'पाकिस्तान का करीबी, असम के लिए कलंक...', CM हिमंत ने गौरव गोगोई पर साधा निशाना, कहा- कभी भी भारत छोड़ सकते हैं
लोकसभा में सोमवार को असम के जोरहाट से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने पहलगाम आतंकी हमला फिर उसके बाद भारत की जवाबी कारवाई ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला था. अब इसके जवाब में असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने मोर्चा संभालते हुए कांग्रेस सांसद को पाकिस्तान का करीबी बता दिया है.

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लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हुई चर्चा के दौरान असम के जोरहाट सांसद गौरव गोगोई के भाषण को लेकर सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने उन पर जोरदार हमला बोला है.
सीएम हिमंत का सांसद गौरव गोगोई पर हमला
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट करके गौरव गोगोई को पाकिस्तान का करीबी बताया. सीएम हिमंता ने यहां तक कह दिया कि गौरव गोगोई पाकिस्तान के लिए काम कर रहे हैं और असम के लिए कलंक हैं.
speech delivered by our MP from Jorhat in Parliament yesterday proved beyond doubt that he acts on behalf of Pakistan. His secret trip and close ties with the Pakistani establishment speak volumes. With his wife and both the kids holding foreign citizenship, he can leave India…
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 29, 2025
सीएम हिमंता ने एक्स पर लिखा, कल संसद में जोरहाट से हमारे सांसद द्वारा दिए गए भाषण से यह बात बिना किसी संदेह के साबित हो गई कि वह पाकिस्तान की ओर से काम कर रहे हैं. उनकी गुप्त यात्रा और पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के साथ घनिष्ठ संबंध बहुत कुछ बयां करते हैं. उनकी पत्नी और दोनों बच्चों के पास विदेशी नागरिकता होने के कारण, वह कभी भी भारत छोड़ सकते हैं। वह असम के लिए कलंक हैं और एक गौरवान्वित भारतीय के रूप में हमारे गौरव के साथ विश्वासघात हैं.
गौरव गोगोई ने सदन में सरकार पर लगाए थे गंभीर आरोप
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार के बयान की कड़ी आलोचना की थी. उन्होंने सरकार पर पहलगाम आतंकी हमले की जवाबदेही से बचने और देश को इस फैसले के पीछे का कारण बताए बिना पाकिस्तान के साथ युद्धविराम करने का आरोप लगाया था.
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लोकसभा में बहस के दौरान बोलते हुए गोगोई ने 10 मई को आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू होने के तुरंत बाद घोषित अचानक युद्धविराम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया था. उन्होंने पूछा, विपक्ष समेत पूरा देश प्रधानमंत्री के समर्थन में एकजुट था, लेकिन 10 मई को हमें अचानक युद्धविराम के बारे में पता चला. क्यों? अगर पाकिस्तान आत्मसमर्पण करने वाला था, तो हमें किसने रोका? हमने किसके सामने आत्मसमर्पण किया?
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