ट्रंप को झटका देने के बाद भारत पहुंचे जर्मनी के विदेश मंत्री, एस. जयशंकर बोले- यह दौरा अपने आप में संदेश है
जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान डेविड वेडफुल ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण साझेदार है. उन्होंने भारत-जर्मनी संबंधों को राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से घनिष्ठ बताया और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया.
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भारत और जर्मनी के बीच राजनयिक संबंध लंबे समय से मजबूत रहे हैं और दोनों देश डिफेंस से लेकर तकनीकी क्षेत्र तक कई समझौतों में साझेदारी करते रहे हैं. जर्मनी में नई सरकार के गठन के बाद उनके विदेश मंत्री जोहान वेडपूल भारत के पहले दौरे पर आए हैं. उन्होंने बेंगलुरु में भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों का अवलोकन किया और अब नई दिल्ली में हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ उनकी बैठक के बाद दोनों देशों ने संयुक्त बयान जारी किया. इस दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिना नाम लिए अमेरिका को जवाब देते हुए कहा कि यह मुलाक़ात अपने आप में एक संदेश है.
Delighted to welcome FM @JoWadephul of Germany this morning in Delhi.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 3, 2025
Held detailed discussions on our bilateral agenda as we prepare for the next round of Inter-Governmental Consultations to be held in India. Explored greater collaboration in furthering industry linkages,… pic.twitter.com/K7qggRUj3P
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत और जर्मनी के बीच लंबे समय से बहुपक्षीय सहयोग चला आ रहा है. उन्होंने अपने जर्मन समकक्ष जोहान वाडेफुल के साथ द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न आयामों पर गहन चर्चा करने के लिए उत्सुकता जताई. जयशंकर ने विश्वास व्यक्त किया कि आज की बातचीत से दोनों देशों के बीच बहुपक्षीय सहयोग और मजबूत होगा.
मुक्त व्यापार समझौते पर हुई बातचीत
बैठक के दौरान जयशंकर ने कहा कि भारत यूरोपीय संघ के साथ अपने संबंधों को गहरा करने और मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर वार्ता में तेजी लाने के लिए जर्मनी का सहयोग चाहता है. उन्होंने बताया कि यह यात्रा दोनों देशों के व्यापारिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग को आगे बढ़ाने का अवसर है. जयशंकर ने अपने बयान में कहा, "हम 25 वर्षों की रणनीतिक साझेदारी, 50 वर्षों के वैज्ञानिक सहयोग, लगभग 60 वर्षों के सांस्कृतिक समझौतों और एक शताब्दी से अधिक के व्यावसायिक संबंधों का जश्न मना रहे हैं. मुझे खुशी है कि इस यात्रा के दौरान आपको बेंगलुरु जाने और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारे सहयोग की अपार संभावनाओं को देखने का अवसर मिला."
द्विपक्षीय सहयोग पर हुई चर्चा
जयशंकर ने आगे कहा, "आज मैं हमारे द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न आयामों पर गहन चर्चा की उम्मीद करता हूं. इससे हम बाद में होने वाली उपयोगी अंतर-सरकारी बैठकों की तैयारी भी कर सकेंगे. हमारे लिए यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर जर्मनी का दृष्टिकोण क्या है." जयशंकर ने जर्मनी के विदेश मंत्री के रूप में जोहान वाडेफुल का भारत में पहली यात्रा पर स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यह दौरा महत्वपूर्ण संदेश भी देता है क्योंकि यह मई में उनकी बर्लिन यात्रा के कुछ ही महीनों बाद हो रहा है.
रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने की उम्मीद
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मंगलवार को वाडेफुल का भारत में स्वागत करते हुए कहा कि बेंगलुरु और दिल्ली में उनकी मुलाकात से भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी. उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच इस साल 25 साल की साझेदारी का जश्न मनाया जा रहा है.
आतंकवाद के मुद्दे पर जर्मनी ने दिखाई समझदारी: एस जयशंकर
डॉ. एस जयशंकर ने कहा, 'आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के संबंध में जर्मनी ने जो समझ दिखाई है, हम उसकी बहुत कद्र करते हैं. जर्मन विदेश मंत्री जोहान वेडफुल ने स्वयं आतंकवादी हमलों से अपने लोगों की रक्षा करने के हमारे अधिकार के बारे में स्पष्ट रूप से कहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जून में जर्मनी गए एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल का भी गर्मजोशी से स्वागत किया गया था. हमारे रक्षा और सुरक्षा सहयोग में वृद्धि हुई है. जर्मनी ने पिछले साल तरंग शक्ति वायु अभ्यास में भाग लिया था. आज, हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि इस तरह की भागीदारी जारी रहनी चाहिए, बल्कि इसका विस्तार भी होना चाहिए.'
#WATCH दिल्ली | विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, "आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के संबंध में जर्मनी ने जो समझ दिखाई है, हम उसकी बहुत कद्र करते हैं। जर्मन विदेश मंत्री जोहान वेडफुल ने स्वयं आतंकवादी हमलों से अपने लोगों की रक्षा करने के हमारे अधिकार के बारे में स्पष्ट रूप से कहा… pic.twitter.com/FzNrnOeagJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 3, 2025
हिंद-प्रशांत में भारत को प्रमुख साझेदार बताया
भारत आने से पहले, वाडेफुल ने भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र का महत्वपूर्ण साझेदार बताया. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंध राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से घनिष्ठ हैं. सुरक्षा सहयोग, नवाचार, तकनीक और कुशल श्रमिकों की भर्ती तक दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के विस्तार की बहुत संभावनाएं हैं. वाडेफुल ने यह भी कहा कि भारत इस सदी की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाता है और इसे जर्मनी का स्वाभाविक साझेदार माना जाता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि बेंगलुरु और नई दिल्ली में होने वाली बातचीत से दोनों देशों के बीच साझेदारी और सहयोग और मजबूत होगा. भारत-जर्मनी संबंधों का यह दौर रणनीतिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग की नई संभावनाओं से भरा हुआ है. जयशंकर और वाडेफुल की बैठक से स्पष्ट हुआ कि दोनों देश व्यापार, सुरक्षा और वैश्विक मुद्दों में सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. आने वाले महीनों में मुक्त व्यापार समझौते और अंतर-सरकारी परियोजनाओं पर महत्वपूर्ण प्रगति की उम्मीद की जा रही है.
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बताते चलें कि भारत-जर्मनी की यह बैठक दोनों देशों के लिए नई संभावनाओं और सहयोग के मार्ग खोलती है. जयशंकर और वाडेफुल की बातचीत से स्पष्ट हुआ कि व्यापार, सुरक्षा, तकनीक और सांस्कृतिक क्षेत्र में दोनों देश और अधिक घनिष्ठ साझेदारी की दिशा में काम करेंगे. आने वाले महीनों में मुक्त व्यापार समझौते और अंतर-सरकारी परियोजनाओं में प्रगति की उम्मीद है, जो भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी और दोनों देशों के बीच स्थिर और दीर्घकालिक संबंधों को मजबूती प्रदान करेगी.
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