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Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari Movie Review: फैमिली एंटरटेनर है वरूण-जान्हवी की फिल्म, कहानी में सोसाइटी-पेरेंटस के लिए जरूरी मैसेज

वरूण धवन-जान्हवी कपूर की फिल्म ‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ थियेटर्स पर रिलीज़ हो गई है. अगर आप भी फिल्म देखने का प्लान कर रहे हैं तो पहले इसका रिव्यू जान लें.

सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी मूवी रिव्यू
रेटिंग: 3.5 स्टार 
कलाकार: वरुण धवन, जान्हवी कपूर, सान्या मल्होत्रा, रोहित सराफ, मनीष पॉल और अक्षय ओबेरॉय
डायरेक्शन: शशांक खेतान
मूवी टाइम: 2 घंटे 20 मिनट
कहां देखें: थिएटर 

फिल्म 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' एक रोमांटिक कॉमेडी है, जो हंसी, प्यार और भावनाओं का बेहतरीन मिश्रण पेश करती है. फाइनली ये फिल्म थियेटर्स पर रिलीज़ हो गई है. फिल्म में वरुण धवन, जाह्नवी कपूर, सान्या मल्होत्रा, रोहित सराफ, मनीष पॉल और अक्षय ओबेरॉय मुख्य भूमिकाओं में हैं. शशांक खेतान के डायरेक्शन और करण जौहर द्वारा प्रोड्यूस की गई इस फिल्म को देखने का प्लान कर रहे हैं, तो पहले इसका रिव्यू जान लें. 

कहानी

कहानी का केंद्र है सनी (वरुण धवन), जो अपने प्यार अनन्या (सान्या मल्होत्रा) द्वारा रिजेक्शन के बाद दिल टूटे हुए हैं.  वहीं, तुलसी कुमारी (जाह्नवी कपूर) भी विक्रम (रोहित सराफ) से ठुकराए जाने का सामना करती हैं. अपने पूर्व प्रेमियों को वापस पाने की कोशिश में सनी और तुलसी मिलकर एक रिश्ता निभाने का नाटक करते हैं, जिससे हास्य, अव्यवस्था और भावनात्मक मोड़ों से भरी कहानी जन्म लेती है. जैसे-जैसे उनका नाटक प्यार वास्तविक भावनाओं में बदलता है, कहानी जटिल होती जाती है और उन्हें यह समझना पड़ता है कि वे वास्तव में क्या और किसे चाहते हैं. 

तकनीकी पहलू 

तकनीकी रूप से फिल्म बेहद आकर्षक है. सिनेमाटोग्राफी भारतीय संस्कृति और आधुनिक शहरी जीवन की जीवंतता को खूबसूरती से कैप्चर करती है, और दृश्य जीवंत हैं लेकिन दृष्टि को ओवरव्हेल्म नहीं करते. फ़िल्म अपनी दर्शकों को लुभाने वाली पटकथा के कारण सफल होती है, जो तेज़ गति से आगे बढ़ती है... हास्य बिना ज़्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए, आकर्षक लगता है, जबकि दूसरे भाग में भावनात्मक क्षण सही तालमेल बिठाते हैं. दूसरी ओर, इंटरवल के बाद के हिस्से थोड़े कमज़ोर हो जाते हैं और कहानी कुछ जगहों पर अनुमान लगाने लायक लगती है. 

इस कहानी को निर्देशक शशांक खेतान के निर्देशन ने और भी बेहतर बना दिया है... चमकदार दृश्य, सहज हास्य, चुटीले संवाद और तेज़ गति सुनिश्चित करती है कि आप स्क्रीन से चिपके रहें... क्लाइमेक्स से पहले और अंत से पहले के क्षण फ़िल्म को ऊँचाई पर ले जाते हैं. 

म्यूज़िक

म्यूज़िक आकर्षक और कहानी के अनुकूल है, जो ध्यान भटकाता नहीं बल्कि कहानी को मजबूती देता है. बिजुरिया और पनवाड़ी जैसे चार्टबस्टर्स गाने पहले से ही प्लेलिस्ट पर छाए हुए हैं और कहानी को खूबसूरती से आगे बढ़ाते हैं... विशेष रूप से पनवाड़ी की कोरियोग्राफी शानदार है. 

अभिनय
वरुण धवन ने सनी के किरदार में अपने स्वाभाविक आकर्षण और अद्भुत कॉमिक टाइमिंग का प्रदर्शन किया है, जो मनोरंजक और सूक्ष्म दोनों है. जाह्नवी कपूर ने तुलसी के किरदार में अपनी भावनात्मक गहराई और आत्मविश्वासी स्क्रीन उपस्थिति से दर्शकों को प्रभावित किया, और उन्होंने अपने अभिनय में परिपक्वता दिखाई. सान्या मल्होत्रा और रोहित सराफ जैसे सहायक कलाकार कहानी में मजबूत परतें जोड़ते हैं, जिससे लव क्वाड्रैंगल रोचक और विश्वसनीय बनता है. मनीष पॉल और अक्षय ओबेरॉय जैसे अन्य सहायक कलाकारों का प्रदर्शन भी सराहनीय है.

डायरेक्शन

फिल्म रोमांस, कॉमेडी और भावनात्मक ड्रामा का संतुलित मिश्रण पेश करती है और दर्शकों को मनोरंजन के साथ-साथ दिल से जुड़ने का अनुभव कराती है. शशांक खेतान का डायरेक्शन शैली, जीवंत, तेज़-तर्रार और भावनात्मक रूप से प्रभावशाली फिल्म को विशेष बनाती है. उन्होंने हास्य और भावनाओं के असली पल का संतुलन इतनी कुशलता से बनाया है कि फिल्म आधुनिक और दिलचस्प दोनों लगती है. 

क्या है फिल्म की ख़ासियत 

'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' की खासियत यह है कि यह एक सामान्य रोम-कॉम को ताज़ा ऊर्जा, भावनात्मक ईमानदारी और बेहतरीन अभिनय से जीवंत कर देती है.  

यह पूरी तरह से दर्शकों का मनोरंजन करती है और बॉलीवुड की पारंपरिक रोमांटिक कहानियों में एक नया तड़का लगाती है. यह फिल्म प्यार, हंसी और आत्मीयता के साथ बताई गई रोमांटिक कहानियों के शौकीनों के लिए जरूर देखी जानी चाहिए.

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