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अधीर रंजन की बीजेपी में शामिल होने की तैयारी पूरी, ममता के खिलाफ खोला था मोर्चा!

Mamata और अधीर रंजन चौधरी के बीच जुबानी जंग से राजनीति गरमा गई है। ममता बनर्जी खुद को इंडिया अलांयस का हिस्सा बता रही है तो वहीं चौधरी उनके बीजेपी में जाने की बात कह रहे हैं। चौधरी ने अब खरगे के बयान पर भी विद्रोही तेवर दिखाए हैं।

कांग्रेस पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है ।क्योंकि उसकी मशीनरी की गड़बड़ाई हुई है ।याद करिए संजय निरुपम ने जब कांग्रेस को अलविदा कहा था, तब उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के भीतर पांच पावर पॉइंट है ।और जब भी यें पावर पॉइंट आपस में टकराते है ।और उस टकराव से जो बिजली पैदा होती है उसका रिजल्ट ये निकलता है कि नेता कांग्रेस छोड़ कर चले जाते है ।क्योंकि इस टकराव से निकलने वाली एनर्जी को वो बर्दाश्त नहीं कर पाते ।और यही चल रहा है बंगाल में जहां अधीर रंजन चौधरी ममता दीदी के खिलाफ खड़े है ।बंगाल में इंडिया गठबंधन काम नहीं कर रहा है।  कांग्रेस और टीएमसी वहां अलग चुनाव लड़ रही है ।अधीर ममता की खिलाफत कर रही है और ममता कांग्रेस की तारीफ कर रही है । तारीफ से मतलब है कि ममता दीदी ने कहा है कि अगर चार जून के बाद इंडिया गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में आता है तो ममता गठबंधन का सहयोग करेंगी ।ये बयान अधीर रंजन के गले नही उतरा। अधीर ने ममता पर हमला करते हुए कहा था कि मुझे उन पर भरोसा नहीं है। वह इंडिया अलायंस से अलग हैं। अब वह हमारे साथ मिलने की कोशिश कर रही हैं, क्योंकि उन्हें एहसास है कि हम राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हो रहे हैं ।


अधीर रंजन के इस बयान पर खड़गे साहब उखड़ गए । खड़गे साहब का उखड़ना वाजिब भी थी क्योंकि जिस दौर में पार्टी घरातल में जा रही है।  पार्टी के नेता साथ छोड़ कर जा रहे है । उस दौर में अगर कोई साथ देने की बात कर रहा है तो भला सोनिया राहुल उस आते हुए मेहमान को कैसे छोड़ सकते है । खड़गे ने पटलवार करते हुए अधीर को जवाब देते हुए कहा कि चुनाव के बाद सरकार गठन के लिए उठाए जाने वाले कदमों का फैसला चौधरी नहीं करेंगे । जरूरत पड़ने पार्टी आलाकमान फैसला करेगा । खड़गे साहब ने बता दिया की अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के लिए कुछ भी नहीं है।  भले ही वो अकेले बंगाल में ममता के खिलाफ उतरे हो।  कांग्रेस का बंगाल में बहुत ज्यादा जनाधार नहीं है फिर भी अधीर लड़ रहे है । लेकिन खड़गे के बयान ने मानों बता दिया है कि औकात यहां सिर्फ गांधी परिवार की है।  नेता कोई भी जो परिवार ने कहा है वो मानना तो पड़ेगा । और नहीं नहीं मानते है तो फिर भइया अपना रास्ता पकड़ लो । खड़गे ने बात खुद कही है कि नेताओं को पार्टी आलाकमान के अनुरुप चलना होगा, या उन्हे पद छोड़ना होगा । ये सीधा अधीर रंजन के लिए धमकी नहीं है तो फिर क्या है ।आप अपने विवेक से बताइएगा ।तो चलिए खबर में आगे बढ़ते है ।खड़गे के इस बयान से अधीर रंजन में तमतमा गए ।और कह दिया कि वर्किंग कमेटी का सदस्य होने के नाते वो आलाकमान का हिस्सा हैं ।अब खड़गे साहब जरा ये बता दें कि वो कौन से आलाकमान की बात कर रहे है। क्योंकि आलाकमान में तो अधीर रंजन भी है ।तो खड़गे साहब सीधे तौर पर मान क्यों नही लेते कि पार्टी गांधी परिवार की ही है ।क्यों गोल गोल घुमा रहे है ।एक और बात बंगाल में कांग्रेस के जो पर्यवेक्षक है उनका कहना है कि कांग्रेस आलाकमान टीएमसी के लिए नरम रुख रखना चाहता है ।लेकिन अधीर इसे मानने के लिए तैयार नहीं है ।


यहां अधीर रंजन का जो मानना है वो काफी हद तक सही दिखाई पड़ता है ।क्योंकि अधीर का कहना है कि ये सब यह सब ठीक है । ये मेरा वैचारिक विरोध है, कोई कांग्रेस को खत्म करने की कोशिश करेगा और मैं उसका स्वागत करूंगा, ऐसा नहीं हो सकता. मेरी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है ।ये वैचारिक विरोध है ।ये पश्चिम बंगाल में मेरी पार्टी को बचाने की लड़ाई है ।मैं इस लड़ाई को नहीं रोक सकता क्योंकि मैं कांग्रेस का पैदल सैनिक हूं ।अधीर चाहते है कि बंगाल में कांग्रेस का जो वजूद खत्म हो चुका है ।जिस जमीन पर ममता का कब्जा है उसे वापस पाया जाए ।लेकिन कांग्रेस को आदत हो चुकी है बैसाखी के सहारे चलने की ।और यही है टकराव की असली कारण। और इस टकराव को अब बीजेपी कैश कहाने के मूड में दिखाई दे रही है ।बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने अधीर को बीजेपी में आने का ऑफर दे दिया है। मजूमदार ने कहा है कि मै अधीरता से यही कहूंगा कि अगर आप ममता बनर्जी से लड़ना चाहते है तो कोई उपयुक्त जगह ढूंढ लीजिए ।जिस घर में आप है वो भयावहता से भरा है, भयावहता का घर छोड़ो , राम के घर चलो। और हां एक फर्जी मैसेज के जरिए खबर पहले ही फैल चुकी है कि चार जून के बाद अधीर रंजन बीजेपी में शामिल हो सकते है ।हालांकि अधीर ने इस बयान का खंडन कर दिया था। लेकिन जिस तरह से अब खड़गे अधीर रंजन पर बरसे है और कहा है कि जो सहमत नहीं है उसे बाहर चले जाना चाहिए ।इसका मतलब तो साफ है कि अधीर के रहने या ना रहने से कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ता। और जब फर्क नहीं पड़ता तो वो अगर बीजेपी के ऑफर वो स्वीकार कर लेते है तो फिर कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए हैं। कांग्रेस के लिए जरुर मुश्किल खड़ी हो जाएगी। और बंगाल में जो बचा हुआ वोट है कांग्रेस उससे हाथ धो बैठेगी ।और इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलने वाला है ।

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