पुतिन के डिनर में शशि थरूर की मौजूदगी से कांग्रेस भड़की, BJP बोली- इसमें गलत क्या है?
रूस के राष्ट्रपति पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में हुए स्टेट डिनर में कांग्रेस सांसद शशि थरूर को बुलावा मिला, लेकिन राहुल गांधी और खड़गे को निमंत्रण नहीं भेजा गया. इसे लेकर कांग्रेस में कड़ा विरोध है. पवन खेड़ा ने इसे प्रोटोकॉल तोड़ने और विपक्ष के शीर्ष नेताओं को जानबूझकर नजरअंदाज करने का आरोप लगाया.
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा जहां कूटनीतिक स्तर पर बेहद अहम रही, वहीं राष्ट्रपति भवन में आयोजित स्टेट डिनर ने देश की राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया है. विवाद की वजह कोई और नहीं, बल्कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर हैं, जिन्हें इस खास रात्रिभोज में आमंत्रित किया गया. वहीं पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण न मिलने से कांग्रेस में नाराजगी खुलकर सामने आ गई है.
कांग्रेस ने जताई नाराजगी
राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस हाई-प्रोफाइल डिनर में शशि थरूर की मौजूदगी कांग्रेस के भीतर कई सवाल पैदा कर गई. पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर वह थरूर की जगह होते तो अंतरात्मा की आवाज सुनते. कांग्रेस नेता खेड़ा ने तंज कसते हुए कहा कि जब पार्टी के दोनों शीर्ष नेता आमंत्रित नहीं किए गए, तो किसी अन्य नेता का बुलावा अपने आप में संदेश देता है. खेड़ा ने सीधे तौर पर केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह परंपराओं को तोड़ रही है और जानबूझकर विपक्ष के बड़े नेताओं को नजरअंदाज कर रही है. उन्होंने कहा कि दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष को नहीं बुलाना बताता है कि सरकार लोकतांत्रिक तौर-तरीकों में विश्वास ही नहीं रखती. खेड़ा के मुताबिक, सरकार न केवल प्रोटोकॉल तोड़ रही है, बल्कि संवैधानिक मानकों को दरकिनार कर रही है. थरूर के शामिल होने पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि यह आमंत्रण भी सवालों के घेरे में आता है और इसे स्वीकार करने वाला भी.
कांग्रेस की राजनीति पर सवाल
राजनीति में दिलचस्प मोड़ तब आया जब बीजेपी ने कांग्रेस की नाराजगी को पूरी तरह खारिज करते हुए शशि थरूर का खुलकर समर्थन किया. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि कांग्रेस किस मानसिकता से सोचती है समझ से परे है. उन्होंने कहा कि सरकार कई बार विभिन्न दलों के अनुभवी नेताओं को कूटनीतिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनाती है और इसमें किसी तरह की राजनीति नहीं देखी जानी चाहिए. इसके साथ मनोज तिवारी ने थरूर की तारीफ करते हुए कहा कि 'अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में थरूर जैसे अनुभवी लोग कई बार सरकारों की मदद करते रहे हैं.' उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उदाहरण देते हुए बताया कि राष्ट्रीय हित में पार्टियों के बीच सहयोग हमेशा से होता आया है.
सरकार ने किया पलटवार
यह विवाद ऐसे समय सामने आया है जब एक दिन पहले ही राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार विपक्ष को विदेशी प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात के लिए आमंत्रित नहीं करती. लेकिन सरकारी सूत्रों ने राहुल गांधी का दावा तुरंत खारिज करते हुए कहा कि वह नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद कम से कम चार विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से मिल चुके हैं. इनमें तत्कालीन बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना भी शामिल हैं. कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने भी सोशल मीडिया पर पुष्टि की कि न तो राहुल गांधी और न ही मल्लिकार्जुन खड़गे को इस प्रतिष्ठित स्टेट डिनर के लिए बुलाया गया था.
साल भर से लगातार निशाने पर हैं शशि थरूर
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि यह पहला अवसर नहीं है जब शशि थरूर अपनी ही पार्टी के निशाने पर आए हों. इससे पहले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने पर भी कई नेताओं ने उन पर सवाल उठाए थे. हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के ‘लॉर्ड मैकॉले’ वाले भाषण के दौरान मौजूद रहने और बाद में उसकी सराहना करने पर भी कांग्रेस के अंदर नाराजगी देखी गई थी. कहा जाता है कि थरूर का कूटनीतिक अनुभव और स्वतंत्र राजनीतिक शैली कई बार पार्टी लाइन से अलग दिख जाती है. यही कारण है कि वह अक्सर कांग्रेस नेताओं के बीच असहजता की वजह बन जाते हैं.
बताते चलें कि पुतिन के डिनर का यह विवाद आगे कितना बढ़ेगा यह देखने वाली बात होगी. लेकिन इतना तय है कि इस एक रात ने सत्ता और विपक्ष दोनों दलों के भीतर कई परतें खोल दी हैं. थरूर की मौजूदगी ने कांग्रेस को भीतर से खीझा दिया है और भाजपा इसे कांग्रेस के भीतर की असहजता के उदाहरण के रूप में पेश कर रही है. कूटनीति की मेज पर परोसे गए इस डिनर ने राजनीतिक गलियारों में गर्माहट जरूर बढ़ा दी है. आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक माहौल को और भी रोचक बना सकता है.
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