'90 चुनाव हारने वाली कांग्रेस की हताशा बढ़ गई है...', राहुल गांधी के आरोपों पर BJP नेता अनुराग ठाकुर का पलटवार, कहा- हिम्मत है कोर्ट जाएं
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा वोट चोरी के आरोपों पर भाजपा ने पलटवार किया है. भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल गांधी जब-जब इन आरोपों को लेकर कोर्ट गए, उन्हें हमेशा माफी मांगनी पड़ी या अदालत की फटकार झेलनी पड़ी. ठाकुर ने कहा कि राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस 90 चुनाव हार चुकी है और अब उन्होंने आरोपों की राजनीति को अपना हथियार बना लिया है.
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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी द्वारा हाल ही में लगाए गए वोट चोरी के आरोपों ने राजनीतिक गलियारे में एक बार फिर हलचल मचा दी है. राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि कांग्रेस समर्थकों के मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं और मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार 'लोकतंत्र की हत्या करने वालों' तथा 'वोट चोरों' की रक्षा कर रहे हैं. इस दावे के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पलटवार करते हुए राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला है.
राहुल गांधी आरोप निराधार: अनुराग ठाकुर
भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि राहुल गांधी जब-जब आरोप लेकर अदालत में गए, तब-तब उन्हें मुंह की खानी पड़ी. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के आरोप अक्सर निराधार और भ्रामक साबित हुए हैं. ठाकुर ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस नेतृत्व के तहत पार्टी लगभग 90 चुनाव हार चुकी है और अब उनकी हताशा का नतीजा यह है कि वह आरोपों की राजनीति को अपना हथियार बना रहे हैं. ठाकुर ने कहा, 'राहुल गांधी के लिए आरोप लगाना और अदालत से फटकार खाना जैसे दिनचर्या बन गए हैं. माफी मांगना और अदालतों से आलोचना झेलना उनके लिए नया नहीं है. यह उनकी आदत बन चुकी है.' उन्होंने यह भी जोड़ा कि राहुल गांधी भारत में बांग्लादेश और नेपाल जैसे हालात पैदा करना चाहते हैं, जहां लोकतंत्र की नींव पर सवाल उठाए जाते हैं.
राजनीति नाटक कर हैं राहुल गांधी
भाजपा ने राहुल गांधी के आरोपों को केवल राजनीतिक नाटक करार दिया. अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस नेता अवैध मतदाताओं को बचाने के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि यह देश के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों के लिए खतरा है. उनका कहना था कि ऐसे कदम लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं और देश की जनता को गुमराह कर सकते हैं. राहुल गांधी ने संवाददाता सम्मेलन में कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के आलंद विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों का हवाला दिया. उनका दावा था कि चुनाव से पहले कांग्रेस समर्थकों के वोट सुनियोजित तरीके से हटाए जा रहे थे. उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर आरोप लगाया कि वह इन कार्यों को रोकने के बजाय 'वोट चोरों' को संरक्षण दे रहे हैं. हालांकि, निर्वाचन आयोग की ओर से अभी तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
कांग्रेस की निराशा दिन पर दिन बढ़ रही है
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, 'चुनाव दर चुनाव हार और जनता से नकार दिए जाने वाले एक नेता जिनके नेतृत्व में लगभग 90 चुनाव कांग्रेस पार्टी हारी, उनकी हताशा निराशा दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. आरोपों की राजनीति को इन्होंने अपना आभूषण बना लिया है. जब इन्हीं के लगाए गए आरोपों को चुनाव आयोग सत्यापित करने कहती है को पीठ दिखाकर भाग जाते हैं. शपथ पत्र देने कहा जाता है तो मुकर जाते हैं. गलत और निराधार आरोप लगाना राहुल गांधी की आदत बन गई है. आरोप लगाने के बाद माफी मांगने का काम और कोर्ट से फटकार खाने का काम राहुल गांधी का हो गया है. हर मामले में इनको फटकार ही लगी है. आज की प्रेस वार्ता में हाइड्रोजन बम फोड़ने वाले थे फुलझड़ी से काम चलाना पड़ा."
हिम्मत है तो अदालत जाएं राहुल गांधी: अनुराग ठाकुर
भाजपा ने इस मुद्दे पर राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट जाने की चुनौती भी रखी. अनुराग ठाकुर ने कहा, 'यदि उनके तर्कों में दम है तो अदालत जाएं और साबित करें. आरोप लगाने भर से कोई लोकतंत्र की रक्षा नहीं करता.' उन्होंने पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एम एस गिल और टी एन शेषन के उदाहरणों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे कुछ वरिष्ठ अधिकारी कांग्रेस से जुड़े रहे, लेकिन उन्होंने अपने पद की गरिमा और नियमों का पालन किया. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आरोप-प्रत्यारोप का खेल आगामी चुनावों से पहले दोनों पार्टियों के लिए एक रणनीतिक युद्ध बन गया है. राहुल गांधी की ओर से लगाए गए आरोपों को उनके राजनीतिक विरोधियों ने उनकी चुनावी विफलताओं और बढ़ती हताशा से जोड़कर देखा है. वहीं, भाजपा इसे लोकतंत्र की सुरक्षा और निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर देने के लिए अवसर मान रही है.
जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी का आरोप राजनीतिक दृष्टिकोण से गंभीर है, लेकिन उसे साबित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. उनका कहना है कि निर्वाचन आयोग जैसे संवैधानिक संस्थानों की प्रक्रिया को बिना ठोस सबूत के चुनौती देना लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय हो सकता है. वहीं, भाजपा का यह स्पष्ट रवैया कि वह आरोपों का न्यायिक रूप से सामना करने के लिए तैयार है, राजनीतिक परिदृश्य में नया मोड़ ला सकता है.
इस पूरे विवाद ने भारतीय राजनीति में एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को कैसे सुनिश्चित किया जाए. राहुल गांधी के आरोप और भाजपा का पलटवार दोनों ही जनता के बीच राजनीतिक जागरूकता बढ़ाने का अवसर प्रदान कर रहे हैं. जनता यह जानना चाहती है कि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष है या नहीं, और इस पर होने वाली बहस लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक मानी जा रही है.
बताते चलें कि राहुल गांधी के आरोपों और भाजपा के पलटवार के बीच राजनीतिक माहौल और भी गर्म हो गया है. आगामी दिनों में अदालत और निर्वाचन आयोग की प्रतिक्रिया इस बहस को और भी स्पष्ट दिशा दे सकती है. जनता की नजरें इस पर टिकी हैं कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए राजनीतिक पार्टियां किस तरह की रणनीति अपनाती हैं और क्या आरोप न्यायिक रूप से साबित हो पाते हैं या नहीं.
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