Kantara Chapter 1 Movie Review: दमदार एक्शन-VFX, ऋषभ शेट्टी की एक्टिंग ने किया कमाल, Climax आपको चौंका देगा
कंतारा: चैप्टर 1 का बड़ी ही बेसब्री से इंतज़ार किया जा रहा है, अब फाइनली ऋषभ शेट्टी की ये फिल्म थियेटर्स पर रिलीज़ हो गई है. अगर आप भी इस फिल्म को देखने का प्लान कर रहे हैं, तो पहले इस फिल्म का रिव्यू का जान लें.
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साउथ एक्टर ऋषभ शेट्टी की फिल्म ‘कंतारा चैप्टर 1’ फाइनली लंबे इंतज़ार के बाद थियेटर्स पर रिलीज़ हो गई है. इस फिल्म को लेकर लोगों में गजब का क्रेज़ बना हुआ है. जहां एक तरफ़ इस फिल्म ने एडवांस बुकिंग में कमाल कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ़ इस ने कई रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिए हैं, अगर आप भी ब्लॉकबस्टर फिल्म 'कंतारा' का प्रीक्वल, 'कंतारा चैप्टर 1', को देखने का प्लान कर रहे हैं तो पहले इसका रिव्यू जान लें.
कहानी
कंतारा: चैप्टर 1, कंतारा भूमि की पृष्ठभूमि और सार, साथ ही एक जनजाति और बंगरा साम्राज्य के बीच उत्पन्न होने वाले मतभेदों को दर्शाती है. कुलशेखर (गुलशन देवैया) बंगरा का नया राजा बनता है, जबकि बर्मे (ऋषभ शेट्टी) कंतारा जनजाति का नेतृत्व करता है. बर्मे अपने साथियों के साथ गुप्त रूप से बंगरा में प्रवेश करता है, और कहानी का बाकी हिस्सा जनजाति और बंगरा साम्राज्य के बीच टकराव को दर्शाता है. आगे क्या होता है उसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
तकनीकी पहलू
पहले भाग में भी कुछ अच्छे सीन हैं, लेकिन मुख्य किरदारों को स्थापित करने और दुनिया को गढ़ने में बहुत ज़्यादा समय लग जाता है. फ़िल्म के कई हिस्सों में गति धीमी पड़ जाती है, कुछ हिस्से बहुत लंबे हैं, और एडिटिंग टीम उन्हें छोटा करके और बेहतर बना सकती थी. लेखन में काफ़ी मेहनत की गई है, जिसमें फ़िल्म कई जनजातियों, देवताओं के विभिन्न रूपों, वस्तु विनिमय प्रणाली और अन्य कई चीज़ों को उजागर करती है. हालाँकि, फ़िल्म बहुत कम सीक्वेंस में इतनी सारी जानकारी समेट देती है, जिससे चीज़ें जल्दबाज़ी में बन जाती हैं.
हालाँकि कुछ अनावश्यक सीक्वेंस लंबे हैं, लेकिन जिन चीज़ों को वास्तव में ज़्यादा स्क्रीन टाइम की ज़रूरत थी, वे जल्दबाज़ी और तेज़ गति से बनी हुई लगती हैं. अगर इस पहलू को अच्छी तरह से संतुलित किया गया होता, तो फ़िल्म व्यापक शोध कार्य के साथ पूरा न्याय कर पाती.
सिनेमैटोग्राफी -बैकग्राउंड स्कोर
अजनीश लोकनाथ का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है, लेकिन कई बार यह ज़ोरदार हो जाता है. हालाँकि, गाने ठीक-ठाक हैं. अरविंद एस. कश्यप की सिनेमैटोग्राफी उल्लेखनीय है, और उन्होंने एक्शन वाले हिस्से को बखूबी कैद किया है. प्रोडक्शन वैल्यूज़ कमाल की हैं क्योंकि खर्च किया गया एक-एक पैसा स्क्रीन पर दिखाई देता है. कंतारा: चैप्टर 1 एक शानदार फिल्म है, तकनीकी पहलू के हिसाब से ये फिल्म बेहद ही कमला की है. फिल्म के एक्टर-डायरेक्टर ऋषभ शेट्टी के साथ मिलकर होम्बले फिल्मी ने पिछली फिल्म के मुकाबले इस बार काफी बजट लगाया है.
