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महाकुंभ भगदड़ में लोग मरे नहीं, बल्कि उन्हे मोक्ष मिला है, बागेश्वर बाबा के बयान से गर्माई राजनीति !

महाकुंभ में जो घटना 29 जनवरी की रात घटी, उसकी भरपाई किसी भी किमत पर नहीं की जा सकती, और ना ही उस घटना को पिछली घटनाओं से तुलना की जा सकती है…लोगों के साथ साथ संत समाज भी बंटा हुआ नजर आ रहा है…शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरांनद जहां मोदी-शाह और योगी का इस्तीफा मांग रहे है, वहीं बागेश्वर धाम वाले बाबा सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे है

01 Feb, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
11:12 PM )
महाकुंभ भगदड़ में लोग मरे नहीं, बल्कि उन्हे मोक्ष मिला है, बागेश्वर बाबा के बयान से गर्माई राजनीति !

महाकुंभ में जो घटना 29 जनवरी की रात घटी, उसकी भरपाई किसी भी कीमत पर नहीं की जा सकती, और न ही उस घटना को पिछली घटनाओं से तुलना की जा सकती है, नहीं कहा जा सकता कि 1954 में 800-1000 लोग मारे गए थे, 1986 में 50 लोग मारे गए थे, 1992 में 50 लोग मारे गए थे, 2003 में 30 लोग मारे गए थे, 2010 में 5 लोग मारे गए थे, 2013 में 42 लोग मारे गए थे। जान कैसे भी गई, कभी भी गई, वह दुखद है, लेकिन इसे लेकर भी लोग कई तरह के सवाल उठा रहे हैं। लोगों के साथ-साथ संत समाज भी बंटा हुआ नजर आ रहा है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जहां मोदी-शाह और योगी का इस्तीफा मांग रहे हैं, वहीं बागेश्वर धाम वाले बाबा सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं।

बागेश्वर बाबा ने बयान से हलचल 

एक कार्यक्रम के दौरान पंडित धीरेंद्र शास्त्री को कहते सुना गया कि आज हम कमेंट पढ़ रहे थे, कुछ लोगों ने फोन भी किया, कुछ हमारे मित्र भी हैं कम्युनिस्ट बुद्धि के। हमें फोन लगाकर कह रहे हैं कि बाबा अब क्या कहोगे, पर्ची खोलोगे, हमने कहा बिल्कुल खोलेंगे, इतने महात्मा, इतने साधु, इतने जपी-तपी फिर भी इस घटना पर आपका क्या विचार है? देश में रोज लोग मर रहे हैं, करोड़ों लोग मर रहे हैं, कुछ दवा बिना मर जाते हैं, कुछ स्वास्थ्य व्यवस्था के बिना मर जाते हैं, कुछ हार्ट अटैक से मर जाते हैं। निश्चित रूप से घटना निंदनीय है, बहुत विकृत है, लेकिन एक बात बताएं… यह महाप्रयाग है, मृत्यु सबकी आनी है, एक दिन सबको मरना है, पर कोई गंगा किनारे मरेगा तो वह मरेगा नहीं, उसे मोक्ष मिलेगा। वैसे आपको बता दें कि बाबा बागेश्वर का यह व्यक्तिगत बयान हो सकता है, लेकिन असल में इस दुख की घड़ी में उन परिवारों की पीड़ा परिवार ही समझ सकते हैं। बाबा बागेश्वर ने इस बात पर जोर लगाकर कहा- यहां लोग मरे नहीं हैं कोई। हां, असमय चले गए हैं तो दुख है, पर जाना तो सबको है, यह बात तय है कि कोई 20 साल बाद जाएगा, कोई 30 साल बाद जाएगा। हमें भी जाना, तुम्हें भी जाना। वह असमय चले गए तो इस बात का दुख है, लेकिन उनकी मृत्यु नहीं हुई है, सच कहें तो उनको मोक्ष मिला है।


तो एक तरफ तो बाबा बागेश्वर हैं जिनहे लगता है मरने वाले लोगों को मोक्ष मिला है, लेकिन शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद को लगता है कि यह सब मोदी-शाह और योगी की वजह से हुआ। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने इन घटनाओं पर कहा कि -

प्रयागराज में परम धर्म संसद में यह प्रस्ताव पास किया गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तत्काल इस्तीफा दे दें। यह लोग काबिल नहीं हैं। जनता से इन्होंने जानकारी को छुपाया है। संत समाज के साथ बड़ा धोखा किया है, क्योंकि हम जब इतनी बड़ी भगदड़ की सूचना मिलने के बाद स्नान नहीं करने जा रहे थे, तो इन्होंने अफवाह की बात कर हमें गलत जानकारी दी और हम सभी ने मृत आत्माओं की शांति के लिए बिना मौन रखे या बिना उन्हें श्रद्धांजलि दिए शाही स्नान भी कर लिया। यह बहुत दुखद है कि हमसे जानकारी को छुपाया गया। बिना जानकारी सही तरीके से हम तक पहुंचाई गई, मृतकों और घायलों के आंकड़े को भी बाद में बताया गया। पूरे दुनिया में घायलों के आंकड़े चल रहे थे, लेकिन प्रशासन और सीएम ने शाम को जारी किया। हमें मृतक आत्माओं की शांति के लिए उपवास या मौन रखने का मौका भी नहीं मिला। इसलिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री समेत राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा को चाहिए कि तत्काल योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया जाए। अभी भी यहां करोड़ों लोग आने वाले हैं, वह भीड़ नहीं संभाल पा रहे हैं। सिर्फ लीपापोती कर रहे हैं।

तो संत समाज इस घटना पर दो धड़ों में बंट गया है, बागेश्वर बाबा का बयान शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के बयान के बाद आया है तो लोग इसे शंकराचार्य को जवाब के तौर पर भी देख रहे हैं, लेकिन जो भी है, दोनों धड़ों के बयान आपको दिखाए हैं, फैसला आपका है कौन सही कौन गलत, लेकिन प्रशासन की गलती है, मानते हैं, व्यवस्था की गलती हो सकती है, लेकिन इतना बड़ा आयोजन था, कुंभ में आए लोग आस्था के साथ आए थे, उन पर पुलिस लाठीचार्ज नहीं कर सकती थी, समझाने का काम कर सकती थी, वह किया जा रहा था, लेकिन आस्था से भरे इस देश में आस्था से भरे श्रद्धालुओं को भी सोचना होगा कि इतने बड़े आयोजन को साठ हजार पुलिसकर्मी नहीं संभाल सकते। आने वाले वक्त में पिछली घटना से सीख लेते हुए लोगों को भी इस आयोजन को अपना आयोजन समझ कर व्यवस्था को सुनिश्चित करना होगा। क्योंकि लोगों को समझाते हुए पुलिसकर्मियों की तस्वीरें भी हमने देखी हैं। तो इस हृदय विदारक घटना पर सबका अपना-अपना नजरिया हो सकता है, लेकिन अब भी अगर श्रद्धालु इस घटना से सबक लेकर आगे ऐसी किसी घटना का न होना सुनिश्चित करें तो भी अच्छा है।

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