्होंने कहा, 'पंडित जवाहरलाल नेहरू इस देश के सबसे सक्षम प्रधानमंत्री थे. इंदिरा गांधी ने अपना जीवन बलिदान करके खुद को साबित किया. राजीव गांधी ने भी बलिदान देकर देश सेवा की. ऐसे में अगर कोई गांधी परिवार के वंशवाद की बात करता है तो फिर देश में किस अन्य परिवार ने ऐसा बलिदान, समर्पण और क्षमता दिखाई है. क्या वो BJP है?'

मोदी सरकार की तारीफ कर चर्चा मेें रहे शशि थरूर 

पिछले कुछ समय से कांग्रेस सांसद शशि थरूर पार्टी लाइन से अलग विचारधारा पर चल रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद उन्होंने कई बार खुलकर मोदी सरकार की तारीफ की. ऑपरेशन सिंदूर के विदेश जाने वाले डेलीगेशन में भी वह शामिल थे. इसके अलावा थरूर ने PM नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की भी तारीफ की थी और इमरजेंसी को काला अध्याय बताया था. उनके बयानों ने जहां कांग्रेस को असहज किया. वहीं, BJP को कांग्रेस पर प्रहार का बड़ा मौका दे दिया. इसके साथ ही पार्टी के भीतर उपजे असंतोष को भी बाहर ला दिया. 

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