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एअर इंडिया में फिर लापरवाही... एक्सपायर्ड लाइसेंस और अधूरी ट्रेनिंग के बावजूद दो पायलटों ने उड़ाई फ्लाइट, DGCA ने मांगी रिपोर्ट

एअर इंडिया एक बार फिर विवादों में है. अहमदाबाद विमान हादसे के बाद अब दो मामलों में बड़ी लापरवाही सामने आई है. एक को-पायलट ने अधूरी ट्रेनिंग के बावजूद उड़ान भरी, जबकि सीनियर कैप्टन ने एक्सपायर्ड लाइसेंस के साथ विमान उड़ाया. DGCA ने दोनों मामलों की जांच शुरू कर दी है.

Air India (File Photo)

अहमदाबाद विमान हादसे के बाद एक बार फिर एअर इंडिया सुर्खियों में है. देश की सबसे पुरानी एयरलाइन कंपनी इन दिनों अपने शेड्यूलिंग और रोस्टरिंग सिस्टम को लेकर सवालों के घेरे में है. हाल ही में सामने आए दो मामलों ने  एअर इंडिया की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक तरफ को-पायलट ने अधूरी ट्रेनिंग के बावजूद फ्लाइट उड़ाई, तो दूसरी ओर सीनियर कैप्टन ने एक्सपायर्ड लाइसेंस के साथ विमान का संचालन किया. अब इन मामलों की DGCA जांच कर रहा है. 

बिना ट्रेनिंग के उड़ाई फ्लाइट

सूत्रों के मुताबिक, एयरबस A320 विमान के को-पायलट ने अपना इंस्ट्रूमेंट रेटिंग और प्रोफिशिएंसी चेक (IR-PPC) पास किए बिना फ्लाइट ऑपरेट कर दी. यह टेस्ट हर छह महीने में पायलट्स के लिए अनिवार्य होता है ताकि उनकी उड़ान क्षमता का मूल्यांकन किया जा सके. नियमों के अनुसार, अगर कोई पायलट यह टेस्ट पास नहीं कर पाता है तो उसे फिर से ट्रेनिंग लेनी पड़ती है. लेकिन इस मामले में को-पायलट ने ट्रेनिंग पूरी किए बिना ही उड़ान भर ली. जैसे ही यह मामला एयरलाइन प्रबंधन के संज्ञान में आया, एअर इंडिया ने तत्काल कार्रवाई की. कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि फर्स्ट ऑफिसर के खिलाफ अनुशासनात्मक कदम उठाए गए हैं. क्रू शेड्यूलर और पायलट दोनों को ऑफ-रोस्टर कर दिया गया है यानी अब वे किसी भी उड़ान का हिस्सा नहीं होंगे. एअर इंडिया ने DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) को रिपोर्ट सौंप दी है और जांच जारी है.

एक्सपायर्ड लाइसेंस के साथ उड़ा विमान

इसी तरह दूसरा मामला और भी गंभीर है. सीनियर कमांडर ने इंग्लिश लैंग्वेज प्रोफिशिएंसी (ELP) लाइसेंस एक्सपायर होने के बावजूद फ्लाइट ऑपरेट की. यह लाइसेंस पायलट्स के लिए बेसिक क्वालिफिकेशन में शामिल होता है और इसकी वैधता खत्म होने पर किसी भी पायलट को विमान उड़ाने की अनुमति नहीं होती. एअर इंडिया ने इस पर कहा कि जैसे ही मामला सामने आया, संबंधित कैप्टन को ऑफ-रोस्टर कर दिया गया और DGCA को विस्तृत रिपोर्ट भेजी गई है. सीनियर पायलट्स का कहना है कि ये घटनाएं एयरलाइन की आंतरिक मॉनिटरिंग व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं. उनका मानना है कि रोस्टरिंग सिस्टम में सुधार के बावजूद अब भी ओवरसाइट और डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन में गंभीर खामियां बनी हुई हैं.

भविष्य के लिए बड़ी चुनौती 

DGCA ने इस पूरे मामले पर एयर इंडिया से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. बता दें कि रेगुलेटर ने पांच महीने पहले भी एयरलाइन को शेड्यूलिंग में गड़बड़ियों को लेकर चेतावनी दी थी. बावजूद इसके, इन दो ताजा मामलों ने फिर यह दिखा दिया कि सिस्टम में पारदर्शिता और सख्त निगरानी की कमी है. एविएशन विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की चूक न केवल सुरक्षा के लिए खतरा है बल्कि यात्रियों के भरोसे पर भी बड़ा असर डालती है. अब देखना होगा कि एअर इंडिया इस बार केवल जांच पर नहीं, बल्कि ठोस सुधारात्मक कदमों पर कितना अमल करती है.

बताते चलें कि इन दोनों घटनाओं ने साफ कर दिया है कि एअर इंडिया को अब अपने सेफ्टी सिस्टम और पायलट मॉनिटरिंग पर सख्ती से ध्यान देने की ज़रूरत है. बार-बार की लापरवाही न सिर्फ कंपनी की साख पर असर डालती है बल्कि यात्रियों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े करती है. अब निगाहें DGCA की जांच और एयरलाइन के अगले कदम पर टिकी हैं कि वह इन खामियों को कैसे दूर करती है.

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