50 दिनों में पुतिन को घुटनों पर लाने की कोशिश... अमेरिका के बाद अब ब्रिटेन ने भी रूस पर लगाए 137 नए प्रतिबंध
रूस को घुटने पर लाने के लिए अब कई देशों ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. इसी दौरान सोमवार को ब्रिटेन ने भी नया प्रतिबंधों का सेट जारी किया है. ब्रिटिश सरकार का दावा है कि इन प्रतिबंधों से रूस की "वॉर चेस्ट" यानी युद्ध के लिए धन जुटाने की क्षमता पर सीधा असर पड़ेगा.

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ब्रिटेन ने रूस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला अमेरिका के उस 50-डे डेडलाइन के समर्थन में किया है, जिसमें रूस पर सीजफायर के लिए दबाव बनाने की कोशिश है.
रूस पर लगाए गए 137 नए प्रतिबंध
ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (FCDO) ने बताया कि इन नए प्रतिबंधों में 137 टारगेट शामिल हैं, जो रूस के ऊर्जा सेक्टर के केंद्र को निशाना बनाते हैं. इसका मकसद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की उस ऑयन इनकम को रोकना है जो यूक्रेन पर अवैध युद्ध के लिए फंडिंग का प्रमख सोर्स है.
इनमें से 135 ऑयल टैंकर शामिल हैं जो रूस की शैडो फ्लीट का हिस्सा हैं. इन टैंकरों ने 2024 की शुरुआत से अब तक 24 बिलियन डॉलर की ब्रिटेन के मुताबिक, गैरकानूनी कार्गो की सप्लाई की हैं. ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा, "नए प्रतिबंध पुतिन की शैडो फ्लीट को और कमजोर करेंगे और रूस की युद्ध से जुड़ी ऑयल इनकम को खत्म करेंगे. जब पुतिन शांति वार्ता को टालते हैं, हम चुप नहीं बैठ सकते. हम अपनी पूरी सैंक्शन सिस्टम का इस्तेमाल करेंगे."
रूस के ऑयल सेक्टर पर हमला, यूक्रेन में शांति की ओर एक कदम
इस सप्ताह की सैंक्शन लिस्ट में इंटरशिपिंग सर्विसेज LLC भी शामिल है, जिसने गबोनी झंडे के तहत शैडो फ्लीट जहाजों को रजिस्टर किया और हर साल करीब 10 बिलियन डॉलर के सामान की शिपिंग की. लिटास्को मिडिल ईस्ट DMCC भी इस लिस्ट में है, जो रूसी ऑयल कंपनी लुकोइल से जुड़ी है और रूस के तेल को शैडो फ्लीट जहाजों के जरिए सप्लाई कर रही है.
ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने कहा, "हर वह हमला जो हम रूस के ऑयल सेक्टर पर करते हैं, यूक्रेन में शांति की ओर एक कदम है और यूके समेत पूरी दुनिया की सुरक्षा में योगदान है." ब्रिटेन का दावा है कि अब तक के वेस्टर्न सैंक्शंस के चलते रूस की ऑयल और गैस आय 2022 से हर साल गिरती रही है और तीन वर्षों में इसकी कुल वैल्यू का एक तिहाई हिस्सा खत्म हो चुका है.
कमजोर हो चुका है रूस का वेल्थ फंड, बढ़ रही महंगाई
ब्रिटेन ने बताया कि रूस का वेल्थ फंड कमजोर हो चुका है, महंगाई बढ़ रही है और रक्षा खर्च बेतहाशा बढ़ गया है. इसके अलावा यूके और EU ने क्रूड ऑयल प्राइस कैप भी कम कर दिया है ताकि रूस की आय को और रोका जा सके. ब्रिटेन ने अमेरिका द्वारा दिए गए "50-डे डेडलाइन" का भी समर्थन किया है, जिसमें रूस से शांति के लिए कदम उठाने की मांग की गई है. यूक्रेन डिफेंस कॉन्टैक्ट ग्रुप की 29वीं बैठक में यूके डिफेंस सेक्रेटरी जॉन हीली ने कहा कि अमेरिका की तरह अब यूरोपीय देश और ब्रिटेन भी कीव को जरूरी एयर डिफेंस सप्लाई बढ़ाएंगे.
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ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने यह भी बताया कि मई में यूक्रेन के साथ 2.26 बिलियन पाउंड के सैन्य समर्थन का करार किया गया है, जिसे रूस की इम्मोबिलाइज्ड प्रॉपर्टी से मिलने वाली राशि से चुकाया जाएगा. इसमें से दो-तिहाई रकम हथियारों की खरीद पर खर्च की जा रही है.
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