शशि थरूर के बाद मनीष तिवारी… कांग्रेस की रणनीतिक बैठक से गायब रहे दो बड़े नेता, क्या छोड़ेंगे ‘हाथ’ का साथ?
कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में मिल रही हार और भीतर बढ़ता असंतोष आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा रहा है. इसी बीच सांसद शशि थरूर लगातार तीसरी बार पार्टी की अहम बैठक से गैरहाज़िर रहे
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देश के कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को एक ओर हार का सामना करना पड़ रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ पार्टी के अंदर नेताओं का बढ़ता असंतोष आलाकमान के लिए रोज़ाना नई चुनौती खड़ी कर रहा है. इसी तरह की चुनौती को बढ़ाने वाला एक और मामला सामने आया है, जब तिरुवनंतपुरम से पार्टी के सांसद शशि थरूर लगातार तीसरी बार पार्टी की महत्वपूर्ण मीटिंग से गैरहाज़िर रहे.
बैठक में नहीं पहुंचे थरूर
दरअसल, शुक्रवार को कांग्रेस के 99 लोकसभा सांसदों की एक अहम बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य था कि शीतकालीन सत्र के बचे हुए दिनों में किस तरह सत्ता पक्ष को घेरा जाए और किन मुद्दों पर रणनीति तैयार की जाए. मगर एक बार फिर शशि थरूर इस बैठक में नहीं पहुंचे. यह लगातार तीसरा मौका है जब उन्होंने पार्टी की मीटिंग को मिस किया है. शशि थरूर की गैरमौजूदगी ऐसे समय में चर्चा का विषय बनी हुई है जब उनके कांग्रेस नेतृत्व से रिश्ते पहले ही सहज नहीं माने जा रहे हैं. वह कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर तारीफ कर चुके हैं. पार्टी के भीतर माना जाता है कि उनके इस रुख से असहजता पैदा हुई है. ऐसे में जब वह लगातार कांग्रेस की बैठकों से दूर हो रहे हैं, तो राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें तेजी पकड़ रही हैं.
मीटिंग क्यों नहीं आए थरूर?
जानकारी देते चलें कि संसद का शीतक़ालीन सत्र का समापन 19 दिसंबर को होना है और इससे पहले राहुल गांधी ने सभी सांसदों को बुलाकर एक संयुक्त रणनीति बनाने की कोशिश की. लेकिन शशि थरूर की कुर्सी खाली रही. उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठे तो उनके एक्स हैंडल पर एक दिन पहले दी गई जानकारी चर्चा में आ गई. उन्होंने लिखा था कि वह इस समय कोलकाता में हैं जहां उनके पुराने सहयोगी जॉन कोशी की शादी है. साथ ही उनकी बहन स्मिता थरूर का जन्मदिन भी है और वह एक कार्यक्रम में शामिल होने वाले हैं.
मनीष तिवारी भी नहीं पहुंचे
केवल थरूर ही नहीं बल्कि सांसद मनीष तिवारी भी इस बैठक में मौजूद नहीं थे. तिवारी को लेकर भी अक्सर उनकी स्वतंत्र राय और कई मौकों पर पार्टी लाइन से हटकर बयान देने की वजह से सवाल उठते रहे हैं. ऐसे में दोनों नेताओं का एक साथ गैरहाजिर रहना पार्टी के भीतर चर्चाओं को और हवा देता दिख रहा है. शशि थरूर इससे पहले नवंबर में हुई दो बैठकों से भी अनुपस्थित रहे थे. इनमें से एक महत्वपूर्ण बैठक 30 नवंबर को सोनिया गांधी ने बुलाई थी. उस समय भी सवाल उठे थे कि क्या यह असहमति का संकेत है. हालांकि थरूर ने सफाई देते हुए कहा था कि उन्होंने मीटिंग छोड़ी नहीं बल्कि पहुंच नहीं सके क्योंकि वह केरल से दिल्ली लौट रहे थे और फ्लाइट में थे. बाद में उनके कार्यालय की ओर से बताया गया कि वह अपनी 90 वर्षीया मां के साथ यात्रा कर रहे थे और फ्लाइट रीशेड्यूल होने के कारण मीटिंग मिस हो गई.
SIR के मुद्दे पर हुई बैठक में भी शामिल हुए थे थरूर
इसके अलावा 18 नवंबर की एक और महत्वपूर्ण बैठक में भी वह उपस्थित नहीं थे. उस मीटिंग में SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण पर चर्चा की जानी थी. सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे स्वयं मौजूद थे. लेकिन थरूर के कार्यालय ने बताया कि तब वह खराब सेहत के कारण शामिल नहीं हो सके.
बताते चलें कि कांग्रेस में लगातार बैठकों से दूरी और पार्टी नेतृत्व से बढ़ती असहजता के बीच अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि शशि थरूर आने वाले दिनों में क्या कदम उठाते हैं. क्या यह सिर्फ संयोग है या किसी बड़े राजनीतिक समीकरण का संकेत. फिलहाल कांग्रेस में इस मामले पर सभी चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन चर्चाएं तेज हैं कि पार्टी को इन संकेतों को गंभीरता से लेने की जरूरत है.
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