पाकिस्तान में पानी को लेकर गृह युद्ध जैसे हालात, प्रदर्शनकारियों ने सिंध के गृह मंत्री का घर फूंका, दो की मौत, दर्जनों घायल
पाकिस्तान में सिंधु नदी के पानी को सिंध से पंजाब की ओर मोड़ने के सरकार के फैसले का विरोध शुरू हो गया है. इसी को लेकर हो रहा प्रदर्शन अब हिंसक हो गया है. कहा जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने सिंध के गृह मंत्री का घर तक फूंक दिया है.
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जिस पाकिस्तान को भारत ने मानवीय आधार और बड़ा दिल रखकर करीब 77 साल निर्बाध रूप से अपने हिस्से का पानी देता रहा. जिस भारत ने 1948, 1965, 1971, 1999 की जंग और कई निर्मम आतंकी हमलों के बावजूद सिंधू जल समझौते को खारिज नहीं किया उसे पाक ने मजबूर कर दिया कि इसे रद्द किया जाए, क्योंकि खून और पानी साथ नहीं बह सकता. पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार ने इसे सस्पेंड करने का फैसला किया है, जिसकी गूंज अब आतंकिस्तान में सुनाई दे रही है.
पाकिस्तान और पाकिस्तानियों को पानी की कीमत अब समझ में आ रही है. उसने अभी से डैम और नहर बनाकर पानी को घेरने की शुरुआत कर दी है. पाक में अब पानी को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. सिंध प्रांत में नहर विरोधी प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस की तरफ से लाठीचार्ज और कथित तौर पर गोलीबारी किए जाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.
पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सिंध प्रांत के नौशेहरो फिरोज जिले में मंगलवार को पुलिस और एक राष्ट्रवादी संगठन के कार्यकर्ताओं के बीच ज़बरदस्त झड़प हो गई. इस हिंसक टकराव में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि पुलिस के छह जवानों सहित 6 प्रदर्शनकारियों सहित कुल 12 लोग घायल हो गए.
कहा जा रहा है कि दो लोगों की मौत के बाद प्रदर्शन और उग्र हो गया. भीड़ का गुस्सा जिले के गृह मंत्री जियाउल हसन लंजर के घर पर फूटा. प्रदर्शनकारियों ने उनके घर में आगजनी और लूटपाट की, जिससे इलाके में तनाव और भय का माहौल बन गया है. स्थानीय प्रशासन ने हालात को काबू में लाने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया है, लेकिन स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है.
सिंध के नौशहरो फिरोज जिले के मोरो शहर में प्रस्तावित नहर निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने मोटरवे बाईपास सड़क को अवरुद्ध कर दिया, जिससे हालात तनावपूर्ण हो गए. पुलिस ने यातायात बहाल करने की कोशिश की, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर बल का इस्तेमाल किया. स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान गोली चली, जिससे प्रदर्शन और अधिक उग्र हो गया.
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है और स्थानीय प्रशासन हालात पर करीबी नजर बनाए हुए हैं. एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंधी राष्ट्रवादी संगठन 'सिंध सभा' ने हैदराबाद प्रेस क्लब के पास एक बैठक रखी थी लेकिन भारी सुरक्षा और सड़कों पर लगे बैरिकेड्स की वजह से यह बैठक नहीं हो सकी. पुलिस ने कई लोगों को पकड़ा और सिंध सभा के कुछ नेताओं को कॉन्फ्रेंस हॉल में ही रोक लिया गया. बाद में संगठन ने बताया कि वकीलों की एक टीम ने बीच में आकर मदद की और उनके नेताओं को सुरक्षित बाहर निकाल लिया.
सिंध सभा काफी समय से सिंधी राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं के जबरन गायब होने के खिलाफ आवाज उठा रही है. यह सम्मेलन "आइए मिलकर अपनी धरती सिंध को बचाने के लिए कदम उठाएं" विषय पर आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम का मकसद शरीफ सरकार द्वारा सिंध के प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल के खिलाफ मिलकर कोई योजना बनाना था. इसके लिए अलग-अलग राष्ट्रवादी पार्टियों को एक जगह इकट्ठा किया गया था.
स्थानीय मीडिया डॉन के मुताबिक, अशफाक मलिक के नेतृत्व में सिंध सभा पार्टी के करीब पचास कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम किया. वे कॉरपोरेट खेती और चोलिस्तान परियोजना के तहत नहरें बनाने का विरोध कर रहे थे.
पाकिस्तानी पंजाब हड़पने जा रहा सिंध का पानी
15 फरवरी को शुरू की गई चोलिस्तान सिंचाई योजना से सिंध में लोग नाराज हैं. वहां के लोगों को डर है कि इस योजना के तहत सिंधु नदी का कीमती पानी मोड़कर दक्षिण पंजाब की खेती के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
मार्च में सिंध विधानसभा ने इस योजना का विरोध करते हुए एकमत से प्रस्ताव पास किया था. यह प्रस्ताव लोगों की लंबे समय से चली आ रही क्षेत्रीय चिंताओं को दिखाता है.
पिछले कुछ महीनों में पीपीपी समेत सत्ताधारी गठबंधन के कई राजनीतिक दलों ने इस योजना को रद्द करने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किए हैं. कई लोगों का मानना है कि केंद्र सरकार सिंध के पानी के हक को नजरअंदाज कर रही है, जिस वजह से लोगों का गुस्सा और बढ़ गया है.
पहलगाम हमले के बाद CCS ने सिंधु नदी समझौते को सस्पेंड कर दिया था
22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक विवाद बढ़ गया है, जिससे हालात और मुश्किल हो गए हैं. इस हमले में चार आतंकवादियों ने 26 निर्दोष लोगों को मार डाला था. इसके बाद, भारत ने पाकिस्तान द्वारा समर्थन प्राप्त सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया के तौर पर सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को रोक दिया था.
बढ़ते दबाव के बीच, शरीफ सरकार ने पिछले महीने घोषणा की थी कि वह तब तक नहरों का निर्माण रोकेगी, जब तक सामान्य हितों की परिषद के माध्यम से सभी पक्षों की सहमति नहीं बन जाती. सिंध के वकीलों ने चोलिस्तान परियोजना को पूरी तरह रद्द करने की मांग को लेकर अपना विरोध जारी रखा है. उन्होंने साफ कर दिया है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती, वे धरना खत्म नहीं करेंगे.
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