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तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और शक्ति बढ़ाने वाला कानून लागू, केंद्र सरकार ने उठाया निर्णायक क़दम

केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों के विभिन्न अंगों (थलसेना, वायुसेना व नौसेना) के बीच बेहतर तालमेल, कमांड दक्षता और अनुशासन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इंटर-सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम 2023 के तहत बनाए गए नियमों को अधिसूचित कर दिया है. सैन्य सुधारों की दिशा में केंद्र सरकार का ये ऐतिहासिक और निर्णायक कदम माना जा रहा है. नए कानून से तीनों सेनाओ में तालमेल बढ़ेगा और अपार शक्ति भी मिलेगी.

केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों के विभिन्न अंगों (थलसेना, वायुसेना व नौसेना) के बीच बेहतर तालमेल, कमांड दक्षता और अनुशासन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इंटर-सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम 2023 के तहत बनाए गए नियमों को अधिसूचित कर दिया है.

तीनों सेनाओं में बेहतर समन्वय स्थापित होगी
इंटर-सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस अधिनियम 2023 से तीनों सैन्य बलों थलसेना, वायुसेना व नौसेना के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा. साथ ही तीनों सैन्य बल अधिक कुशलता से विभिन्न ऑपरेशन को अंजाम देंगे. हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीनों सशस्त्र बलों के बीच बेहतरीन समन्वय देखने को मिला था. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह अधिनियम संसद के मानसून सत्र 2023 के दौरान दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था और 15 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद लागू हुआ. 

अधिसूचना के अनुसार, यह अधिनियम 10 मई 2024 से प्रभाव में आया. बाद में, 27 दिसंबर 2024 को गजट अधिसूचना संख्या एसआरओ 72 के माध्यम से इंटर-सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस (आईएसओ) को अधिसूचित किया गया. इस अधिनियम के तहत, इंटर-सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस के कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को उनके अधीन सेवा कर रहे सशस्त्र बलों के कर्मियों पर कमांड और नियंत्रण का अधिकार प्राप्त होता है. 

इसका उद्देश्य अनुशासन और प्रशासन की प्रभावी देखरेख करना है, जबकि प्रत्येक सेवा शाखा की विशिष्ट सेवा शर्तों को बिना बदले बनाए रखा गया है. नवीन रूप से अधिसूचित ये नियम अधिनियम की धारा 11 के तहत बनाए गए हैं. ये नियम अधिनियम के प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए तैयार किए गए हैं. ये नियम सेना के अनुशासन, प्रशासनिक नियंत्रण एवं संचालनात्मक समन्वय की एक समग्र रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं. 

सशस्त्र बलों की एकीकृत कार्यप्रणाली की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा!
इन नियमों के अधिसूचित होने के साथ ही अब यह अधिनियम पूर्ण रूप से लागू हो गया है. इससे इंटर-सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस के प्रमुखों को अधिकार मिलेंगे. यही नहीं, अब अनुशासनात्मक मामलों के त्वरित निपटान में मदद मिलेगी और मामलों की सैन्य बलों की जांच में दोहराव की प्रक्रिया से बचा जा सकेगा. रक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह पहल भारत के सशस्त्र बलों की एकीकृत कार्यप्रणाली को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी. 

अंतर-सेवा संगठनों के नियंत्रण और संचालन को मजबूत करने के लिए प्रस्तावित विधेयक में कई अहम प्रावधान शामिल हैं. पब्लिक पॉलिसी रिसर्च थिंक टैंक, PRS Legislative Research के अनुसार अंतर-सेवा संगठनों के नेतृत्व प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है. वर्तमान में अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को अन्य सैन्य सेवाओं (सेना, नौसेना, वायु सेना) के कर्मियों पर अनुशासनात्मक या प्रशासनिक अधिकार नहीं हैं. यह विधेयक उन्हें संगठन में सेवारत या संलग्न सभी कर्मियों पर कमान, नियंत्रण और अनुशासन बनाए रखने की शक्ति देता है. वे कर्मियों के कर्तव्यों के उचित पालन को सुनिश्चित करेंगे.

केंद्र सरकार की भूमिका
वहीं अंतर-सेवा संगठनों का पूर्ण नियंत्रण केंद्र सरकार के पास होगा. सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रशासन या सार्वजनिक हित के आधार पर इन संगठनों को निर्देश दे सकती है. साथ ही, सरकार किसी अन्य बल को अधिसूचित कर सकती है, जो सेना, नौसेना और वायु सेना से अलग हो, और इस विधेयक के दायरे में आए. 

कमांडर-इन-चीफ की पात्रता: कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड के पद के लिए निम्नलिखित अधिकारी योग्य होंगे:
Indian Amry यानी कि सेना: ब्रिगेडियर से ऊपर का जनरल ऑफिसर.
Indian Navy यानी कि नौसेना: फ्लीट के एडमिरल, एडमिरल, वाइस-एडमिरल या रियर-एडमिरल.
Indian Air Force यानी वायु सेना: ग्रुप कैप्टन से ऊपर का एयर ऑफिसर.

इन अधिकारियों को सेना, नौसेना, वायु सेना के वरिष्ठ कमांडिंग ऑफिसरों के समान अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियां मिलेंगी, साथ ही सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य अधिकारियों की शक्तियां भी. वहीं अगर कमांडिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी या कार्यक्षेत्र की बात करें तो विधेयक में इसका भी स्पष्ट प्रावधान किया गया है. CO या OIC किसी यूनिट, जहाज या प्रतिष्ठान का नेतृत्व करेगा. यह अधिकारी कमांडर-इन-चीफ द्वारा सौंपे गए कर्तव्यों का पालन करेगा और संगठन में नियुक्त या संलग्न कर्मियों पर अनुशासनात्मक व प्रशासनिक कार्रवाई शुरू कर सकता है.

कुल मिलाकर तीनों सेनाओं को एक छाते के नीचे लाने की दिशा में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा. केंद्र सरकार द्वारा सीडीएस की नियुक्ति के बाद यह दूसरा कदम है जिसे ऐतिहासिक माना जा रहा है.

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