दिल्ली के मुख्यमंत्री के चयन में हो रही देरी पर बीजेपी पर हमलावर हुई कांग्रेस, अंदरूनी कलह को बताया देरी की वजह
प्रचंड जीत के बाद भी भारतीय जनता पार्टी में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अभी तर्क सिर्फ़ मंथन का दौर चल रहा है। रोजाना किसी नए नाम की चर्चा मुख्यमंत्री कि लेकर जोर पकड़ रही है। इस बीच मुख्यमंत्री के चयन में लगातार हो देरी पर विपक्ष अब बीजेपी हमलावर होता दिख रहा है।
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दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम आए एक सप्ताह से भी ज्यादा का समय हो चुका है। प्रचंड जीत के बाद भी भारतीय जनता पार्टी में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अभी तर्क सिर्फ़ मंथन का दौर चल रहा है। रोजाना किसी नए नाम की चर्चा मुख्यमंत्री कि लेकर जोर पकड़ रही है। इस बीच मुख्यमंत्री के चयन में लगातार हो देरी पर विपक्ष अब बीजेपी हमलावर होता दिख रहा है।
कांग्रेस का दावा बीजेपी में कलह
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को सामने आए है। इसके बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और संगठन के तमाम पदाधिकारियों की मुलाकात का सिलसिला देखने को मिला। इस बीच नई दिल्ली विधानसभा सीट से आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को चुनाव में मात देने वाले बीजेपी नेता प्रवेश वर्मा समेत कई नाम मुख्यमंत्री के रेस में अपनी जगह बनाए हुए है लेकिन अभी तक किसी भी नाम पर फ़ाइनल मुहर नही लगने की वजह से विपक्ष को एक बड़ा मौका मिला है। विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी में आंतरिक कलह के वजह से मुख्यमंत्री का चेहरा अभी तक तय नही हो पा रहा है। इसी क्रम में दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा अभी तक नाम तय न होना भारतीय जनता पार्टी के अंदर आपसी फूट को उजागर करता है। ये विचारहीन पार्टी कभी भी एक एकजुट नही हो सकती। उनका कहना है कि चुनाव नतीजे सामने आने के बाद से ही बीजेपी का हर तीसरा विधायक ख़ुद को मुख्यमंत्री के रूप में देख रहा है। ये बीजेपी की 1993 वाली सरकार की याद दिलाता है। जब एक ही कार्यकाल में पार्टी ने तीन मुख्यमंत्री बदले थे। जबकि शीला दीक्षित के नेतृत्व में 15 वर्षों तक कांग्रेस ने स्थिर सरकार चलाई थी। उन्होइ आगे कहा केंद्र सरकार जनता से किए अपने सभी वादे आज भूल चुकी है। महंगाई नियंत्रण से बाहर है।
आप पर भी कांग्रेस का हमला
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष ने सिर्फ़ बीजेपी नही बल्कि आम आदमी पार्टी पर भी हमला बोला उन्होंने कहा ये दोनों दल एक ही सिक्कें के दो पहलू है। दोनों ने जनविरोधी नीतियों में एक-दूसरे के साथ कदम मिलाया है। अब देखना होगा बीजेपी ने जनता से जो वादे किए है जो चुनौती उसके सामने है उसे कैसे पार पाएगी।
गौरतलब है कि दिल्ली चुनाव के नतीजे में बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल की है। पार्टी को 70 में से 48 सीटों पर बड़ी जीत मिली है जबकि एक दशक तक दिल्ली की सत्ता में काबिज रहने वाली आम आदमी पार्टी को महज 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा। वही कांग्रेस खाता भी नही खोल पाई।
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