NATO से अमेरिका को बाहर करने की प्लानिंग, यूरोप का प्लान होगा पूरा ?
यूरोप के शक्तिशाली देश महाद्वीप की रक्षा के लिए नाटो में अमेरिका को रिप्लेस करने की प्लानिंग कर रहे हैं…लेकिन क्या ये सच में हो पाएगा ये देखने वाली बात होगी
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पिछले तीन साल से चल रही रूस - यूक्रेन जंग को ख़त्म करने के लिए ट्रंप ने आते ही यूक्रेन पर दवाब बनाना शुरू किया। कहा गया यूक्रेन को अपनों लोगों को मरने से बचाना चाहिए। और रूस से समझौता कर लेना चाहिए। ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति को अमेरिका बुलाकर उनसे बात की तो उनके के ही घर में यूक्रेन राष्ट्रपति जेलेंस्की ने जो किया उससे ट्रंप आगबबूला हो गए। अपनी बात ऊपर रखना और रूसी राष्ट्रपति पुतिन को सीधे सीधे किलर कह देना जेलेंस्की को भारी पड़ गया। उस वक़्त जेलेंस्की वहां से निकल गए। और फिर सीधे ब्रिटेन पहुंचे जहां उनका स्वागत हुआ। अब एक तरफ़ पुतिन समझौते के लिए सभी शर्तों को उसी तरह मानने की बात कह रहे हैं कि NATO में यूक्रेन को शामिल ना किया जाए और यूक्रेन भी ये सपने छोड़ दे। क्योंकि समझौता अस्थायी ना हो। लेकिन अब लगता है ये बात ना यूक्रेन मानने वाला है और ना NATO के देश। इसी के साथ अमेरिका को भी साइड लाइन करने के लिए तैयारी शुरू हो चुकी है। NATO के सदस्य देश यूक्रेन को पूरा समर्थन कर रहे हैं। और उसका नहीं छोड़ना चाहते। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ये बात भले ही कह रहे हों कि अमेरिका के बिना रूस को रोकना मुश्किल है लेकिन अब जो ख़बर है कि NATO अमेरिका की चाल को समझकर उसे ही NATO से रिप्लेस करने की प्लानिंग कर रहा है और उसकी जगह यूक्रेन को शामिल करना चाहता है। इससे ट्रंप का ग़ुस्सा बढ़ना लाज़मी है। लेकिन यूरोप के देश करें तो क्या करें अमेरिका की ये चेतावनी देना की यूरोप अब अकेले ही सब कुछ करे।टैरिफ लगा देना। ये यूरोप के देशों को भड़काने की बात थी। कहीं ना कहीं यूरोप के देश ये समझ रहे थे कि अमेरिका में ट्रंप के आने के बाद उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो रही हैं।इसलिए अब यूरोप के शक्तिशाली देश महाद्वीप की रक्षा के लिए नाटो में अमेरिका को रिप्लेस करने की प्लानिंग कर रहे हैं। रिपोर्टस् के मुताबिक ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और नॉर्डिक देश (डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे) नाटो के मैनेजमेंट ट्रांसफर के लिए ट्रम्प को एक प्रस्ताव भी दे सकते हैं।
यूरोपीय देश जून में होने वाले नाटो के वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले इस योजना को अमेरिका के सामने पेश करना चाहते हैं।और इसमें 5 से 10 साल का वक़्त लग सकता है। इसी के साथ यूरोप अपने हथियारों के ज़ख़ीरे को और मज़बूत करने पर ध्यान देगा। ताकि अमेरिका पर निर्भरता को ख़त्म किया जा सके। अगर अमेरिका एकतरफ़ा इसे छोड़ भी दे कि तो भी NATO के देशों को कोई परेशानी ना हो। NATO के देश ख़ासकर कनाडा और यूरोप को अपने हथियार बढ़ाने की बात कह रहे है। वहीं जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देशों ने पहले ही घोषणा कर दी हैं कि अपने रक्षा खर्च और मिलिट्री इन्वेस्टमेंट में बढ़ोतरी करेंगे। लेकिन सवाल ये है कि NATO क्या अमेरिका बिना रह पाएगा क्योंकि फ़िलहाल ।
अब जैसे एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि ये ट्रंप पहले ही कह चुके हैं और ये अमेरिका के लिए भी फ़ायदे ही कि वो इतना खर्च क्यों NATO के लिए देता है। हालांकि कुछ अधिकारी को लगता है कि ट्रंप सिर्फ बयानबाजी कर रहे हैं और उनका नाटो गठबंधन में बड़ा बदलाव करने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन ये तो साफ़ है कि ट्रंप NATO को समय और पैसे की बर्बादी ही समझते हैं। अगर अमेरिका नाटो छोड़ देता है तो यूरोपीय देशों को अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए डिफेंस पर कम से कम 3% खर्च करना होगा। अब नाटो क्या है ये भी समझ लेते हैं।
अब एक तरफ यूरोपीय देश लगातार अमेरिका पर अपनी सुरक्षा निर्भरता को कम करने के लिए कदम उठा रहे है तो वहीं अमेरिका के बिना ये क्या ये मुमकिन हो पाएगा ये देखने वाली बात होगी।
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