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बिहार-झारखंड-पश्चिम बंगाल को दी सौगात, भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट रेलवे लाइन का होगा दोहरीकरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट (177 किमी) रेलवे लाइन के दोहरीकरण को 3,169 करोड़ रुपए की लागत से मंजूरी दी. परियोजना से लाइन क्षमता बढ़ेगी, परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा, भीड़भाड़ कम होगी और क्षेत्र में रोजगार व आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.

Source: Social Media

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बुधवार को बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लिए अहम फैसला लिया. भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट रेलवे लाइन (177 किमी) का दोहरीकरण मंजूर किया गया, जिसकी कुल लागत लगभग 3,169 करोड़ रुपए है. यह परियोजना क्षेत्र के विकास और बेहतर कनेक्टिविटी के लिए एक बड़ी सौगात साबित होगी.

केंद्र ने बताया कि इस परियोजना से रेलवे की लाइन क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे परिचालन दक्षता और सेवा की विश्वसनीयता में सुधार होगा. मल्टी-ट्रैकिंग से परिचालन सुगम होगा और भीड़भाड़ कम होगी, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों में बुनियादी ढांचे का विकास बढ़ेगा. यह परियोजना प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो क्षेत्र के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार तथा स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद करेगी.

परियोजना से मिलेगा लाभ 

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने कहा कि यह परियोजना पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत बनाई गई है. इसका उद्देश्य मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ाना है. परियोजना से लोगों, सामानों और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित होगी. प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह परियोजना बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के पांच जिलों को कवर करेगी और भारतीय रेलवे नेटवर्क में 177 किलोमीटर की वृद्धि करेगी. इसके अलावा यह देवघर (बाबा वैद्यनाथ धाम) और तारापीठ (शक्तिपीठ) जैसे तीर्थस्थलों और पर्यटन स्थलों को बेहतर रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 441 गांव और 28.72 लाख की आबादी जुड़ेंगे. तीन प्रमुख जिलों – बांका, गोड्डा और दुमका – में कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा मिलेगा. यह मार्ग कोयला, सीमेंट, उर्वरक, ईंट और पत्थर जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए भी महत्वपूर्ण है. क्षमता वृद्धि से 15 मिलियन टन प्रति वर्ष अतिरिक्त माल परिवहन संभव होगा.


रेलवे के अनुसार, यह परियोजना पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा-कुशल है. इससे जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति, लॉजिस्टिक्स लागत में कमी, तेल आयात में 5 करोड़ लीटर की बचत और 24 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी संभव होगी, जो लगभग एक करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है. इस परियोजना से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी, आर्थिक विकास और रोजगार के नए अवसर मिलेंगे, जबकि रेलवे के संचालन और माल परिवहन की क्षमता भी बढ़ेगी.


बताते चलें कि यह परियोजना न केवल क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और रेलवे क्षमता को बढ़ाने में सहायक होगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट रेलवे लाइन का दोहरीकरण विकास की नई राह खोलेगा, तीर्थस्थलों और पर्यटन स्थलों तक पहुंच आसान करेगा और लोगों के जीवन को सुगम बनाएगा। साथ ही, यह परियोजना पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और ऊर्जा-कुशल होने के कारण सतत विकास के लक्ष्य को भी साकार करेगी. कुल मिलाकर, यह पहल पीएम मोदी के ‘नया भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप क्षेत्र के समग्र विकास और जनकल्याण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी.

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