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महाकुंभ में धर्म संसद के बीच देवकीनंदन ठाकुर का रौद्र रूप !

महाकुंभ में धर्म संसद के बीच देवकीनंदन ठाकुर ने ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने पर प्रतिक्रिया दी है। देखिये क्या है पूरी ख़बर ?

बोल्ड, बेबाक़, खूबसूरत… 90 के दशक की सबसे चर्चित एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी का नाम भला किसने नहीं सुना होगा?थोड़ा बहुत ज़हन से निकला भी होगा तो लीजिए महाकुंभ 2025 में महामंडलेश्वर बनकर एक बार फिर उन्होंने मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक की सारी हाइलाइट्स अपने नाम कर ली हैं। किन्नर अखाड़े से दीक्षा लेने वाली ममता को अब आप ममता कुलकर्णी नहीं कह पाएंगे, बल्कि उनकी सारी ज़िंदगी अब श्री यमाई ममता नंद गिरी के नाम से कटेगी। दीक्षा लेकर वह अब अपने आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ गई हैं।

सनातन की तरफ़ बढ़ना उतना भी मुश्किल नहीं जितना प्रचार किया जाता है, लेकिन हाँ, अगर किसी का कनेक्शन बॉलीवुड से रहा है, टॉपलैस शूट से रहा है, ड्रग तस्करी के आरोप लगे हैं, अंडरवर्ल्ड से जुड़े रहने की ख़बरें रही हैं, तो फिर ये मुश्किल ज़रूर हो जाता है। क्योंकि किसी को भी महामंडलेश्वर की उपाधि से नहीं नवाज़ा जा सकता, ऐसे में अगर ममता इस दिशा में आई हैं तो सवाल तो उठेंगे ही।

बहुत से लोग हैं जिन्हें ममता का ये अंदाज़ पसंद आ रहा है, लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जिनका साफ़ कहना है कि ममता कभी भी महामंडलेश्वर बन ही नहीं सकतीं। ये वो लोग हैं जो ये भी कह रहे हैं कि वो बनने लायक़ ही नहीं हैं। खैर, इसी बीच अब कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने ममता कुलकर्णी, जिनका नाम अब श्री यमाई ममता नंद गिरी हो गया है, उनपर तंज कसा है।

देवकीनंदन ठाकुर ने ममता के महामंडलेश्वर बनने को लेकर कहा  – जब कोई अभिनेत्री संत बनती है, तो समाज उसकी प्रशंसा करता है। लेकिन जब संत कथा कहते हैं, तो लोग उस पर ध्यान नहीं देते। यह समाज की भक्ति और अध्यात्म के प्रति सोच को दर्शाता है।

देवकीनंदन ठाकुर ने अपने एक बयान से दो जगहों पर निशाना साधा है।

सनातन बोर्ड का गठन ज़रूरी

सिर्फ़ यही नहीं, देवकीनंदन ठाकुर ने तो सनातन बोर्ड के गठन को भी बेहद ज़रूरी बता दिया। उन्होंने कहा -सनातन धर्म और मंदिरों की सुरक्षा के लिए सनातन बोर्ड का गठन जरूरी है। धर्म का संचालन धर्माचार्यों के माध्यम से होना चाहिए, न कि उन व्यक्तियों द्वारा जो धर्म को सही से समझते ही नहीं हैं ।

देवकीनंदन ठाकुर ने आगे कहा – अगर धर्म का सही मार्गदर्शन नहीं हुआ, तो समाज और देश दोनों को गंभीर नुकसान हो सकता है। भूखे को भोजन कराना सबसे बड़ा पुण्य है।

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