Advertisement

महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर छिड़े सियासी संग्राम के बीच शरद पवार ने सुझाया सुलह का रास्ता, कहा- थोपना ठीक नहीं, लेकिन अनदेखी भी नहीं...

महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के बाद राज्य में सियासी तूफान मचा हुआ है. आलम यह हुआ कि राज्य सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा है. इस पूरे मामले पर पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से लेकर एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे इसके अलावा एनसीपी चीफ शरद पवार तक विरोध में कूद पड़े हैं.

महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर सियासी तूफान मचा हुआ है. भाषा विवाद पर पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम हिंदी के खिलाफ़ नहीं है, लेकिन हिंदी थोपने का मतलब एक भाषा एक पार्टी का वर्चस्व. हम इस मु्द्दे पर प्रदर्शन करेंगे.

वहीं राज्य के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा लोकतंत्र में कोई भी चीज़ नहीं थोपी जाएगी. जबरदस्ती हिंदी शब्द के अनिवार्य इस्तेमाल को भी हटाया गया है. हिंदी भाषा विवाद पर मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, राज्य में मराठी जरूरी है, लेकिन हिंदी हो सकती है एक वैकल्पिक भाषा. इस बीच राज्य के शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे ने एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात की. लेकिन मुलाकात के बाद भी राज अपने रुख पर कायम है. 

हिंदी को अनिवार्य बनाना ठीक नहीं - शरद पवार 

प्रदेश में भाषा विवाद को लेकर चल रहे टकराव पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि प्राथमिकी शिक्षा में हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाना ठीक नहीं है. कक्षा पांच के बाद हिंदी सीखने में कोई समस्या नहीं है. क्योंकि देश का बड़ा आबादी हिंदी भाषा का इस्तेमाल करता है.

शरद पवार - "छोटे बच्चों पर भाषा का अत्याधिक बोझ नहीं डाला जाना चाहिए. अगर कोई बच्चा अपनी मातृभाषा से दूर हो जाए और एक नई भाषा सीख ले, तो ये गलत होगा. राज्य सरकार कक्षा पांच तक हिंदी को अनिवार्य करने की जिद्द छोड़ दें. किसी भी राज्य में मातृभाषा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. कक्षा पांच के बाद अगर किसी बच्चे के पैरेंट्स चाहते हैं कि वह कोई और भाषा सीखे तो निर्णय लिया जा सकता है."

महाराष्ट्र में हिंदी अब अनिवार्य नहीं  

महाराष्ट्र में हिंदी भाषा की अनिवार्यता वाला फैसला फडणवीस सरकार के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है. हालांकि विपक्ष के कड़े विरोध के बाद सरकार ने हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा की जगह वैकल्पिक कर दिया है.

इसके बावजूद उद्धव और राज दोनों ने फडणवीस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. दोनों ने विरोध प्रदर्शन का ऐलान करते हुए कहा है कि मराठी भाषा की अस्मिता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वहीं एमएनएस कार्यकर्ता मराठी के समर्थन में सिग्नेचर कैंपेन (हस्ताक्षर अभियान) चला रहे हैं.

उद्धव ठाकरे ने इस मु्द्दे को मुख्यमंत्री फडणवीस की साजिश करार देते हुए कहा कि मराठी हिंदी विवाद छात्रों से लेकर शिक्षकों को बांट रहा है. लेकिन विरोध बढ़ने के बाद महायुती सरकार ने हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा की जगह. उसे तीसरी वैकल्पिक भाषा करके डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है.

Advertisement

यह भी पढ़ें

Advertisement

LIVE
अधिक →