बिहार कांग्रेस में खलबली… हार के बाद 7 नेताओं को दिखाया बाहर का रास्ता, इन पर हुआ एक्शन
आरोप है कि इन नेताओं ने पार्टी लाइन के बाहर लगातार अवांछित और भ्रामक बयान जारी किए थे. जिसके बाद 7 नेताओं को निष्कासित कर दिया गया.
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बिहार चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस में खलबली मची हुई है. पार्टी ने उन नेताओं पर एक्शन लिया है जो पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे. पार्टी-विरोधी गतिविधियों के चलते 7 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. पार्टी ने इनकी प्राथमिक सदस्यता रद्द करते हुए इन्हें 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया.
बताया जा रहा है ये कार्रवाई कांग्रेस पार्टी के मूल सिद्धांतों, अनुशासन और संगठनात्मक मर्यादा के खिलाफ रवैया अपनाने वाले नेताओं पर की गई है. आरोप है कि इन नेताओं ने पार्टी लाइन के बाहर लगातार अवांछित और भ्रामक बयान जारी किए थे. जिसके बाद 7 नेताओं को निष्कासित कर दिया गया.
इन 7 नेताओं को कांग्रेस ने किया बाहर
अनुशासन समिति के अध्यक्ष कपिलदेव प्रसाद यादव ने आदेश में कहा, पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोपों के बाद संबंधित नेताओं से मिले स्पष्टीकरण समिति को संतोषजनक नहीं लगे. उनके कार्य पार्टी अनुशासन उल्लंघन के पांच मानकों में से तीन के अंतर्गत स्पष्ट रूप से आते हैं. जिन नेताओं को बाहर किया गया है उनमें कांग्रेस सेवा दल के पूर्व उपाध्यक्ष आदित्य पासवान, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष शकीलुर रहमान, किसान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज कुमार शर्मा, प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज कुमार राजन, अति पिछड़ा विभाग के पूर्व अध्यक्ष कुंदन गुप्ता, बांका जिला कांग्रेस कमिटी की अध्यक्ष कंचना कुमारी और नालंदा जिला के रवि गोल्डन शामिल हैं.
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इन नेताओं पर आरोप है कि इन्होंने कांग्रेस के कार्यक्रमों और फैसलों के खिलाफ लगातार पार्टी मंचों से बाहर बयान दिए और सक्षम अधिकारियों के निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना की. प्रिंट और सोशल मीडिया में टिकट खरीद-फरोख्त जैसे निराधार और भ्रामक आरोप लगाकर पार्टी की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचाया.
43 नेताओं से मांगा था जवाब
बिहार विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद बिहार कांग्रेस ने एक्शन लेते हुए पार्टी गतिविधियों में शामिल नेताओं को नोटिस भेजा था. 43 नेताओं को नोटिस भेजा गया था. इनसे बकायदा सफाई मांगी गई और जवाब मिलने के बाद 7 नेताओं को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया.
समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन मुद्दों को उठाकर नेताओं ने दुष्प्रचार किया, उन पर पार्टी ने पूर्ण पारदर्शिता अपनाई थी. पर्यवेक्षकों की नियुक्ति, जनसंपर्क कार्यक्रम, प्रदेश चुनाव समिति की बैठकों तथा अखिल भारतीय चुनाव समिति की ओर से विस्तृत समीक्षा के बाद ही अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा की गई थी. समिति ने यह भी बताया कि केंद्रीय पर्यवेक्षक अविनाश पाण्डेय की सहमति से विधानसभा पर्यवेक्षक बनाए जाने के बाद भी इन नेताओं ने अनुशासनहीनता जारी रखी. आपको बता दें कि बिहार में कांग्रेस ने 60 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन महज 6 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी. कांग्रेस ने महागठबंधन के दल के रूप में चुनाव लड़ा था.
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