राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ होगी बजट सत्र की शुरुआत, वक्फ संशोधन समेत 16 विधेयक किए जाएंगे पेश
देश की सियासी पार्टियों से लेकर राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों की नजर आने वाले कुछ दिनों तक राजधानी दिल्ली पर रहने वाले है। इसके पीछे की बड़ी वजह दिल्ली विधानसभा चुनाव तो है ही इसके अलावा शुक्रवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र भी है।
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देश की सियासी पार्टियों से लेकर राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों की नजर आने वाले कुछ दिनों तक राजधानी दिल्ली पर रहने वाले है। इसके पीछे की बड़ी वजह दिल्ली विधानसभा चुनाव तो है ही इसके अलावा शुक्रवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र भी है। यह सत्र बेहद ख़ास होने वाला क्योंकि सरकार की तरफ़ से वित्त विधेयक 2025, वक्फ और बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन और भारतीय रेलवे और भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियमों के विलय समेत 16 विधेयक संसद के बजट सत्र में पेश किए जाएंगे। यह सत्र शुक्रवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2024/25 के साथ शुरू हो रहा है।
वित्त मंत्री पेश करेंगी बजट
इस सत्र में आपदा प्रबंधन और तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) कानूनों में संशोधन संबंधी विधेयक पटल पर रखे जा सकते हैं। तटीय और व्यापारिक नौवहन से संबंधित विधेयक और ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद का नाम बदलकर त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय करने और इसे 'राष्ट्रीय महत्व का संस्थान' घोषित करने संबंधी विधेयक भी पेश किए जा सकते हैं। इस सत्र में विमानन क्षेत्र से संबंधित वित्तीय हितों की रक्षा करने और आव्रजन तथा विदेशियों के प्रवेश से संबंधित मौजूदा नियमों में बदलाव करने वाले विधेयक भी आने की उम्मीद है। अंत में, एक अन्य महत्वपूर्ण विधेयक गोवा राज्य के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के प्रतिनिधित्व का दोबारा समायोजन है। जैसा कि नाम से पता चलता है, यह उस राज्य में विधानसभा सीटों को फिर से आवंटित करने का प्रयास करता है, ताकि उसके एसटी समुदायों का बेहतर प्रतिनिधित्व हो सके। इस सत्र में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आठवां केंद्रीय बजट पेश करेंगी। उनसे पहले मोरारजी देसाई 10 बार बजट पेश कर चुके हैं।
वक्फ़ विधेयक का इंतज़ार होगा ख़त्म
अगर वक्फ (संशोधन) विधेयक की बात करें तो देश में मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन के तरीके - वक्फ कानूनों में 44 बदलावों का प्रस्ताव करने वाला विधेयक पिछले साल अगस्त में संसद में पेश किया गया था। विवादास्पद विधेयक को जैसे ही सदन में रखा गया और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अगुआई वाली संयुक्त समिति को भेजा गया, विपक्ष ने इसका तीखा विरोध किया। जेपीसी से जुड़ी करीब 36 बैठकें हुईं, लेकिन विपक्ष के कम संख्या वाले सदस्यों के विरोध और अव्यवस्था देखने को मिली, जिन्होंने कहा कि उनकी चिंताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। जेपीसी ने इस सप्ताह संशोधन विधेयक को मंजूरी दी है।
सदन पैनल ने 14 सिफारिशें की थीं, जो सभी सत्तारूढ़ भाजपा या उसके सहयोगियों के सदस्यों की थीं, जबकि विपक्षी सांसदों की तरफ से की गई 44 सिफारिशों को खारिज कर दिया गया।
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