बिहार के बाद अब दिल्ली में पूरी हो गई तैयारी... जल्द शुरू होने वाला है SIR, जानें किन दस्तावेजों की पड़ेगी जरूरत
बिहार के बाद अब समूचे भारत में SIR यानी मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण की तैयारी जोरों पर है. कर्नाटक में सभी तैयारियां लगभग पूरी हैं, लेकिन प्रक्रिया तभी शुरू होगी जब भारत निर्वाचन आयोग से हरी झंडी मिलेगी. संभावना है कि 2025 के अंत तक यह देशभर में शुरू हो सकता है. इसी तरह राजधानी दिल्ली में भी 2002 की मतदाता सूची में नाम दर्ज नहीं होने वालों को पहचान पत्र प्रस्तुत करने की तैयारी चल रही है.
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बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण यानी SIR के बाद अब समूचे भारत में इस प्रक्रिया की तैयारी जोरों पर है. खबर है कि कर्नाटक में भी राज्य निर्वाचन आयोग ने इस तैयारी को अंतिम रूप दे दिया है. हालांकि, प्रक्रिया तभी शुरू होगी जब भारत निर्वाचन आयोग से औपचारिक हरी झंडी मिलेगी. जानकारों की मानें तो संभव है कि 2025 के अंत तक पूरे देश में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हो जाए.
दिल्ली में भी शुरू हो गई तैयारी
राजधानी दिल्ली में भी एसआईआर की तैयारी शुरू हो गई है. यहां 2002 की मतदाता सूची में जिनके नाम दर्ज नहीं हैं, उन्हें अपने पहचान पत्र प्रस्तुत करने होंगे. दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने कहा है कि सभी विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) नियुक्त किए जा चुके हैं. सीईओ कार्यालय ने बताया कि जिला निर्वाचन अधिकारी, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी, सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी और बीएलओ को प्रशिक्षण भी दिया गया है. इसके साथ ही जनता से अनुरोध किया गया है कि वे अपने और अपने माता-पिता के नामों की पुष्टि 2002 की मतदाता सूची देखकर करें.
कर्नाटक में तैयारियां लगभग पूरी
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वी अंबुकुमार ने कहा है कि राज्य में सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग से आधिकारिक आदेश मिलने के बाद ही प्रक्रिया शुरू होगी. इस रिवीजन में 2002 की मतदाता सूची के आधार पर बदलाव किए जाएंगे. जिन लोगों को सूची में बाद में शामिल किया गया है, उनसे जरूरी दस्तावेज मांगे जाएंगे.
इन दस्तावेजों की रखें जानकारी
एसआईआर के दौरान दस्तावेज़ आयुवर्ग के हिसाब से मांगे जाएंगे. जिनका जन्म 1987 से पहले हुआ है, उन्हें 12 में से एक दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा, जिसमें आधार कार्ड को केवल पहचान पत्र माना जाएगा. 1987 से 2004 के बीच पैदा हुए लोगों को दो दस्तावेज दिखाने होंगे. इसमें एक दस्तावेज उनकी खुद की जन्मतिथि की पुष्टि करेगा और दूसरा माता-पिता की. यदि माता-पिता में से कोई एक विदेशी नागरिक है, तो पासपोर्ट और वीजा विवरण भी देना होगा.
इस प्रक्रिया का क्या होगा सामाजिक महत्व?
बिहार में 2003 के बाद पहली बार एसआईआर हुई थी. यह प्रक्रिया राजनीतिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण रही और उस समय बड़े विवाद का कारण बनी. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य कुछ लोगों को उनके मताधिकार से वंचित करना है. हालांकि, निर्वाचन आयोग का कहना है कि SIR का असली मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची में शामिल हों और कोई भी अपात्र मतदाता इसमें शामिल न हो.
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जानकारों का मानना है कि कर्नाटक और दिल्ली में इस प्रक्रिया के सफल होने से मतदाता सूची अधिक सटीक और भरोसेमंद बनेगी. यह न केवल चुनाव की पारदर्शिता बढ़ाएगा बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने में भी मदद करेगा. नागरिकों के लिए यह समय है कि वे अपनी जानकारी की पुष्टि करें और सुनिश्चित करें कि उनका मताधिकार सुरक्षित है. एसआईआर की यह प्रक्रिया लोकतंत्र की मजबूती और चुनावी पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो भविष्य में सभी राज्यों में लागू किया जा सकता है.
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