VFX
तकनीकी बारीकियों के मामले में हाल के वर्षों में आई सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है. ऋषभ शेट्टी के साथ मिलकर होम्बले फिल्म्स ने बजट को बढ़ाया है, फिल्म के अंदर वीएफएक्स का काम बेहद ही शानदार तरीके से किया है. जिसका हर फ्रेम समृद्धि से भरपूर है और देखने लायक है. खासकर जानवरों पर आधारित VFX का काम मंत्रमुग्ध कर देने वाला है, साथ ही फिल्म का टेक्निकल प्रेजेंटेशन इतना शानदार है कि इसक लिए टीम को बघाई देना तो बनता है.
क्लाईमेक्स
डिवाइन तत्वों से भरपूर इंटरवल ब्लॉक और एक्सटेंडेड क्लाईमेक्स युद्ध वाले हिस्से दर्शकों को ज़रूर दीवाना बना देंगे. सिर्फ़ बजट ही नहीं, बल्कि ऋषभ शेट्टी ने अपने विजन और महत्वाकांक्षा को भी बढ़ाया है, और फिल्म के आखिरी पल किसी पागलपन से कम नहीं हैं. फिल्म के एक्शन सीन्स बेहद ही जबरदस्त हैं, फर्स्ट हाफ में रथ का पीछा करने वाला सीन हाई क्वालिटी वाले विज़ुअल इफेक्ट्स के साथ शानदार ढंग से फ़िल्माए गए हैं. फ़िल्म के अंदर कुछ कॉमेडी सीन भी है, जो काफी सही लगते हैं, और वो फिल्म को थोड़ा लाइट दिखाते हैं. जयराम ने अच्छा काम किया है.
अभिनय
इसमे कोई शक नहीं है कि ऋषभ शेट्टी फिल्म की जान है. डायरेक्शन से ज़्यादा, उनके अंदर का एक्टर बेहद ही शानदार ढंग से चमकता है, और फिर से साबित करता है कि वो नेशनल अवॉर्ड विनर के फिर से दावेदार बन गए हैं. दैवीय और समाधि के सीन्स में उनकी एक्टिंग उनकी असाधारण अभिनय क्षमता की गहराई को दर्शाता है.
रुक्मिणी वसंत प्रीक्वल का सरप्राइज़ पैकेज हैं. फिल्म में उन्हें सिर्फ़ नायक की प्रेमिका तक सीमित नहीं रखा गया है, और जैसे-जैसे फिल्म क्लाईमेक्स पर पहुँचती है, उनकी भूमिका प्रमुखता प्राप्त करती जाती है. रुक्मिणी ने इस मौके का पूरा फ़ायदा उठाया और क्लाईमेक्स के प्रभाव को और बढ़ा दिया है. गुलशन देवैया एक अच्छे अभिनेता हैं, लेकिन उनका किरदार उतना प्रभावशाली नहीं है और इसे और बेहतर तरीके से डिज़ाइन किया जा सकता था.
डायरेक्शन
डायरेक्शन के रूप में ऋषभ शेट्टी ने अच्छा काम किया है, लेकिन जैसा कि पहले बताया गया है, उनका शानदार अभिनय और इस लोककथा को एक भव्य दृश्यात्मक तमाशे के रूप में प्रस्तुत करने की उनकी महत्वाकांक्षा फ़िल्म को वास्तव में एक संतोषजनक अनुभव बनाती है.
क्या देख सकते हैं फिल्म?
कंतारा: चैप्टर 1 एक मनोरंजक एक्शन ड्रामा है जिसमें रोंगटे खड़े कर देने वाले कई पल हैं. यह फ़िल्म अपने बेहतरीन इंटरवल और क्लाइमेक्स वाले हिस्सों, दिव्य तत्वों, अद्भुत दृश्यों और मनमोहक वीएफएक्स से हमारा दिल जीत लेगी. ऋषभ शेट्टी बेहतरीन हैं, जबकि रुक्मिणी वसंत ने अपनी बेहतरीन भूमिका में दमदार अभिनय किया है. कई बार धीमी गति, घिसे-पिटे हिस्से और ज़रूरत से ज़्यादा जानकारी से भरे दृश्य, फ़िल्म की मुख्य कमियाँ हैं. फिर भी, अपनी तकनीकी पहलू के कारण "कंतारा चैप्टर 1" थियेटर में देखने लायक़ फिल्म है.
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